कौन कौन है भारत की महिला Super Women? जिनके बारे में आपको जानना चाहिए …

कौन कौन है भारत की महिला Super Women? जिनके बारे में आपको जानना चाहिए ...

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Super Women
कौन कौन है भारत की महिला Super Women जिनके बारे में आपको जानना चाहिए ...

भारत में कई सुपरहीरो पैदा हुए जिसमे कई पुरुषों के नाम लिया जाता है लेकिन आज हम आपको कई महिलाओं के बारे में बताते है जो किसी Super Women से कम नहीं है। जिनके बारे में पढ़कर आपको अपने देश की बेटियों पर गर्व होगा। इन्होने परिश्रम और मेहनत से अपने जीवन को एक नई दिशा प्रदान की और समाज में अपना योगदान दिया।

मदर टेरेसा: बेसहारा लोगों को जीवन समर्पित

मदर टेरेसा (Mother Teresa) ने अपना जीवन लोगो की सेवा में अर्पण किया था। उनके जीवन का उद्देश्य अनाथ बच्चों की सेवा करना था। मदर टेरेसा एक सर्व साधारण महिला थी उनकी ऐसी समाज सेवा की वजह से उन्हें 1970 में शांति के लिए नोबेल प्राइज मिल चुका है। देखा जाए तो मदर टेरेसा Super Women से कम नहीं है।

मदर टेरेसा ने उन बच्चो और उन लोगो को अपनाया जिन्हे समाज ने ठुकराया था। जिनके सिर पर छत नही थी, जो बेसहारा थे उनके लिए मदर टेरेसा ने अपना जीवन समर्पित किया। जानिए कुछ खास बाते जो मदर टेरेसा को एक सर्वोत्तम इंसान बनाती है।

मदर टेरेसा के जीवन से जुड़ी 10 खास बातें – ( Shethepeople के अनुसार )

  1. मदर टेरेसा ने साल 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी नामक संस्था की शुरुआत की थी।
  2. मदर टेरेसा को 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।
  3. मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था जिसे उन्होंने 1981 में बदलकर टेरेसा रख लिया।
  4. जब वो केवल 18 की उम्र में दीक्षा लेकर सिस्टर टेरेसा बनी थी।
  5. उनकी संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने 1997 तक 155 में देशों में 755 निराश्रित गृह बनाए।इस संस्था से कम से कम 5 लाख लोगो को सहायता हुई।
  6. मदर टेरेसा को 1980 में भारत रत्न से नवाजा गया था।
  7. उनका उसूल था कि वो किसी के भी घर का न खाना खाती थी ना पानी पीती थी। उनका मानना था कि गरीब लोग बहुत मेहनत से दो वक्त का खाना खा पाते है, ऐसे हालात में वो किसी पर बोझ नही बनना चाहती थी।
  8. मदर टेरेसा ने अपनी जीवन शैली में एड्स, कुष्ठ रोग, तपेदिक से ग्रस्त लोगो के लिए घर बनाए और उन्हें सहारा दिया।
  9. मदर टेरेसा का मानना था की सब के पास सारी सुविधाएं नहीं होती लेकिन जिनके पास बेसहारा लोगो को मदद करने की क्षमता होती है उनको जरूर करनी चाहिए।
  10. मदर टेरेसा ने मरते दम तक शांति और प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने अपने जीवन को बेसहारा ,गरीबों और बीमार लोगो की सेवा करने में बिताया।

इंदिरा गांधी: आइरन लेडी ऑफ़ इंडिया

भारतकोश की रिपोर्ट के अनुसार इनका जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के आनंद भवन में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम है- ‘इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी’। इनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरू और दादा का नाम मोतीलाल नेहरू था। इनकी माता का नाम कमला नेहरू था जो दिल्ली के प्रतिष्ठित कौल परिवार की पुत्री थीं। इंदिराजी का जन्म जिस परिवार में हुआ वो आर्थिक एवं बौद्धिक दोनों दृष्टि से काफ़ी संपन्न था। उनके जीवन के संघर्ष देखते हुए हम उन्हें Super Women की श्रेणी में रख सकते है.

1972 भारत रत्न पुरस्कार
1972 मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार (बांग्लादेश की स्वतंत्रता हेतु)
1976 साहित्य वाचस्पति (हिंदी) पुरस्कार (बागरी प्रचारिणी सभा द्वारा)
1953 मदर पुरस्कार (अमेरिका) इसावेला डी ‘एस्टे पुरस्कार (इटली) हॉलैंड मेमोरियल पुरस्कार (येल विश्वविद्यालय)
1967-1968 फ्रांस की सबसे लोकप्रिय महिला
1971 पशुओं के संरक्षण हेतु (अर्जेंटीना सोसायटी द्वारा सम्मानित)
द इयर्स ऑफ चैलेंज (1966-69)
द इयर्स ऑफ एंडेवर (1969-72)
‘इंडिया’ (लंदन) 1975
इंडे (लौस्सैन) 1979

प्रतिभा पाटिल: भारत की पहली महिला राष्ट्रपति

श्रीमती प्रतिभा पाटिल भारत की बारहवीं और पहली महिला राष्ट्रपति रही. इनका जन्म 19 दिसंबर, 1934 को महाराष्ट्र के जलगाँव जिले में नन्दगाँव गाँव में हुआ था. प्रतिभा पाटिल के पिता का नाम नारायण राव पाटिल थे, जो एक राजनेता थे. प्रतिभा जी की प्रारंभिक शिक्षा जलगाँव के R.R विद्यालय से हुई थी. इसके बाद कॉलेज की पढाई उन्होंने जलगाँव के मूलजी जेठा कॉलेज से की. कानून की पढाई उन्होंने लॉ कॉलेज मुंबई से की. प्रतिभा पाटिल ने राजनीति विज्ञान एवं अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री प्राप्त की. उनके राजनैतिक जीवन में वो Super Women से कम नहीं रही.

श्रीमती प्रतिभा पाटिल जी जितनी ह्रदय से सुंदर थी, उतनी ही बाहरी खूबसूरती से भी सबको आकर्षित करती थी. यही वजह है कि उन्होंने 1962 में एम् जे कॉलेज में ‘कॉलेज क्वीन’ का ख़िताब जीता. 7 जुलाई 1965 को प्रतिभा जी ने देवसिंह रनसिंह शेखावत से विवाह कर लिया. प्रतिभा जी के 1 बेटा एवं 1 बेटी है.

कल्पना चावला: भारत की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री

कल्पना चावला जन्म 17 मार्च 1962 में हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था. कल्पना मुलत: भारतीय नागरिक थी.
भारत की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला को देश भर की महिलाओ के लिए वो एक आदर्श हैं. कल्पना ने 2 बार अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था,इससे पहले राकेश शर्मा वो भारतीय थे जिन्होंने अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था और चाँद पर कदम रखा था.कल्पना ने अपनी पहली उड़ान के बाद कहा था “रात का जब समय होता हैं, तब मैं फ्लाइट डेक की लाइट कम कर देती हूँ और बाहर गैलेक्सी और तारों को देखती हूँ, तब ऐसा महसूस होता हैं कि आप धरती से या धरती के कोई विशेष टुकड़े से नहीं आते हो, बल्कि आप इस सूर्यमंडल का ही हिस्सा हो”. कल्पना भारत के पहले पायलट जे.आर.डी टाटा से प्रभावित थी, इसलिए उनकी उड़ान में रूचि जे.आर.डी टाटा की प्रेरणा से ही विकसित हुयी थी. वो अपने देश का नाम रोशन करने में सामर्थ रही है इस लिए हम उन्हें Super Women का दर्जा देंगे.

भारत ने कल्पना के सम्मान में उनके नाम पर अपने पहले मौसम सेटेलाईट का नाम रखा हैं- कप्लना-1. कल्पना के देहांत के बाद उनके पति भारत आये थे और कल्पना के भस्मावशेषों को हिमालय पर बिखेरा था ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके.

किरण बेदी: पहली महिला आईपीएस

किरण बेदी का जन्म 9 जून, 1949 को अमृतसर, पंजाब में प्रकाश लाल पेशावरिया और प्रेम लता पेशावरिया के यहाँ हुआ था. उन्होंने 1968 में अमृतसर के गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वीमेन से अंग्रेजी में अपनी बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स) प्राप्त की. उन्होंने 1970 में राजनीति विज्ञान में अपना स्नातक पूरा किया और अपनी कक्षा में टॉपर रहीं. 1972 में किरण बेदी ने बृज बेदी से शादी की और उनके साथ एक बेटी है.
उन्होंने 1998 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से कानून की डिग्री हासिल की, जबकि पुलिस महानिदेशक के रूप में सेवा की. इसके बाद उन्होंने 1993 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली में सामाजिक विज्ञान विभाग से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.

अगस्त 2011 में, किरण बेदी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में शामिल हुईं. वह अरविंद केजरीवाल के साथ आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा थी लेकिन बाद में जब अरविन्द केजरीवाल ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया तो वह उनसे अलग हो गई.

1979 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार
1981 में वूमन ऑफ द ईयर अवार्ड नेशनल सॉलिडैरिटी वीकली, इंडिया द्वारा दिया गया
1991 में ड्रग प्रिवेंशन एंड कंट्रोल फॉर इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ गुड टेम्पलर (IOGT), नॉर्वे द्वारा एशिया रीजन अवार्ड
1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला पुरस्कार
1994 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा मैगसेसे पुरस्कार
1995 में डॉन बोस्को श्राइन ऑफिस, बॉम्बे-इंडिया द्वारा महिला शिरोमणि अवार्ड, फादर माकिस्मो ह्यूमैनिटेरियन अवार्ड और लायन ऑफ द ईयर
1999 में प्राइड ऑफ इंडिया अवार्ड अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम ऑफ इंडियन ओरिजिन (AFMI) ने दिया
2002 में वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड, ब्लू ड्रॉप ग्रुप मैनेजमेंट, कल्चरल एंड आर्टिस्टिक एसोसिएशन, इटली द्वारा
2004 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा संयुक्त राष्ट्र पदक
2005 में हार्मनी फाउंडेशन द्वारा सामाजिक न्याय के लिए मदर टेरेसा पुरस्कार
2007 में सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स द्वारा सूर्यदत्त राष्ट्रीय पुरस्कार
2009 में आजतक द्वारा महिला एक्सेलेंस अवार्ड्स
2010 में तरुण क्रांति पुरस्कार
2011 तरुण पुरस्कार परिषद द्वारा महिला सशक्तिकरण श्रेणी में
2011 में भारतीय योजना और प्रबंधन संस्थान द्वारा भारतीय मानव विकास पुरस्कार
2013 में राय विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ पब्लिक सर्विस की मानद उपाधि

प्रिया झिंगन: पहली महिला आर्मी अफसर

StoryTimes की रिपोर्ट के अनुसारप्रिया झिंगन ने एक इंटरव्यू में बताया कि “मै जब 9 वीं कक्षा में थी तब से ही मैने इंडियन आर्मी में भर्ती होने का फैसला कर लिया था। लेकिन उस समय में इंडियन आर्मी के बारे नहीं जानती थी। लेकिन कुछ वर्षों के बाद, कॉलेज के दिनों में मैने न्यूज पेपर में पुरुषों के लिए इंडियन आर्मी भर्ती के बारे में देखा। न्यूज पेपर को देखकर मेरे मन में एक सवाल आया कि महिलाओं को भी इंडियन आर्मी में भर्ती होने का मौका देना चाहिए। न्यूज पेपर में इंडियन आर्मी भर्ती के बारे में पढ़ने के बाद, प्रिया झिंगन ने सेना में महिला भर्ती के लिए इंडियन आर्मी के जनरल सुनिथ को चिट्ठी लिखी, चिट्ठी लिखने के 4 साल बाद, साल 1992 में महिलाओं के लिए न्यूज पेपर में इंडियन आर्मी भर्ती निकाल दी गई।

साल 1992 में, इंडियन आर्मी भर्ती के लिए महिलाओं के लिए JAG अधिकारियों की दो भर्ती न्यूज पेपर में निकाली गई थी। प्रिया झिंगन ने JAG भर्ती के लिए आवेदन किया और उन्हें एसएसबी के लिए एक इंटरव्यू पत्र मिल गया। प्रिया की कड़ी मेहनत के बदौलत कैडेट नंबर- 001 टैग मिला।

न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी: सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश

एम. फातिमा बीवी का जन्म 30,अप्रैल,1927 को केरल के पथानामथिट्टा में हुआ था। उनका पूरा नाम मीरा साहिब फातिमा बीबी है। उनके पिता का नाम मीरा साहिब और माँ का नाम खदीजा बीबी है।
मीरा साहिब फातिमा बीबी प्राथमिक शिक्षा कैथीलोकेट हाई स्कूल, पथानामथिट्टा से पूरी हुई। उन्होने यूनिवर्सिटी कॉलेज, त्रिवेंद्रम से स्नातक और लॉ कॉलेज, त्रिवेंद्रम से एल एल बी किया था। उन्होंने हमेशा ईमानदारी के साथ फेशल लिए इस लिए वो एक Super Women है.

14 नवम्बर 1950 को वे अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुयी,
मई, 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ़ के रूप में नियुक्त हुयी,
1968 में वे अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुयी।
1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त हुई।
1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
1980 में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य बनी
8 अप्रैल 1983 को उन्हें उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
06 अक्टूबर 1989 को वे सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुई।

सानिया मिर्जा: महिला टेनिस संघ (डब्ल्यूटीए) का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला

पेशेवर टेनिस खिलाड़ी 2005 में महिला टेनिस संघ (डब्ल्यूटीए) का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। बाद में 2015 में, सानिया मिर्जा नंबर पर रहने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। डब्ल्यूटीए की डबल्स रैंकिंग में नंबर वन। वो हमेशा देश के लिए खेली और देश को कई पदक दिलवाये इस लिए वो एक Super Women है.

साइना नेहवाल: बैडमिंटन में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला

वर्तमान में रैंकिंग नं १, विश्व में दूसरे नंबर पर, साइना नेहवाल 2012 में ओलंपिक में बैडमिंटन में पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। बाद में 2015 में, वह नंबर 1 बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। विश्व रैंकिंग में 1।
वो हमेशा देश के लिए खेली और देश को कई पदक दिलवाये इस लिए वो एक Super Women है.

मैरी कॉम: छह विश्व चैंपियनशिप व एकमात्र महिला मुक्केबाज

मैंगते चुंगनेइजैंग मैरी कॉम, जिन्हें मैरी कॉम के नाम से भी जाना जाता है, एकमात्र महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने छह विश्व चैंपियनशिप में से प्रत्येक में पदक जीता है। वह एकमात्र भारतीय महिला मुक्केबाज थीं, जिन्होंने 2012 के ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और 2014 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं।
वो हमेशा देश के लिए खेली और देश को कई पदक दिलवाये इस लिए वो एक Super Women है.