दो भारतीय महिला Teachers जिन्होंने शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,Teachers Day की शुरुआत…

Happy Teachers Day : विमला कौल (Vimla Kaul) सरकारी स्कूल में टीचर रह चुकी हैं। लगभग 20 साल पहले वह नौकरी से रिटायर हो चुकी हैं लेकिन उन्होंने बच्चों को पढ़ाना आज तक बंद नहीं किया है। आज भी वह गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाती हैं।

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Happy Teachers Day
Happy Teachers Day की शुरुआत और वो दो महिला Teachers जिन्होंने शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई...

Happy Teachers Day : शिक्षक दिवस भारत में हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है। शिक्षक दिवस (Happy Teachers Day) पर स्कूलों में स्टूडेंट्स टीचर्स की जगह लेकर उनकी किरदार निभाते हैं। इस दौरान वह बताते हैं कि उनके जीवन में शिक्षक की कितनी अहम भूमिका है। 5 सितंबर को देश के पहले उप-राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती होती है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक मशहूर दार्शनिक और शिक्षाविद थे। वह शिक्षा के बड़े पक्षधर रहे।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारतीय संस्कृति का देश-विदेश में प्रचार-प्रसार किया। वह चाहते थे कि उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस (Happy Teachers Day) के तौर पर मनाया जाए। उन्हीं के सम्मान में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। आज हम बात करेंगे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन के बारे में और साथ ही बात करेंगे देश की पहली महिला टीचर और उन महिला टीचर की जिनका शिक्षा के क्षेत्र में अहम् योगदान रहा है

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन – Dr. Sarvepalli Radhakrishnan

Happy Teachers Day : डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे। 5 सितंबर, 1888 को तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के थिरुत्तानी में जन्मे, वे दर्शनशास्त्र के एक प्रख्यात प्रोफेसर और एक राजनेता थे। सर्वपल्ली वीरस्वामी (पिता) और सर्वपल्ली सीतम्मा के यहाँ जन्मे, वे एक उत्कृष्ट शिक्षाविद थे। 17 वर्ष की आयु में, श्री राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में प्रवेश लिया और 1906 में दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। वह एक उत्कृष्ट विद्वान थे और उन्हें कई महान उपाधियों से सम्मानित किया गया है।

वर्ष 1954 में, उन्हें (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) भारत रत्न से सम्मानित किया गया और 1968 में, वह साहित्य अकादमी फेलोशिप से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति बने, जो साहित्य अकादमी द्वारा एक लेखक को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। उनके जन्मदिन और एक शिक्षक के रूप में उनके योगदान को याद करने के लिए, 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

देश की पहली महिला शिक्षिका – सावित्रीबाई फुले – Country’s first female teacher – Savitribai Phule

Happy Teachers Day : सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) एक बहुत मजबूत नाम है जिसे दरकिनार किया जा सकता है। वह (Savitribai Phule) भारत के पहले महिला स्कूल की पहली महिला शिक्षिका थीं। उन्होंने भारत में शिक्षा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। वह महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी थीं और सभी लोगों को शिक्षा प्रदान करने में सबसे आगे थीं। उन्होंने उच्च जाति के अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और महिलाओं की भलाई के लिए अथक संघर्ष किया।

उन्होंने (Savitribai Phule) भारत में शिक्षा का चेहरा बदलने और महत्वपूर्ण चीजों पर प्रकाश डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने निचली जाति की लड़कियों के लिए एक स्कूल खोला और ध्यान देने योग्य बात यह है कि उन्होंने यह सब ऐसे समय में किया जब महिलाओं को उनके घरों पर बैठने के लिए कहा गया और उनके बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वह परिवर्तनों की अग्रदूत थीं और देश के सबसे महान शिक्षकों में से एक थीं। यहां तक ​​कि ब्रिटिश सरकार ने भी उनके प्रयासों को स्वीकार किया।

गुलदस्ता स्कूल की शुरुआत – विमला कौल – The beginning of the bouquet school – Vimla Kaul

Happy Teachers Day : विमला कौल (Vimla Kaul) सरकारी स्कूल में टीचर रह चुकी हैं। लगभग 20 साल पहले वह नौकरी से रिटायर हो चुकी हैं लेकिन उन्होंने बच्चों को पढ़ाना आज तक बंद नहीं किया है। आज भी वह गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाती हैं। रिटायर होने के बाद विमला कौल (Vimla Kaul) ने दिल्ली में गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए गुलदस्ता स्कूल की शुरुआत की है। आज इस स्कूल में कई गरीब परिवार के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

इस स्कूल की शुरुआत आसान नहीं रही है। हर कदम पर संघर्ष था और आज 28 साल बाद भी संघर्ष जारी है। शुरुआत में उन्हें स्कूल खोलने के लिए किसी ने भी मदद नहीं की थी। पहले स्कूल एक गांव में खोला गया था लेकिन वहां काफी दिक्कत हुई। जिसके बाद स्कूल को सरिता विहार की कॉलोनी में शिफ्ट किया गया था। लेकिन कॉलोनी के लोगों को स्कूल खोलना पसंद नहीं आया। कुछ लोगों को बच्चे के शोर से काफी परेशानी होती थी। इसके बाद स्कूल को पार्क में शिफ्ट किया गया।

काफी सालों तक स्कूल पार्क में चला था। लगभग 14 साल बाद मदन मोहन मालवीय ट्रस्ट स्कूल की मदद के लिए आगे आया। साल 2012 में गुलदस्ता को चार कमरों वाला स्कूल मिला। साल 2020 तक इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाया गया है। लेकिन कोरोना की वजह से स्कूल को बंद करना पड़ा। 17 साल तक स्कूल का खर्च परिवार की मदद के द्वारा किया गया है।

साल 2009 में मिस्टर कौल के जाने के बाद मेरे दिमाग में यही सवाल था कि इस स्कूल को बंद करूं या फिर चलने दूं। इस घटना के बाद यह काम मेरे लिए काफी बड़ा था। अभी मैं इस दुविधा में ही थी कि इस स्कूल को जारी रखूं या नहीं। तभी साल 2010 में मुझे रिलायंस टाइकून मुकेश अंबानी ने रियल हीरोज अवार्ड के लिए चुना, जिसमें मुझे 5 लाख रुपये दिए। जिसके बाद स्कूल बंद करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। भगवान भी चाहते थे कि मैं इस काम को जारी रखूं। इसके बाद मैंने निर्णय लिया और स्कूल को जारी रखा।

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए बहुत बहुत सुक्रिया हम आशा करते है कि आज के आर्टिकल Happy Teachers Day से जरूर कुछ सीखने को मिला होगा, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूले और ऐसे ही अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखे THEHALFWORLD वेबसाइट के साथ चलिए मिलते है नेक्स्ट आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा, धन्यवाद !