Cyber Crime: महिलाओं के साथ होने वाली Online Bullying, Trolling से शोषण, 8 महीनों में 48% की बढ़त आपको परेशान कर देगी…

राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से 2021 के पहले आठ महीने में महिलाओं के खिलाफ क्राइम के केसेज में 46 फीसदी इजाफा हुआ है। इसमें कहा गया है कि 2020 में इसी अवधि के दौरान 13,618 केस सामने आए, जबकि इन आठ महीने में 13,618 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं।

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Cyber Crime
Cyber Crime महिलाओं के खिलाफ क्राइम के केसेज में 46 फीसदी इजाफा...

भारत में हर दूसरे सेकंड, एक महिला साइबर क्राइम (Cyber Crime) का शिकार होती है और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अब एक नया मंच है, जहां हर पल एक महिला सुरक्षा को चुनौती दी जा रही है। ट्रोलिंग, गाली-गलौज, धमकी देना, घूरना, बदनाम करना, पीछा करना, बदला लेना और अश्लील बातें करना जैसे साइबर क्राइम (cyber crime) दुनिया में मौजूद हैं। महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम (cyber crime) में, प्रभाव शारीरिक से अधिक मानसिक है जबकि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कानूनों का ध्यान मानसिक नुकसान की तुलना में शारीरिक तोर पर अधिक है।

महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम में हुई 46 फीसदी की बड़ोत्री – 46% increase in cybercrime against women

राष्ट्रीय महिला आयोग की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 के पहले आठ महीने में महिलाओं के खिलाफ क्राइम (Cyber Crime) के केसेज में 46 फीसदी इजाफा हुआ है। खास बात यह है कि सबसे ज्यादा केस (3,248) तब बढ़े, जब जुलाई में लोग महामारी से जूझ रहे थे।

अपराधी रखते हैं गलत मांगे – criminals make wrong demands

महामारी के दौरान अपराधी महिलाओं का शोषण करने के लिए उन्हें ब्लैकमेल करते थे, एक खबर सामने आई थी जहां साइबर (Cyber Crime) अपराधी ने महिला का फोन हैक कर लिया था और बदले में शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया था। कुछ और उदाहरण हैं जहा महिलाओं के साथ ऑनलाइन दोस्ती कर रेप जैसी अमानवीय हरकत तक करते है अपराधी।

दरअसल, महिलाए कभी अपराधी के डर से तो कभी समाज के डर से शांत रह जाती है और शिकार बनती रहती है। ऐसे अपराधों में कभी रिपोर्ट नहीं दर्ज होती है तो कभी कानून ऐसी पीड़ित को इंसाफ दिलाने में विफल रहता जाता है। ऐसे में महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम की चुनौतियों से निपटने के लिए अलग से एक कानून की बात रखी गई है।

राष्ट्रीय महिला आयोग ने उठाई मांग – National Commission for Women raised the demand

महिलाएं आए दिन साइबर क्राइम (Cyber Crime) का शिकार बन रही हैं। ज्यादातर मामलों में महिलाओं को ब्लैकमेल कर डराया जाता है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों से निपटने के लिए अलग से कानून लाए जाने की वकालत की है।

साइबर बुलिंग का शिकार होती है महिलाए – Women are victims of cyber bullying

साइबर बुलिंग यानी गंदी भाषा, तस्वीरों या धमकियों से इंटरनेट पर तंग करना, साइबर स्टॉकिंग समेत साइबर क्राइम के मामले आय दिन बढ़ रहे हैं। युवा लड़कियों को इंटरनेट पर बुली किया जाता है, उनके कपड़ों और बदन को लेकर अभद्र टिप्पटियां की जाती है। कानून के जानकारों का भी कहना है कि बदलते माहौल के हिसाब से नया कानून लाया जाना चाहिए।

क्या कहती है रिपोर्ट? – What does the report say?

राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से 2021 के पहले आठ महीने में महिलाओं के खिलाफ क्राइम के केसेज में 46 फीसदी इजाफा हुआ है। इसमें कहा गया है कि 2020 में इसी अवधि के दौरान 13,618 केस सामने आए, जबकि इन आठ महीने में 13,618 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं।

2013 में आईपीसी में किया गया संशोधन – Amendment made in IPC in 2013

पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार आपको बता दें कि जब मोबाइल या कंप्यूटर पर इंटरनेट के जरिए अश्लील हमला किया जाता है, जिससे महिला की गरिमा को ठेस पहुंची हो तो उसे महिला के खिलाफ साइबर अपराध माना जाता है। 2013 के पहले महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों से निपटने के लिए कोई कानून नहीं था, मगर 2013 में आपराधिक संशोधन अधिनियम के जरिये भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) , 1860 की धारा 354 ए से लेकर धारा 354 डी जोड़ा गया।

ये है कुछ मुख्य धाराएं – Here are some main streams

धारा 354 ए: तीन साल तक सख्त कारावास – Section 354A: Rigorous imprisonment up to three years

यौनेच्छा की मांग करना या महिला की इच्छा के खिलाफ पोर्नोग्राफी दिखाना, या अभद्र टिप्पणी करना, ऐसे सभी मामले यौन उत्पीड़न की श्रेणी में माने जाएंगे। ऐसे मामलों में तीन साल तक का कड़ा कारावास, जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है।

धारा 354 बी: गैर जमानती अपराध – Section 354B: Non-bailable offense

इस धारा के तहत किसी महिला को जबरन कपड़े उतारने पर मजबूर करना जैसे अपराध आते हैं। राज कुंद्रा मामले में लड़कियों के साथ ऐसा ही मामला बना है। ऐसे मामलों में कम से कम तीन साल और अधिक से अधिक सात साल की सजा का प्रावधान है। साथ ही यह गैर जमानती अपराध भी है।

धारा 354 सी: सात साल तक की सजा – Section 354C: Imprisonment up to seven years

महिला की निजी गतिविधियों की बिना सहमति के फोटो लेना और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के मामले में आईपीसी की धारा-354 सी लगती है। दोषी को एक साल से तीन साल तक कैद का प्रावधान है। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 3 साल से 7 साल तक कैद की सजा हो सकती है और यह गैर जमानती अपराध होगा।

धारा 354 डी: साइबर स्टॉकिंग – Section 354D: Cyber ​​Stalking

लड़की या महिला का पीछा करना और कॉन्टैक्ट करने का प्रयास यानी स्टॉकिंग के मामले में आईपीसी की धारा-354 डी के तहत केस दर्ज होगा। इसमें व्हाटसएप, फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया पर साइबर स्टॉकिंग भी शामिल है। इस मामले में दोषी को तीन साल तक कैद हो सकती है।

ऑनलाइन हिंसा कैसे बचें? आखिर क्या है इलाज? – How to avoid online violence? What is the treatment after all?

ऑनलाइन हिंसा (Cyber Crime) का मूल कारण पुरुषों का महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी नजरिया है। पुरुष इंटरनेट पर महिलाओं की स्वतंत्र अभिव्यक्ति को बर्दाश्त नहीं कर पाते। वे उन्हें एक यौन वस्तु (sexual object ) रूप में देखने के इतने आदी हो चुके हैं कि आज जब महिलाएं सामाजिक राजनीतिक विषयों पर मुखर राय देती दिखती हैं तब वे उनके साथ ऑनलाइन हिंसा करते हैं। अक्सर इस ऑनलाइन हिंसा पर महिलाएं चुप्पी साध लेती हैं।

सोशल मीडिया पर लगभग हर वर्ग की महिलाओं को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। अपने धर्म, अपनी जाति,रंग के आधार पर लोगों की बदतमीजी का निशाना बनना पड़ता है। अधिकतर ग्रामीण इलाकों की महिलाएं या मुस्लिम महिलाएं तो अपनी तस्वीर तक लगाने से परहेज करती हैं। इसका स्पष्ट कारण उनके इलाके के पुरुषों को अपनी पहचान न बताना है।

कभी-अभी तो हैरानी होती है कि क्या सचमुच भारतीय पुरुषों को ऑनलाइन स्पेस में व्यवहार करना नहीं आता या उन्हें इसके इस्तेमाल की ट्रेनिंग देने की जरूरत है। अब सवाल उठ खड़ा होता है कि वे महिलाओं के प्रति इतने द्वेष से क्यों भरे हैं?

दूसरी तरफ सोशल मीडिया भी प्लेटफॉर्म्स अपने बनाए मानक तोड़ते रहते हैं। जब महिलाएं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से वहां अपने साथ हुए दुर्व्यवहार या किसी तरह की न्यूडिटी की औपचारिक शिकायत करती है तो वे अक्सर रटे रटाए जवाब देते हैं, जैसे उन्हें ये शिकायतें अपने मानकों का उललंघन करती नहीं दिखाई देती। ऐसे हालात में महिलाएं भारतीय न्याय व्यवस्था की ओर मुंह करने को मजबूर हैं।

भारत में सोशल मीडिया पर महिलाओं के साथ ट्रोलिंग को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। चाहे टिक-टॉक का ज़माना हो या आज रील्स पर बने वीडियो हों ट्रोल्स महिलाओं के वीडियोज पर भद्दे और अश्लील कमेंट करने से नहीं चूकते। इसी तरह के ट्रोल्स आपको ट्विटर पर भी मिल जाएंगे। ये ट्रोल्स हर मौके पर बेहूदे जवाबों के साथ तैयार मिलते हैं।

यही नहीं कई बार इनके कमैंट्स या ट्वीट्स में बलात्कार या हत्या तक की धमकियां दी जाती हैं। ये स्थितियां कमोबेश पूरी दुनिया में देखी जा रही हैं लेकिन अब कई देशों ने इसे गंभीरता से लेना शुरू किया है। इन देशों में महिलाओं को ऑनलाइन धमकी देने या ट्रोलिंग को न्यायिक घेरे में रखकर उस पर कार्यवाही शुरू कर दी है।

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