उन्नाव दुष्कर्म (unnav rap) पीड़िता की सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की और यह सुनवाई 12 जुलाई को चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी पर की गई। अब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि पीड़ित और उसके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इसके अलावा अंतरिम राहत के तौर पर 25 लाख मुआवजा भी दिया जाए। कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता से जुड़े सभी मामले दिल्ली ट्रांसफर करने के आदेश दिए। इसके अलावा सीबीआई को निर्देश दिया कि सड़क हादसे की जांच 7 दिन के भीतर और बाकी मामलों की सुनवाई 45 दिन के भीतर पूरी की जाए।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई करते हुए कहा- पीड़ित को अंतरिम राहत के तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार 25 लाख रुपए मुआवजा दे। इसके अलावा पीड़ित, उसके वकील, पीड़ित की मां, उसके 4 भाई-बहनों, उसके चाचा और उन्नाव में बेहद करीबी रिश्तेदारों को सुरक्षा देने के लिए कहा।
देश में आखिर चल क्या रहा है?-चीफ जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि इस हादसे की जांच के लिए आपको कितना वक्त चाहिए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि 7 दिन में जांच कीजिए न की एक महीने में।
पीड़िता 28 जुलाई को परिवार के साथ कार से उन्नाव से रायबरेली जा रही थी, जब एक ट्रक ने सामने से टक्कर मार दी। हादसे में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई। पीड़िता वेंटिलेटर पर है। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है।
पीड़िता, हालत नाजुक (वेंटिलेंटर)
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि पीड़िता की स्थिति अभी कैसी है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि वह वेंटिलेंटर पर है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या उसे कहीं शिफ्ट किया जा सकता है? क्या उसे एयरलिफ्ट किया जा सकता है? हम एम्स से इस बारे में पूछ सकते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि पीड़िता की हालत अभी नाजुक है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म मामले की जानकारी ली। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि दुष्कर्म से जुड़े मामले में 4 एफआईआर हुई थीं। ये आरोपियों और पीड़ित पक्ष ने एकदूसरे के खिलाफ दर्ज कराई हैं। पांचवीं एफआईआर रायबरेली में हुए कार एक्सीडेंट से जुड़ी है। पांच में से तीन मामलों में चार्जशीट दायर हो चुकी है।
हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म उन्नाव दुष्कर्म (unnav rap) पीड़िता को लखनऊ के अस्पताल से दिल्ली लाने का फैसला टाल दिया है। अब सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता के परिजन चाहते हैं कि जब तक उनकी बेटी और वकील की हालत ठीक नहीं हो जाती है, उन्हें लखनऊ के किंग जॉर्ज अस्पताल (केजीएमयू) से शिफ्ट न किया जाए। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने पीड़िता के चाचा को रायबरेली जेल से तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश भी दिया है।