Taliban: महिला एंकर को भी ढकना पड़ेगा चेहरा, कक्षा 6 के बाद लड़कियों का स्कूल बंद

Taliban: महिला एंकर को भी ढकना पड़ेगा चेहरा, कक्षा 6 के बाद लड़कियों का स्कूल बंद

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Taliban: महिला एंकर को भी ढकना पड़ेगा चेहरा, कक्षा 6 के बाद लड़कियों का स्कूल बंद

अफगानिस्तान (Afghanistan) के तालिबान (Taliban) शासकों ने रविवार को एक फरमान लागू किया है जिसमे कहा गया है कि देश की सभी महिला टीवी एंकरों को ऑन-एयर होने के दौरान अपना चेहरा ढंकना जरूरी है. तालिबान के इस आदेश की मानवाधिकार आयोग के कार्यकर्ताओं ने तालिबान के इस आदेश की निंदा की है. वैसे तालिबान (Taliban) ने यह आदेश 5 दिन पहले जारी किया था कि महिला एंकर चेहरा ढंककर खबर पढ़ें. आजतक न्यूज़ कि रिपोर्ट के अनुसार इस आदेश के बाद कुछ महिला टीवी एंकर चेहरा ढंककर खबर पढ़ती नजर आईं थीं.

कुछ नाम मात्र के मीडिया संस्थानों ने पालन किया आदेश का

गुरुवार को आदेश की घोषणा के बाद कुछ नाम मात्र के मीडिया संस्थानों ने इसका पालन किया लेकिन रविवार को तालिबान की ओर से इस आदेश को सख्ती से लागू कर दिया गया. और पालन करना अनिवार्य हो गया इसके बाद ज्यादातर मीडिया संस्थानों में महिला टीवी एंकर्स अपने चेहरे को ढंककर खबर पढ़ते देखा गया.

वहीँ TOLOnews की एक टीवी एंकर सोनिया नियाजी का कहना है कि, “यह सिर्फ एक बाहरी संस्कृति है, जो हम पर थोपी गई है, जो हमें चेहरा ढंकने के लिए मजबूर करती है. उन्होंने कहा कि इससे प्रोग्राम के दौरान हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

जबरदस्ती का फरमान, मज़बूरी बने आदेश

स्थानीय अन्य मीडिया संस्थान की ओर से कहा गया कि उन्हें पिछले हफ्ते आदेश मिला था, लेकिन रविवार को इस आदेश को लागू करने के लिए मजबूर किया गया.

महिलाओ पर तालिबान के द्वारा किये गए अत्याचार

आपको बता दें कि पहले भी तालिबानी (Taliban) शासकों ने महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगा चुका है. 1996-2001 तक अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी (Taliban) सरकार ने महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए थे जिनमें बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया गया था. साथ ही उन्हें सार्वजनिक जीवन से प्रतिबंधित कर दिया गया था. घर से अकेली बाहर नहीं जा सकती थी. अगस्त 2021 में एक बार फिर से सत्ता में वापसी के बाद तालिबान (Taliban) ने शुरू में अपने प्रतिबंधों को कुछ हद तक कम कर दिया था. महिलाओं के लिए किसी भी तरह के ड्रेस कोड की व्यवस्था नहीं की गई थी लेकिन हाल के कुछ हफ्तों में तालिबानी शासकों की ओर से एक के बाद एक प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं

सिर से पांव तक कपड़े पहनने का आदेश, लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक

महीने की शुरुआत में तालिबान (Taliban) ने सार्वजनिक रूप से सभी महिलाओं को सिर से पांव तक कपड़े पहनने का आदेश दिया था, तालिबान (Taliban) ने कहा था कि सिर्फ आंखें दिखनी चाहिए. इसके अलावा एक और आदेश जारी किया गया था जिसमे तालिबान का कहना था कि महिलाओं को आवश्यक होने पर ही घर छोड़ना चाहिए और पुरुष रिश्तेदारों को महिलाओं के ड्रेस कोड के उल्लंघन के लिए सजा का सामना करना पड़ेगा. इसके अलावा छठी क्लास के बाद लड़कियों को स्कूल जाने से रोक दिया गया है.

मीडिया के सामने अच्छा बनने का नाटक कर, महिलाओं के साथ की ज्यादती

तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्ज़ा करने के बाद पहली बार आधिकारिक रूप से मीडिया के सामने आया था और तालिबान (Taliban) प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपनी बात रखी, जबीहुल्लाह ने महिलाओं से लेकर मानवाधिकार और कानून-व्यवस्था को लेकर तमाम बातों का जवाब दिया.
हालाँकि महिलाओं के बारे में तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के गठन के बाद ही बताया जाएगा कि महिलाओं पर शरिया कानून कैसे लागू किया जाए.

हम शरिया व्यवस्था के तहत महिलाओं के हक़ तय करने वाले हैं – तालिबान

महिलाएं और उनके अधिकारों के बारे में तालिबान (Taliban) के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुज़ाहिद ने कहा कि,“हम महिलाओं को अपनी व्यवस्था के भीतर काम करने और पढ़ने की अनुमति देने जा रहे हैं. महिलाएं हमारे समाज और हमारे ढांचे के भीतर अब बहुत सक्रिय होने वाली हैं. हम शरिया व्यवस्था के तहत महिलाओं के हक़ तय करने वाले हैं. महिलाएं हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने जा रही हैं. हम अंतरराष्ट्रीय समाज को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि अब उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा.”

हेल्थ सेक्टर और स्कूलों में कर सकेगी काम

“महिलाओं को शरिया कानून के तहत अधिकार और आजादी मिलेगी. हेल्थ सेक्टर और स्कूलों में वो काम कर सकेंगी.
एक पत्रकार ने सवाल किया कि मीडिया में भी महिलाएं काम कर सकेंगी?. तो वह बोले कि
“जब तालिबान (Taliban) सरकार बन जाएगी, तब साफ-साफ बताया जाएगा कि शरिया कानून के हिसाब से क्या-क्या छूट मिलेंगी.”

इसके अलावा तालिबानी प्रवक्ता ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में सरकार बनाने के बारे में भी बताया
तालिबान (Taliban) के हिसाब से देश के सभी समुदायों के साथ मिलकर सरकार बनाने की बात कही. और इसके साथ में बताया कि किसी से भी कोई बदले कि भावना नहीं रखी जायेगी और सरकार में सभी समुदायों को शामिल किया जाएगा .

“हम जल्द ही सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू करने वाले है. हम पूरी कोशिश करेंगे कि सभी लोगों से संपर्क किया जाए. हम उनसे संपर्क कर रहे हैं. हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि सभी अफगान इसमें शामिल हों. किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा. जो भी देश की सेवा करना चाहेगा, उसे नजरअंदाज़ नहीं किया जाएगा. भविष्य की सरकार समावेशी होगी. जल्द ही सरकार की घोषणा होगी और समस्याएं खत्म होंगी.”

हालाँकि अंतराष्ट्रीय समुदाय वहां कि मानवाधिकार और खासकर महिलाओं के अधिकारों के बारे में चिंतित है क्योंकि महिलाओं पर पहले भी तालिबानी कानूनी प्रक्रिया अत्याचार के रूप में बदनाम है . इसी बात को लेकर महिलाएं भी चिंतित है .

कैसे हुआ था तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्ज़ा

26 अगस्त 2021, यह वह तारीख है जो अफगानिस्तान (Afghanistan) के इतिहास को एक बार फिर से दोहराई थी, जी हाँ तालिबान (Taliban) ने काबुल पर अपना पूर्णतः कब्ज़ा जमा लिया था. जहाँ सरिया कानून के नाम पर महिलाओ के साथ अत्याचार किया जा रहा थी. जिससे महिलाये अपनी आजादी को खोते देख अपने देश को छोड़ कर भागना चाहती थी ऐसी ही एक महिला जो अफगानिस्तान से भागने में सफल रही थी . जी हाँ हम बात कर रहे है हुमैरा कादरी की जिन्होंने अपनी आजादी के लिए अपने देश को छोड़ना ही बेहतर समझा.

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक आपको बता दे कि हुमैरा कादरी एक लेखिका और महिला और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। है जिन्होंने तालिबान के खिलाफ कई किरबे लिखी हैं.
हुमैरा कादरी लिखती है कि – ”मैं डरी नहीं हूं, लेकिन गुस्से से सुलग रही हूं, दुनिया के तालिबान (Taliban) को स्वीकारने की सबसे बड़ी कीमत महिलाओं को चुकानी पड़ रही है”
अफगानिस्तान के लिए एक मनहूस तारीख जो 13 अगस्त के रूप में आयी थी, इस दिन तालिबान (Taliban) ने हेरात पर कब्ज़ा कर लिया, इस घटना के बाद हमे अपने जीवन के सुनहरे पल मिटते नज़र आ रहे थे, हमसे हमारी आजादी छिनती नज़र आ रही थी, हम हकीकत पर यकीं नहीं कर पा रहे थे इस से पहले जब तालिबान (Taliban) ने हेरात पर हमले शुरू किये थे तो हमे यकीन नहीं था कि इतना जल्दी यह शहर भी तालिबान (Taliban) के कब्जे में आ जायेगा हेरात में हमले के 2 दिन बाद ही काबुल पर हमला किया गया और कब्ज़ा कर लिया गया |