रूस से जंग के बीच यूक्रेन (Ukraine) के कई लोग अपने वतन वापस लौटने लगे हैं। पोलैंड की पश्चिमी सीमा के पास मोस्टिस्का शहर में रहने वाले ओलेना और मारिया विदेश में एक महीने से अधिक समय रहने के बाद अपने होमटाउन वापस लौटीं। 10 मार्च को जैसे ही जंग की घोषणा हुई ओलेना के पति ने कहा कि अपनी बेटी को साथ और देश छोड़ दो। 60 साल की महिला जंग के बीच भी घर छोड़ने को तैयार नहीं है। वह कहती हैं मुझे नहीं पता कि मैं कब तक जिंदा रहूंगी, लेकिन मैं अपने घर में ही मरूंगी।
रूस ने मारियुपोल के ड्रामा थिएटर पर हमला किया है, जहां कम से कम 1,000 नागरिक शरण लिए हुए हैं।
जंग के बीच 10 मिलियन लोगों ने छोड़ा घर –
एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस के आक्रमण के बाद से, 10 मिलियन से अधिक लोगों ने यूक्रेन (Ukraine) में अपना घर छोड़ दिया है, और उनमें से 4.3 मिलियन लोग देश छोड़ चुके हैं। लेकिन जैसे-जैसे अब सब कुछ संभल रहा है लोग अपने घरों को वापस लौट रहे हैं। दो महीने से जंग जारी है।
अपने घरों में वापस लौटने को लोग परेशान –
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अब इस सैन्य अभियान के जरिए अधिक से अधिक जमीन पर कब्जा करना चाह रहे हैं। इसके बाद अब ये चिंता जताई जा रही है कि देश के पूर्व और दक्षिण की तरफ ये जंग अब अधिक लंबा खिंच सकती है। विदेशों में रह रहे शरणार्थी अपनी जिंदगी से थक चुके हैं। अब वह कई कारणों को लेकर अपने देश लौटना चाहते हैं। लोग अब वापस जाकर अपने घर में पड़े डॉक्यूमेंट्स को संभालना चाहते हैं, इसके अलावा कई ऐसी भी परिवार हैं जिनमें कई कारणों से महिलाओं को देश छोड़ कर सुरक्षित जगह पर जाना पड़ा। अब वह अपने पति और बच्चे के पास वापस लौटना चाहती हैं।
ईस्टर पर वापस लौटे कई लोग –
यूक्रेनी (Ukraine) महिला सोफिया बॉर्डर क्रॉसिंग पर एक फास्ट-फूड स्टॉल से हॉट डॉग खा रही है। इस जंग के बीच उसकी मां उसे वापस घर आने को मना कर रही हैं, लेकिन इन सबके बीच वह अपनी मां की बात को नहीं मानते हुए वापस अपने घर आ रही है। वह पोलैंड की सुरक्षा में सिर्फ तीन सप्ताह के बाद घर वापस आने का सोचा। सोफिया कहती है जंग-जंग है लेकिन ईस्टर ईस्टर है, भला ईस्टर में कैसे कोई अपने परिवार से दूर रह सकता है। वह अपने परिवार के लोगों से मिलने को काफी उत्सुक है।
जंग के बीच फर्श पर गुजरी जिंदगी –
ओलेना और मारिया पोलिश शहर के स्ज़ेसिन में एक दोस्त के घर कुछ दिन रहने चले गए। इस दौरान उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। यहां तक कि सोने के लिए बेड तक नहीं थे, उन्होंने जमीन पर सोकर अपने दिन गुजारे। उन्हें वहां के भाषा की समझ भी नहीं थी, इसलिए काम ढूंढने में भी काफी संघर्ष करना पड़ा। इसलिए अब उन्होंने अपने देश वापस लौटना सही समझा। ओलेना के पति एक एम्बुलेंस ड्राइवर हैं और अभी भी स्लोवायांस्क में अपने परिवार का इंतजार कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि अपने देश वापस लौटने पर कैसा महसूस हो रहा है, इसपर ओलेना के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, वह कहती है कि हम यूक्रेन (Ukraine) में वापस आकर बहुत खुश हैं।
यूक्रेन (Ukraine) के बेवसाइट dnepr.express का दावा है कि यूक्रेन की सेना और नागरिकों ने रूसी सेना के कई सैनिकों को मार गिराया है। रूस और यूक्रेन की जंग में मरने वालों के शवों को अतिंम संस्कार भी नसीब नहीं हो रहा है।
कई सुविधाओं के बाद भी घर जैसा महसूस नहीं होता –
सोफिया कहती हैं, रुसी बमबारी के कारण मेरे परिवार ने उसे उसकी दादी के दोस्त के यहां भेज दिया ताकि वे सुरक्षित रह सके। वह कहती है कि मैं अपने परिवार को छोड़कर जाना नहीं चाहती थी लेकिन मेरी मां ने मुझे जाने को मजबूर किया। पोलिश सरकार द्वारा शरणार्थियों की मदद के बावजूद, वहां के लोग और सैनिकों ने काफी मदद की। वहां हर कोई आपकी मदद कर रहा है। लेकिन वहां घर जैसा महसूस नहीं होता।
युद्ध छिड़ने के वक्त 2.65 लाख यूक्रेनी महिलाएं गर्भवती थीं। इनमें से 80 हजार बच्चों का जन्म अगले तीन महीने में होना है। हालात यह है कि गर्भवतियों को ठंडे, जर्जर बेसमेंट या भीड़ भरे सब-वे स्टेशनों पर डिलीवरी के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
रूसी सैनिकों ने कई नागरिकों को मार दी थी गोली –
लविवि गवर्नर के कार्यालय में इरिना की एक दोस्त ने उन्हें वापस लौटने को मना किया। उन्होंने बताया कि वह हर दिन लोगों की जान बचाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने बुका के पास अपने घर से लविवि आने वाली एक महिला के बारे में बताया कि वह भी अपने घर गई थी, जहां रूसी सैनिकों ने कई नागरिकों को गोली मार दी थी और सड़क पर हर जगह शव दिख रहे थे।
देश आने जाने वालों की संख्या बराबर –
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने घरों को लौट रहे हैं। पोलिश बॉर्डर गार्ड्स का कहना है कि यूक्रेन (Ukraine) से आने-जाने वाले लोगों की संख्या अब बराबर दिख रही है। बुधवार को 24,700 लोग यूक्रेन से पोलैंड आए, जबकि 20,000 लोग वहां से दूसरे जगह सुरक्षित स्थान पर गए। आधिकारिक रिकॉर्ड बताता है कि 6 मार्च को 1 लाख 42 हजार लोग पोलैंड गए थे। ल्विव-होलोव्नी रेलवे स्टेशन पश्चिमी यूक्रेन में एक प्रमुख हब है। युद्धग्रस्त क्षेत्रों से प्रतिदिन हजारों की संख्या में ट्रेनें आती हैं। यहां चैरिटी भोजन, कपड़े और सिम कार्ड देती है, जबकि कोच यात्रियों को ग्रामीण इलाकों या सीमा तक ले जाने के लिए मदद करते हैं।
देश से जाने का टिकट मिल रहा फ्री –
इरीना, उनकी बेटी कतेरीना, मां लीना और सास येवगेन्या मध्य यूक्रेन के एक शहर क्रिवी रिह से हैं, जो लाइन में सबसे आगे हैं। उन्होंने जंग शुरू होते ही मोल्दोवा शहर में रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए देश छोड़ दिया, लेकिन अब उन्होंने भी वापस लौटने का फैसला किया है। उन्हें इस यात्रा के लिए टिकट खरीदना पड़ा है। इसके विपरीत, लड़ाई से दूर पश्चिम की ओर जाने के लिए यात्रा मुफ्त है।
बेटी की सुरक्षा की चिंता सता रही –
इरीना कहती हैं कि वे जल्दी वापस आ जाती, लेकिन उन्हें अपनी आठ साल की बेटी के बीमारी से ठीक होने का इंतजार करना पड़ा। वह कहती हैं कि अपना घर-घर होता है। जब उनसे पूछा गया कि वे वहां से वापस लौटने को क्यों इतनी ज्यादा परेशान हैं, इस पर वह कहती हैं कि मुझे अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंता हैं। जब वह अपने देश को छोड़ तक जा रही थी तो रूसी सैनिक काफी दूर थे लेकिन अब वह काफी नजदीक आ चुके हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने इस बारे में अपनी बेटी को बताया है। इस पर वह कहती हैं कि मेरे बेटी को इस बारे में सब कुछ मालूम है।