Women Rights : आज हम बात करेंगे समानता के अधिकारों पर,अगर देखा जाये तो पुरुषो की तुलना में महिलाओं के अधिकार सामान दिखाई नहीं पड़ते है. दुनिया भर में महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने और उन्हें समाज के हर क्षेत्र में पुरुषों के समान अधिकार व सम्मान दिलाना हमारा कर्तव्ये है. हमारे पुरुषवादी समाज में महिलाओं को हमेशा दबा कर रखा गया है,
अगर दुनिया के मुकाबले देखा जाये तो भारतीय में महिलाओं की स्थिति दुनिया के कुछ देशों की तुलना में काफी बेहतर है। वर्तमान में भारतीय महिलाएं शिक्षा, कार्यालय का कामकाज और देश की सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। भारत के कानून और संविधान ने महिलाओं को कुछ अधिकार (Women Rights ) दिए हैं जो उन्हें सशक्त बनाते हैं।
अगर बात करे समानता के अधिकारों की तो आज भी कई क्षेत्र ऐसे है जहाँ महिलाओं को समानता का धिकार (Women Rights) नहीं दिया जाता और उनका शोषण किया जाता है. आज हम इसी पर बात करेंगे की कोनसे अधिकार है महिलाओं के पास जो उन्हें समाज ना देकर कानून दे पाता है….
समान वेतन अधिकार equal pay right
इस कानून के तहत आय या मेहनताना देने में लिंग का भेदभाव नहीं किया जा सकता। यानी किसी भी कामकाजी महिला को उस पद पर कार्यरत पुरुष के बराबर वेतन लेने का अधिकार है। महिला-पुरुष के बीच सैलरी का भेदभाव नहीं किया जाएगा।
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पिता की जायदाद में बेटी को भी हक Daughter also has right in father’s property
पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पिता की संपत्ति पर बेटी का भी उतना ही हक है जितना के बेटे का। हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के वक्त चाहे बेटी के पिता जिंदा रहे हों या नहीं, बेटी को हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) में बेटे के बराबर संपत्ति में अधिकार मिलेगा।
शादी से पैतृक संपत्ति में अधिकारों पर कोई असर नहीं
मातृत्व लाभ कानून maternity benefit law
1961 में लागू इस एक्ट के तहत कर कामकाजी महिला के माँ बनने की स्थिति में कार्यालय से 6 माह की छुट्टी लेने का अधिकार है। मैटरनिटी लीव या गर्भावस्था के दौरान छुट्टी लेने पर कंपनी महिला कर्मचारी के वेतन में कोई कटौती नहीं कर सकती। कामकाजी गर्भवती महिला को नौकरी से भी नहीं निकाला जाएगा।
रात में महिला की गिरफ्तारी नहीं No arrest of woman in night
महिलाओं को सुरक्षा को लेकर कानून में प्रावधान है कि किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। हालांकि फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के आदेश पर गिफ्तारी सम्भव है। इसके अलावा महिला से पूछताछ के दौरान महिला कांस्टेबल का होना जरूरी है.
विवाह के बाद भी पिता की संपत्ति पर अधिकार Right on father’s property even after marriage
2005 के संशोधन के बाद बेटी पैदा होते ही कोपार्सनर (सह-वारिस) हो जाती है। अब बेटी के विवाह से पिता की संपत्ति पर उसके अधिकार में कोई बदलाव नहीं आता है। यानी, विवाह के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार रहता है।
अनुकंपा पर बेटियों को मिलती है नौकरी Compassionate daughters get jobs
पिता की अकस्मात मौत के बाद बेटियों को भी अनुकंपा पर नौकरी पाने का हक है। इसमें महिला की वैवाहिक स्थिति मायने नहीं रखती। मद्रास हाईकोर्ट ने 2015 के अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि अगर नौकरी रहते पिता की मौत हो जाए तो विवाहित बेटी भी अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने की अधिकारी होती है।
महिलाओं को वाजिब गुजारा भत्ता मिलने में आसानी
सुरक्षा से जुड़े महिलाओं के अधिकार Women’s rights related to security
यौन शोषण से रक्षा का अधिकार right to protection from sexual exploitation
अगर महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन शोषण हुआ है तो वह यौन शोषण अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है। कंपनी की आंतरिक POSH कमिटी को 3 महीने के भीतर जांच करके फैसला करना होता है। इसके बाद जिला स्तर पर स्थानीय शिकायत समिति के सामने भी शिकायत की जा सकती है। अगर कार्रवाई नहीं होती तो कंपनी के खिलाफ ऐक्शन का प्रावधान है।
कहीं भी FIR दर्ज कराने का अधिकार Right to register FIR anywhere
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, पीड़ित महिलाएं किसी भी थाने में अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। घटना चाहे जिस भी थाना क्षेत्र में हुई हो। एक बार एफआईआर दर्ज हो जाए और मजिस्ट्रेट के आगे जांच रिपोर्ट दायर हो जाए तो उसे संबंधित थाने में मूव कराया जा सकता है। महिलाएं ईमेल व चिट्ठी के जरिए भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। ऐसा उस परिस्थिति में जहां महिलाएं स्वयं थाने तक जाने में सक्षम नहीं हैं।
पहचान जाहिर न करने का अधिकार
पहचान छिपाए रखने का अधिकार right to anonymity
यौन शोषण की शिकार महिलाओं को समाज में किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े, इसके लिए उनकी पहचान छिपाए रखने का प्रावधान है। अगर पीड़िता का नाम जाहिर किया जाता है तो दो साल तक की जेल और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
स्टाकिंग से सुरक्षा देता है कानून The law gives protection against stalking
आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2013 के तहत स्टाकिंग के लिए जेल हो सकती है। किसी महिला का पीछा करना या उससे बिना उसकी मर्जी के संपर्क स्थापित करने की कोशिश करना, बार-बार मना करने के बावजूद उसे बातचीत के लिए फोर्स करने पर पुलिस ऐक्शन ले सकती है। कोई महिला इंटरनेट पर क्या करती है, इसपर नजर रखना भी स्टाकिंग के दायरे में आता है।
शादी/समानता से जुड़े अधिकार marriage/equality rights
पारिवारिक हिंसा का शिकार होने पर कार्रवाई Action on being a victim of family violence
इंडियन पीनल कोड की धारा 498 के तहत पत्नी, महिला लिव-इन पार्टनर या घर में रह रही किसी भी महिला को परिवार के किसी सदस्य के हाथों हिंसा का शिकार होने पर कार्रवाई का प्रावधान है। यह हिंसा मौखिक, आर्थिक, मानसिक, शारीरिक और यौनिक भी हो सकती है।
गिरफ्तारी, पूछताछ, कानूनी सहायता से जुड़े अधिकार Rights related to arrest, interrogation, legal aid
अगर कोई अपरिहार्य स्थिति न हो तो किसी महिला को सूरज ढलने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। गिरफ्तारी के लिए महिला कॉन्स्टेबल का होना अनिवार्य है। महिला को बिना कानूनी इजाजत के पुलिस थाने में रात के वक्त हिरासत में नहीं रखा जा सकता। बलात्कार पीड़िताओं को मुफ्त कानूनी सहायता का भी अधिकार है।
ससुराल में प्रताड़ना का केस मायके में हो सकता है दर्ज
महिला ससुराल छोड़ सकने का अधिकार women’s right to leave the in-laws’ house
अगर ससुराल में पत्नी को पति या दूसरे लोगों ने दहेज के लिए परेशान किया है तो महिला ससुराल छोड़कर जहां जाकर रहती है या पनाह लेती है, वहां की अदालत में भी उसकी शिकायत पर सुनवाई होगी। इसके अलावा SC ने एक फैसले में कहा कि डोमेस्टिक वॉयलेंस (डीवी) ऐक्ट के तहत, महिला पति के रिश्तेदारों (ससुरालवालों) के घर में रहने की मांग कर सकती है, जहां वह डोमेस्टिक रिलेशनशिप में रह चुकी है।
नाबालिग पत्नी से जबरन संबंध अब रेप Forced relationship with minor wife now rape
तीन साल पहले, SC ने कहा था कि 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ संबंध के मामले में पति को रेप से छूट देने वाला प्रावधान मनमाना है और बच्चियों के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह भेदभावपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि नाबालिग पत्नी की शिकायत पर पति के खिलाफ रेप का केस दर्ज हो सकता है और यह शिकायत 1 साल के भीतर करनी होगी।
कानून महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार (Women’s Equality) देता है। इसके तहत अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार है तो वह अपनी पहचान गोपनीय रख सकती है और अकेले जिला मजिस्ट्रेट व किसी महिला पुलिस अधिकारी के मौजूदगी में बयान दर्ज करा सकती है।
पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए बहुत बहुत सुक्रिया हम आशा करते है कि आज के आर्टिकल Women’s Rights से जरूर कुछ सीखने को मिला होगा, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूले और ऐसे ही अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखे THEHALFWORLD वेबसाइट के साथ चलिए मिलते है नेक्स्ट आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा, धन्यवाद !