भारत की महिलाएं काफी सशक्त हैं। सेना में फाइटर जेट उड़ाने से लेकर देश की न्यायपालिका की रक्षा और कानून व्यवस्था को बनाएं रखने के लिए काले कोट से खाकी वर्दी तक में महिलाएं समाज में अपना योगदान दे रही हैं। देश में ऐसी भी महिलाएं हैं जिनके पास वर्दी नहीं, न ही देश की रक्षा के लिए बल है लेकिन अथाह ज्ञान और कलम की ताकत है, जिसका इस्तेमाल वह समाज सुधारने के लिए कर रही हैं।
यहां बात अरुंधति राय (Arundhati Roy) की हो रही है। अरुंधति राय अंग्रेजी की प्रसिद्ध लेखिका हैं। इतना ही नहीं अरुंधति (Arundhati Roy) समाज सेविका हैं। उन्हें लेखन से लेकर सोशल वर्क तक के लिए कई बड़े अवाॅर्ड मिल चुके हैं। देश में ही नहीं अरुंधति राय का नाम विदेशों में भी मशहूर है। 24 नवंबर को अरुंधति राय का जन्मदिन होता है। चलिए जानते हैं देश की सुप्रसिद्ध उपन्यासकार और समाजसेविका अरुंधति राय (Arundhati Roy) के बारे में।
अरुंधति राय का जीवन परिचय – Arundhati Roy Biography
अंग्रेजी भाषा की उपन्यासकार अरुंधति राय का जन्म शिलौंग में 24 नवम्बर 1961 में हुआ था। अरुंधति राय (Arundhati Roy) की मां का नाम मैरी रॉय है। वहीं उनके पिता राजीब राॅय हैं। मैरी राॅय केरल की सीरियाई ईसाई परिवार से थीं, जबकि उनके पिता कलकत्ता के निवासी बंगाली हिंदू हैं। अरुंधति जब दो साल की थीं तो उनके माता पिता एकदूसरे से अलग हो गए। उसके बाद से अरुंधति अपनी मां और भाई के साथ केरल आ गईं, जहां उन्होंने अपना बचपन गुजारा।
अरुंधति राय की शिक्षा – Arundhati Roy’s Education
अरुंधति ने केरल के अयमनम में रहती थीं। शुरुआती शिक्षा अपनी मां के स्कूल, जिसका नाम कॉर्पस क्रिस्टी था, से ली। बाद में दिल्ली आकर आर्किटेक्ट की पढ़ाई पूरी की।
16 साल में छोड़ दिया था घर – left home in 16 years
अरुंधति राय (Arundhati Roy) ने 16 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था और दिल्ली आकर रहने लगीं। अरुंधति ने एक इंटरव्यू में खुद बताया था कि उन्होंने खाली बोतले बेचकर पैसे जुटाए थे। उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। जब जाकर उनका दिल्ली स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में दाखिला हुआ।
लेखिका अरुंधति का करियर – Writer Arundhati’s career
अरुंधति ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में अभिनय भी किया। मैसी साहब नाम की फिल्म में अरुंधति लीड रोल में रहीं। इसके बाद अरुंधति ने कई फिल्मों के लिए पटकथाएं लिखीं। अरुंधति राय (Arundhati Roy) पर अपने परिवार, खासकर माता पिता का गहरा असर रहा। यही वजह है कि अरुंधति की एक किताब में उन बातों का जिक्र था, जो दो साल की उम्र में उनके साथ घटित हुईं थीं। उन्होंने इस बारे में कहा था, ‘मुझे खुद याद नहीं है कि मैंने उन घटनाओं के बारे में कैसे लिख दिया। शायद वो घटनाएं मेरे मस्तिष्क में एकत्र हो गई हों और सही वक्त पर बाहर आ गई हों।
अरुंधति राय की किताब – Arundhati Roy’s book
इसके बाद अरुंधती ने बहुत से सामाजिक और पर्यावरणीय अभियानों में भाग लिया है। आम आदमी की तरफ से मानवों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ निडर होकर आवाज उठाने हिम्मत को देखकर उन्हें 2002 में लंनन कल्चरल फ्रीडम अवार्ड और 2004 में सिडनी पीस प्राइज और 2006 में साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया।
अरुंधती ने “दी गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स” के लिखने से पहले, अरुंधति टेलीविज़न नाटको और फिल्मो में छोटे-मोटे कम करती थी। 1988 में अरुंधति को बेस्ट स्क्रीनप्ले का राष्ट्रिय फिल्म अवार्ड भी मिला था। वैश्वीकरण विरोधी अभियान और USA की विदेश निति के आलोचकों की वह प्रवक्ता है। उन्होंने नुक्लेअर डील और उद्योगीकीकरण के लिए भारतीय राजनीती की भी आलोचना की है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नामनिर्देशन की भी आलोचना की थी और मोदी को उन्होंने “सबसे सैन्यवादी और आक्रमक” प्रधानमंत्री पद का उम्मेदवार बताया था। इसके बाद सामाजिक और भारत में धार्मिक असहिष्णुता के खिलाफ चले मुक़दमे में उन्होंने साहित्य अकादमी पुरस्कार को लौटा दिया था। |
विवाद – Arundhati Roy Controversy
अरुंधति शेखर कपूर की मशहूर फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ पर फूलन देवी के बारे में लिखे अपने लेख के कारण विवादों में भी शामिल हुईं, जिसमें उन्होंने शेखर कपूर पर यह आरोप लगाया था कि इस फिल्म में उन्होंने फूलन देवी के शोषण और उनके जीवन से संबंधित घटनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है।
वर्ष 2002 में अरुंधति को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अदालत का तिरस्कार करने का दोषी ठहराया गया था और साथ ही साथ उन्हें 2000 रुपये के जुर्माने के साथ-साथ एक दिन के कारावास की सजा भी सुनाई गई थी।
पुरस्कार – Arundhati Roy Awards
2002 में लंनन कल्चरल फ्रीडम अवार्ड
2004 में सिडनी शांति पुरस्कार
2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया
पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए बहुत बहुत सुक्रिया हम आशा करते है कि आज के आर्टिकल Arundhati Roy biography से जरूर कुछ सीखने को मिला होगा, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूले और ऐसे ही अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखे THEHALFWORLD वेबसाइट के साथ चलिए मिलते है नेक्स्ट आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा, धन्यवाद !
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