दिल्ली हाईकोर्ट की जज जस्टिस प्रतिभा एम सिंह (Justice Pratibha M. Singh) ने कहा है कि मनुस्मृति (Manusmriti) को लेकर ऐसा दावा किया है जिसके विरोध में आवाजें उठ सकती हैं और इस पौराणिक ग्रंथ पर बहस फिर से छिड़ सकती है। जज साहिबा ने महिलाओं के सम्मान की बातें होने का दावा किया है। उन्होंने कहा है कि मनुस्मृति (Manusmriti) जैसे वैदिक शास्त्रों ने हमेशा महिलाओं को बहुत सम्मानजनक स्थान दिया है।
सिंह ने मनुस्मृति के इस खास सकारात्मक पहलू पर बात करते हुए कि हमारे पूर्वज अच्छी तरह से जानते थे कि उनका सम्मान कैसे किया जाता है, मनुस्मृति (Manusmriti) जैसे वैदिक शास्त्रों ने हमेशा महिलाओं को बहुत सम्मानजनक स्थान प्रदान किया है। उन्होंने बुधवार को आयोजित ‘विज्ञान, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और गणित में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों’ नामक एक सम्मेलन में एक भाषण के दौरान यह टिप्पणी की।
भारत में पैदा होना महिलाओं का भाग्य: हाई कोर्ट जज Women’s fate to be born in India: High Court Judge
NBT की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस सिंह ने कहा, ‘मनुस्मृति (Manusmriti) में ही कहा गया है कि यदि आप महिलाओं का सम्मान और सत्कार नहीं करते हैं, तो आपके द्वारा किए जाने वाले सभी पूजा-पाठ का कोई मतलब नहीं होगा।’ हाई कोर्ट जज (Justice Pratibha M. Singh) ने आगे कहा कि हम भारत जैसे देश में भाग्यशाली हैं जो महिलाओं के नेतृत्व की भूमिकाओं में प्रगतिशील है। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं यह नहीं कह रही हूं कि हमें निचले स्तर पर महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और बुरी चीजों को नजरअंदाज करने की जरूरत है, लेकिन हां, उच्च स्तर पर, मध्यम स्तर पर, हम महिलाओं को बढ़ते हुए देख रहे हैं।’
महिलाओं के अनुकूल हो सिस्टम women friendly system
सिंह ने यह भी कहा कि महिलाओं के कई मंच हैं, जहां वरिष्ठ और नवोदित महिला वकीलों के बीच नियमित बातचीत होती है। उन्होंने इसे विस्तार से बताते हुए आगे कहा, ‘हम युवाओं को कानून (कानूनी क्षेत्र) में आने और मुकदमेबाजी करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह सशक्तीकरण के बारे में नहीं है, यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रणालियों को स्थापित करने के बारे में है यह कि यह प्रणाली महिलाओं के अनुकूल और लचीली हो, ताकि महिलाएं आगे आ सकें और देश की प्रगति में योगदान करने के लिए अपनी शैक्षिक योग्यता का उपयोग कर सकें।’
मनुस्मृति से एक खास वर्ग को जबर्दस्त चिढ़ A certain section was greatly irritated by the Manusmriti.
ध्यान रहे कि एक खास विचारधारा से जुड़े लोग मनुस्मृति (Manusmriti) को दकियानूसी, ब्राह्मणवादी और पुरुषवादी ग्रंथ बताता है। मुस्मृति की रचना वैवस्वत मनु ने की है। इस आधार पर मनुस्मृति (Manusmriti) के ज्ञान में विश्वास करने वालों को वह वर्ग मनुवादी कहता है। उस खास विचारधारा से जुड़े छात्र-छात्राओं से लेकर नेताओं तक नारे लगाते हैं- मनुवाद से आजादी। ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट की जज जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह (Justice Pratibha M. Singh) की तरफ से यह कहना कि मनुस्मृति में महिलाओं का सम्मान किया गया है, निश्चित तौर पर उस विचारधारा को लोगों को रास नहीं आएगा
कौन है जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह Who is Justice Pratibha M. Singh
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह (Justice Pratibha M. Singh) ने यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज, बैंगलोर से पांच साल का लॉ कोर्स पूरा किया। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (यूके) में एलएलएम का अध्ययन करने के लिए उन्हें कैम्ब्रिज कॉमनवेल्थ ट्रस्ट द्वारा ओडीएएसएसएस स्कॉलरशिप मिली। इसके बाद 1991 में उन्होंने बार में दाखिला लिया।
बेंच में पदोन्नत होने से पहले वह भारत में एक प्रमुख बौद्धिक संपदा वकील थीं। उन्हें पेटेंट, ट्रेडमार्क, डिजाइन, कॉपीराइट, पौधों की किस्मों, इंटरनेट कानूनों आदि सहित आईपीआर कानूनों के सभी क्षेत्रों में ऐतिहासिक मामलों को संभाला।
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