Marital rape : पत्नी से रेप अपराध है या नहीं?

Marital rape : पत्नी से रेप अपराध या नहीं? दिल्ली HC के जज एकमत नहीं...

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Marital rape
Marital rape पत्नी से रेप अपराध या नहीं दिल्ली HC के जज एकमत नहीं...

इस साल कोर्ट ने महिलाओं के लिए एक ज़रूरी फैसला सुनाया, साल मार्च में कर्नाटक हाईकोर्ट ने मैरिटल रेप (Marital rape) के एक मामले में एक अहम् फैंसला सुनाया था. पत्नी से रेप (Marital rape) के एक आरोपी के खिलाफ ट्रायल जारी रखने का फैसला सुना दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक नहीं लगाने का फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के ऑर्डर पर स्टे की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

क्या था यह मामला ?

Thelallantop के की रिपोर्ट के अनुसार 21 मार्च, 2017. को पुलिस के पास एक मामला दर्ज हुआ जिसमे एक महिला ने अपने पति के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. IPC की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 498-ए (हरासमेंट), 323 (मारपीट), 377 (अननैचुरल सेक्स) और POCSO की धारा 10 के तहत. पुलिस ने जांच के बाद पति के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की. मामले में 10 अगस्त, 2018 को स्पेशल कोर्ट ने आरोपी पति के ख़िलाफ़ IPC की धारा 376 (Rape), 498-ए (हरासमेंट) और 506 (आपराधिक धमकी) और POCSO ऐक्ट की संबंधित धाराओं के तहत सज़ा सुनाई. इसके बाद आरोपी (दोषी) ने हाई कोर्ट का रुख किया.

पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता…

23 मार्च, 2022 को कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में फ़ैसला सुनाया. कोर्ट ने सेशन्स कोर्ट के फ़ैसले को बरक़रार रखने का आदेश दिया. अदालत ने पति के इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया कि IPC की धारा 375 के अपवाद की वजह से उसके जुर्म तय नहीं किया जा सकता. धारा 375 का ‘अपवाद’ भी जान लीजिए. दरअसल, IPC की धारा 375 का एक्सेप्शन-2, एक पुरुष के अपनी पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध (Marital rape) के मामलों को बलात्कार नहीं मानता है. अगर पत्नी की उम्र 15 साल या उससे ज़्यादा हो.

ऐक्ट ऐक्ट है; बलात्कार बलात्कार है, चाहे वो पति करे या पत्नी.”

मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल-जज-बेंच ने कहा था, “पेटिशनर के वकील का तर्क है कि वो काम जो किसी और आदमी के लिए दंडनीय होता, आरोपी के पति होने की वजह से उस पर लागू नहीं होता. मेरे विचार में इस तरह के तर्क का समर्थन नहीं किया जा सकता है. एक आदमी एक आदमी है; ऐक्ट ऐक्ट है; बलात्कार बलात्कार है, चाहे वो पति करे या पत्नी.”

अपने लिखित बयान में केंद्र ने कहा था,

“कई अन्य देशों ने मैरिटल रेप (Marital rape) को अपराध घोषित कर दिया है. ज़्यादातर पश्चिमी. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत को भी आंख बंद करके उनका पालन करना चाहिए. इस देश की लिट्रेसी, महिलाओं की फ़ाइनैनशियल स्थिति, समाज की मानसिकता, विविधता, ग़रीबी जैसे अपनी अलग समस्याएं हैं और मैरिटल रेप (Marital rape) को अपराध बनाने से पहले इन पर ध्यान से विचार किया जाना चाहिए.”

सरकार क्या कहती है?

जनवरी में केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा था कि मैरिटल रेप का अपराधीकरण ‘झूठे मामलों की बाढ़ ला सकता है.’
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस साल जनवरी में मैरिटल रेप (Marital rape) को अपराध की श्रेणी में डालने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी. फैसले का इंतज़ार है.

जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने क्या कहा ?

“एक संस्था के तौर पर शादी किसी भी तरह का मेल प्रिविलेज न देती है, न दे सकती है. मेरे नज़रिए में इसे महिला के ऊपर एक खतरनाक जानवर को छोड़ देने का लाइसेंस नहीं माना जाना चाहिए.

क़ानून बनाने वालों को क़ानून में ऐसी ग़ैर-बराबरी पर विचार करना चाहिए

संविधान बराबरी का प्रतीक है. संविधान के तहत सभी इंसानों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए. चाहे वो पुरुष हो, महिला हो या अन्य. IPC की धारा 375 का एक्सेप्शन-2 संविधान के द्वारा दी गई बराबरी को बदल नहीं सकता. मेरी समझ में ये प्रावधान प्रेग्रेसिव नहीं, रिग्रेसिव है, जिसमें एक महिला को पति के अधीन माना जाता है. ये बराबरी नहीं है. क़ानून बनाने वालों को क़ानून में ऐसी ग़ैर-बराबरी पर विचार करना चाहिए.”

सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है ?

कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चैलेंज करते हुए आरोपी पति ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाल दी. हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे की मांग की. CJI एनवी रमना, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने स्टे लगाने से इनकार कर दिया. “उम्मीद करते हैं कि वैवाहिक बलात्कार को जल्द ही असंवैधानिक घोषित कर दिया जाएगा.”

NFHS-5 का क्या कहना है ?

सरकार कुछ साफ़ नहीं कहती, लेकिन लोग (पढ़ें समाज) क्या कहते हैं, इस पर सरकार का ही एक सर्वे आया है. NFHS यानी नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे. सर्वे में ये पता चला है कि पुरुषों के एक बड़े तबके का मानना ​​है कि अगर पत्नी थकी हुई है, तो उसका अपने पति से सेक्स करने से इनकार करना ठीक है.
80% महिला पार्टिसिपेंट्स का मानना ​​है कि तीन वजहों से अपने पति को सेक्स के लिए मना करना ठीक है. तीन कारण क्या? पहला कि अगर पति को STD हो. दूसरा कि वो अन्य महिलाओं के साथ यौन संबंध रखता हो. और तीसरा, कि महिला थकी हुई हो या मूड में न हो. 80 के बरक्स 66% पुरुष भी इस बात से सहमत हैं. पिछले सर्वे के मुक़ाबले, सहमति के इस नंबर में 12% महिलाएं और केवल 3% और जुड़ गए हैं.

‘नो इज़ नो’

‘नो इज़ नो’ की धज्जइयां उड़ाते हुए 8 फीसदी महिलाएं और 10 फीसदी पुरुष इस बात से सहमत नहीं हैं कि पत्नी किसी भी कारण से अपने पति को सेक्स करने से मना कर सकती है. डोमेस्टिक वायलेंस एक चिंता में डालने वाला मुद्दा है. सर्वे से पता चला है कि 44% पुरुष और 45% महिलाएं ये मानती हैं कि एक पति का अपनी पत्नी को पीटना ठीक है.

21 फरवरी को सुरक्षित रखा गया था फैसला

aajtak की रिपोर्ट के अनुसार वैवाहिक रेप को अपराध घोषित किया जाए या नहीं इसपर दिल्ली हाईकोर्ट को आज फैसला सुनाना था. इस मामले में पहले केंद्र सरकार ने मौजूदा कानून की तरफदारी की थी लेकिन बाद में यू टर्न लेते हुए इसमें बदलाव की वकालत की. हाई कोर्ट ने 21 फरवरी को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
फरवरी में हुई सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में संवैधानिक चुनौतियों के साथ-साथ सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर पड़ने वाले असर का भी अध्ययन करना जरूरी है.
आगे कहा गया था कि कानून, समाज, परिवार और संविधान से संबंधित इस मामले में हमें राज्य सरकारों के विचार जानना जरूरी होगा.

10 में से 3 महिला पति की यौन हिंसा की शिकार

मैरिटल रेप (Marital rape) को भले ही अपराध नहीं माना जाता, लेकिन अब भी कई सारी भारतीय महिलाएं इसका सामना करती हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) के मुताबिक, देश में अब भी 29 फीसदी से ज्यादा ऐसी महिलाएं हैं जो पति की शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करती हैं. ग्रामीण और शहरी इलाकों में अंतर और भी ज्यादा है. गांवों में 32% और शहरों में 24% ऐसी महिलाएं हैं.