माहवारी (Periods) को लेकर महिलाओं के साथ होने वाला सामाजिक भेदभाव और कानूनी सुरक्षा…

माहवारी (Periods) को लेकर महिलाओं के साथ होने वाला सामाजिक भेदभाव और कानूनी सुरक्षा....

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माहवारी Periods
माहवारी (Periods) को लेकर महिलाओं के साथ होने वाला सामाजिक भेदभाव और कानूनी सुरक्षा....

महिलाओं के साथ होने वाले पीरियड्स (Periods) एक ऐसी स्थिति है जिसे दुनिया में कई जगहों पर आज भी एक टैबू की तरह देखा जाता है। इसके बारे में बात करना भी मानो कोई अपराध हो । लेकिन समय के साथ चीजें सुधरती नज़र आ रही हैं। और लोग अब पीरियड्स (Periods) यानि माहवारी पर खुल कर बात करते हैं। कुछ देशों ने पीरियड्स (Periods) को लेकर अपना नज़रिया बदला है और महिलाओं के हक़ में कानून लाये है.

पीरियड्स के बारे में लोगों का नज़रिया, जो है बिलकुल गलत

पीरियड्स (Periods) के बारे में कई बातें आज के इतने विकसित युग में भी भारत के कई जगहों पर चर्चित हैं। भारत के कई हिस्सों में माहवारी को अपवित्र माना जाता है। पीरियड्स (Periods) को लेकर लोगों के बीच कई तरह की बातें प्रचलित हैं। दादी नानी के जमाने से चली आ रही इन्हीं प्रचलित बातों की वजह से लोगों के मन में कुछ ऐसी धारणाएं बनी हुई हैं जो पूरी तरह से गलत हैं। महिलाओं को पीरियड्स होने पर ऐसी हिदायतें दी जाती हैं जिसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं होता परन्तु महिलाओं को इनका सामना करना पड़ता हैं। हालांकि ये सभी रूढ़िवादी भ्रमों के अलावा कुछ भी नहीं है। हम सभी को पीरियड्स के पीछे के साइंस को समझना चाहिए।

पैड के इस्तेमाल से ब्लीडिंग कम होती है

jiyyo की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. पैड का इस्तेमाल करने से पीरियड्स (Periods) यानि माहवारी के दौरान महिलाओं को आसानी और आराम महसूस होता है। यह पहले ज़माने में इस्तेमाल हो रहे कपड़ों की अपेक्षा ज़्यादा आरामदायक होता है। यही कारण है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएँ पैड को इस्तेमाल करना ज़्यादा उचित समझती हैं।

पीरियड्स में महिलाएं ना नहा सकती हैं और न ही बाल धो सकती हैं

हाइजीन अर्थात सफ़ाई को बरकरार रखने के लिए रोज़ नहाना चाहिए फिर चाहे पीरियड्स के दिन ही क्यों न हों। बाल धुलने से महिलाओं की माहवारी की ब्लीडिंग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। पीरियड्स के दौरान सफ़ाई का ख़ास ख्याल रखना चाहिए अन्यथा इन्फेक्शन या संक्रमण का ख़तरा बढ़ सकता है।

भाग दौड़ से मना करना

पीरियड्स के दौरान लड़कियो को दौड़ने भागने, खेलने-कूदने, नृत्य करने तथा व्यायाम आदि करने से मना किया जाता है ताकि दर्द कम हो और आराम मिले जबकि यह बिल्कुल ग़लत है। ज़्यादा आराम करने से शरीर में रक्त का संचार अच्छे से नहीं हो पाता और दर्द भी अधिक महसूस होता है। पीरियड्स (Periods) के दौरान खेलने कूदने, व्यायाम करने से आपके शरीर में खून और ऑक्सीजन का बहाव तेज़ हो जाता है जिससे पेट में दर्द और ऐंठन जैसी समस्याएं नहीं होती। इसलिए पीरियड्स (Periods) के दौरान हल्का खेलकूद और व्यायाम करना उचित है।

अचार छूने से मना करना

पीरियड्स (Periods) में घर की बूढ़ी औरतें कहती हैं कि अचार को छुने से अचार ख़राब हो जाएगा जबकि ये सच नहीं हैं। पीरियड्स (Periods) यानि माहवारी के दौरान महिलाओं की योनि से रक्तस्राव होता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं होता कि उनके पूरे शरीर पर गंदगी आ गई। पीरियड्स में लड़की के शरीर या हाथों में बैक्टीरिया नहीं होते इसलिए अचार को छूने से वह ख़राब हो सकता है। अचार सिर्फ गीलेपन या पानी से भीगे हाथ से छूने से ही खराब होता हैं फिर चाहे उसे कोई पीरियड्स वाली महिला छुए या कोई सामान्य व्यक्ति।

पीरियड्स में खट्टी चीज़ों से मना करना

यह बात तो लगभग सभी महिलाएँ अपने पीरियड्स (Periods) के दौरान सुनती और देखती ही हैं। पीरियड्स (Periods) में खट्टा खाने से मना किया जाता है हालांकि ऐसी कोई बात नहीं है। पीरियड्स (Periods) के दौरान खट्टी चीज़ें खाने से कोई नुक़सान नहीं होता बस एक चीज़ का ख़याल रखें कि अति बुरी होती है इसलिए खट्टी चीज़ों को खाएं लेकिन अत्यधिक मात्रा में नहीं।

पीरियड्स एक हफ्ते चलना ही चाहिए

यह धारणा भी मेडिकल दृष्टि से सही नहीं है। पीरियड्स (Periods) की अवधि वैसे तो सात दिन तक मानी जाती है लेकिन कुछ महिलाओं को 2-3 दिन में ही खून आना बंद हो जाता है। यह बिलकुल सामान्य सी बात है। पीरियड्स कम से कम तीन दिन और ज्यादा से ज्यादा दस दिन तक होता है। कई महिलाओं को 3 दिन, किसी को 5 दिन और किसी किसी को पीरियड्स (Periods) के दौरान सात दिन तक रक्तस्राव हो सकता है। एस्ट्रोजन एक प्रकार का हॉर्मोन होता है जो आपके शरीर की चीज़ों को कंट्रोल करता है, जैसे कि शरीर के बाल, आवाज़, सेक्स करने की इच्छा आदि।

पीरियड्स में निकलने वाला खून गंदा होता है

पीरियड्स (Periods) के दौरान निकलने वाला खून नॉर्मल होता है। वेजाइना से निकलने वाले खून में वेजाइना के टिश्यू, सेल्स, और एस्ट्रोजन हॉर्मोन के कारण बच्चेदानी में खून और प्रोटीन के टुकड़े होते हैं। ये पीरियड्स के खून के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती हैं क्योंकि शरीर को इनकी ज़रूरत नहीं होती। यही कारण है कि पीरियड्स में निकलने वाले खून को गंदा माना जाता है जबकि यह नसों में बहने वाले खून के जैसा ही होता है।

पीरियड्स का ज्यादा आना

पीरियड्स (Periods) के दौरान अधिक खून आने का यह मतलब बिलकुल नहीं है कि वह लड़की अजीब या ऐब्नॉर्मल है। कभी कभी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को ज़्यादा खून आता है तो कभी कम। यह एक सामान्य प्रक्रिया है इसका किसी पुरानी बात से कोई लेना देना नहीं है।

पीरियड्स में पेड़ पौधों को नहीं छू सकते

कई लोग इस धारणा पर भरोसा करते हैं कि पीरियड्स (Periods) के दौरान अगर महिलाओं की छाया किसी पेड़ पर पड़ेगी तो वह सूख जाएगा। हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। पीरियड्स में महिलाओं को अपनी देखभाल करने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और उसके परिजनों को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए।

पीरियड्स में अपवित्र होती हैं महिलाएं

पीरियड्स (Periods) में महिलाओं को रसोई घर में जाने की अनुमति नहीं देते। उन्हें अशुद्ध मानते हैं। हालांकि ऐसी कोई बात नहीं होती। इस भावना को दूर करना चाहिए। जो लोग ऐसी फालतू चीजों को मानकर महिलाओं से पीरियड्स के दौरान भेदभाव करते हैं उन्हें सांस्कृतिक वर्जनाओं और कठोर परंपराओं के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।

मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे (Menstrual Hygiene Day) : इसका मकसद महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ-सफाई के महत्‍व को समझाना है. 2014 में जर्मनी के वॉश यूनाइटेड नाम के एक एनजीओ ने इसकी शुरुआत की थी. हर साल 28 मई को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे सेलिब्रेट किया जाता है. आमतौर पर ज्यादातर महिलाओं का मेंस्ट्रुअल साइकिल 28 दिन का होता है, इसलिए 28 मई को यह दिन मनाया जाने लगा.

भारत में मेंस्‍ट्रुअल लीव को लेकर कानून बनाने का प्रस्ताव

भारत में मेंस्‍ट्रुअल लीव (Menstrual leave) को लेकर अलग से कोई कानून नहीं है. 2017 में अरुणाचल प्रदेश से लोकसभा सदस्य निनॉन्ग एरिंग ने ‘द मेन्स्ट्रुएशन बैनिफिट’ बिल का प्रस्ताव रखा था. इसमें कामकाजी महिलाओं के लिए चार दिन की पेड पीरियड लीव (Menstrual leave) देने की बात कही गई. इसमें कहा गया था कि अगर कोई महिला लीव नहीं लेना चाहती तो उसे पीरियड्स (Periods) के दौरान दिनभर में 2 बार आधे घंटे का ब्रेक दिया जाना चाहिए. अगर कोई कंपनी छुट्टी देने से मना करे तो उस पर जुर्माना या फिर जेल की सजा का प्रावधान होना चाहिए. अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ. वैसे आपको बता दे कि देश की कई कंपनियां अपने यहां काम करने वाली महिलाओं को पेड पीरियड लीव (Menstrual leave) देती है. भारत में बिहार पहला ऐसा राज्य है जहां साल 1992 से महिला कर्मचारियों को 2 दिन की पीरियड्स लीव दी जाती है. इसकी शुरुआत लालू यादव ने की थी.

भारत में क्या हैं मासिक धर्म के दौरान छुट्टी के प्रावधान?

कई देशों ने तो वुमेन एम्प्लॉयीज के लिए पीरियड लीव भी देनी शुरू कर दी है। अच्छी बात ये है कि इनकी देखा-देखी Swiggy, Goozup, Byjus जैसी भारत की कुछ कंपनियों ने भी अपनी फीमेल एम्प्लॉयीज को पीरियड (Periods) के दौरान एक या दो दिन की छुट्टी (Menstrual leave) देने का सिस्टम बनाया हुआ है।

क्या आप जानते है 60 प्रतिशत से ज्यादा एशियाई देश महिलाओं को पेड पीरियड लीव (Menstrual leave) देते हैं.

स्पेन: देता है महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव

स्पेन की गिनती दुनिया के सबसे विकसित देशों में होती है और इन्हीं विकसित देशों में कई वेस्टर्न कन्ट्रीज भी आती हैं। लेकिन स्पेन की सरकार ने जो कदम उठाये हैं वो काफी प्रशंसनीय है।
स्पेन उन देशों में अब शामिल हो गया है जो महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव (Menstrual leave) देगा। चलिए आपको बताते हैं दुनिया के कौन – कौन से देश हैं जहाँ पीरियड्स (Periods) को लेकर छुट्टी के प्रावधान हैं। इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि भारत में कौन – कौन सी कंपनियां हैं जो पीरियड्स के दौरान महिला कर्मचारियों को छुट्टी देती है।

इंडोनेशिया में छुट्टे लेने के कड़े कानून

oneworldnews के मुताबिक इंडोनेशिया भी महिलाओं को महीने में दो दिन की पीरियड्स (Periods) की छुट्टी देता है। हालांकि, इंडोनेशिया में यह देखा गया है कि शायद ही महिलाएं इस छुट्टी का इस्तेमाल करती हैं। इसकी वजह बहुत ही अलग है। इंडोनेशिया में पीरियड्स की छुट्टी (Menstrual leave) लेने के लिए उन्हें एक खतरनाक फिजिकल एक्जाम से गुजरना पड़ता है शायद इसलिए यहाँ छुट्टी लेना कठिन है।

चीन में एक या दो दिन की छुट्टी ले सकती महिलायें

चीन के मध्य अनहुई प्रांत में महिला कर्मचारी पीरियड्स (Periods) में एक या दो दिन की छुट्टी ले सकती हैं। चीन के प्रावधान के अनुसार महिला कर्मचारी अपने पीरियड्स (Periods) के दौरान अस्पताल से सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद एक या दो दिन की छुट्टी ले सकती हैं। वैसे आपको बता दें कि इस तरह के कानून का पालन चीन के अलावा कई प्रान्त भी करते है.
उत्तरी शांक्सी प्रांत और मध्य हेबेई प्रांत में भी महिलाओं को पहले से ही पीरियड्स (Periods) यानी मासिक धर्म के दौरान छुट्टी (Menstrual leave) दी जाती है। इसे लागू करने के लिए डॉक्टर के नोट की जरूरत पड़ती है उसके बाद कोई भी महिला कर्मचारी जो मेंस्ट्रुएट हो रही हैं वो छुट्टी ले सकती हैं।

जापान : पीरियड को लेके कानून काफी पॉपुलर हुआ

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से जापान में पीरियड लीव (Menstrual leave) का प्रावधान शुरू किया गया। सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद से जापान में महिलाओं को पीरियड लीव (Menstrual leave) दी जाती है। 1947 के श्रम मानक कानून यह कहता है कि, पीरियड से पीड़ित महिलाएं दर्द का अनुभव करती हैं। वैसे आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि जिस समय यह कानून लिखा जा रहा था, उस समय फैक्ट्री बसों और बस स्टैंड जैसे वर्कप्लेस में महिलायें काम करती थीं। इस समय यह कानून काफी पॉपुलर हुआ और 26 प्रतिशत महिलाएं हर महीने इसका उपयोग करती थीं।

जाम्बिया

दुनिया के कई देशों की तरह जाम्बिया में महिला एम्प्लॉयीज को हर महीने एक दिन की पीरियड लीव (Menstrual leave) दी जाती है।

रूस: को भी आया महिलाओं के लिए पीरियड की छुट्टी का विचार

महिलाओं के लिए पीरियड (Periods) की छुट्टी का विचार रूस में भी 2013 में भी आया था, लेकिन इसका कोई खास फायदा नहीं हुआ। रूस में अब तक पीरियड को लेकर अवकाश का कोई प्रावधान नहीं है।

ताइवान: में भी दी जाती है लीव

ताइवान ऐसा देश है जिसने कुछ ही समय पीरियड्स (Periods) को लेकर छुट्टी देने का नियम बनाया है। ताइवान ने कुछ ही समय पहले मासिक धर्म अवकाश कानून बनाया है। ताइवान का कानून देश के रोजगार में लैंगिक समानता अधिनियम में 2013 का संशोधन महिला श्रमिकों को वर्ष में 3 दिन पीरियड लीव (Menstrual leave) देता है। यानी देश की हर महिला जो वर्किंग है वह वर्ष में 3 दिनों का पीरियड लीव ले सकती है।

साउथ कोरिया : में पीरियड लीव नहीं देने पर सज़ा

साउथ कोरिया में वुमन वकर्स को 2001 से पीरियड्स की छुट्टी दी जा रही है। लेकिन आपको बता दें कि कोरिया के पुरुष इस छुट्टी को भेदभाऊ के रूप में देखते हैं। पुरुषों को लगता है कि महिलाएं इसका फायदा उठाती हैं। लेकिन इसे लेकर वहाँ सख्त कानून भी है। साउथ कोरिया में जो पीरियड लीव (Menstrual leave) देने से इंकार करते हैं, उन्हें दो साल तक की जेल हो सकती है।

इन कंपनियों में हुई पीरियड लीव की शुरुआत

यूके की एक ब्रिस्टल कंपनी, जिसे ‘कोएक्सिस्ट’ कहा जाता है, एक आधिकारिक पीरियड (Periods) पॉलिसी बनाने की योजना बना रही है, जो महिलाओं को उनकी अवधि के दौरान उन्हें आराम देने की अनुमति देती है। कोएक्जिस्ट के निदेशक बेक्स बेक्सटर का कहना है कि यह कदम शरीर के प्राकृतिक चक्रों के साथ काम को सिंक्रनाइज़ करने का एकमात्र प्रयास है।