आधुनिक भारत के वास्तुकार डॉ. आंबेडकर (Dr. Ambedkar) ने महिलाओं के अधिकारों के लिए मंत्री पद से दे दिया था इस्तीफा

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डॉ. आंबेडकर Dr. Ambedkar
Dr. B.R._Ambedkar (Wikipedia pic)

डॉ. आंबेडकर (Dr. Ambedkar) का नाम आते ही भारतीय सविंधान व दलित पिछड़ों के उद्दार की बात सामने आती है परन्तु उससे भी बड़ी बात है भारतीय महिलाओं के अधिकारों की बात, भारतीय संस्कृति में पलने वाले अनेकों रिवाजों के कारण हजारों सालों से महिलाओं का शोषण होता रहा व अनेक रूढ़िवादी विचारों से उनको कई अधिकारों से वंचित रखा गया. परन्तु जब भातीय सविंधान बना तो महिलाओं को भी कई अधिकार अपने आप मिल गए तथा उनके अधिकारों के लिए अलग से कानून भी बनाया गया. डॉ. भीमराव आंबेडकर ने सविंधान में हिन्दू कोड बिल रखा परन्तु उसका कई लोगों ने विरोध किया.

भारत की आजादी के बाद भारत का संविधान बनाने में जुटी संविधान सभा के सामने 11 अप्रैल 1947 को डॉ. आंबेडकर (Dr. Ambedkar) ने हिंदू कोड बिल पेश किया. मुख्य रूप से इस बिल में बिना वसीयत किए मृत्यु को प्राप्त हो जाने वाले हिंदू पुरुषों और महिलाओं की संपत्ति के बंटवारे के संबंध में प्रस्ताव था.

इस विधेयक में मुख्य रूप से यह था की पिता की सम्पति पर उनके पुत्र व पुत्री का सामान अधिकार था.
तथा बिल में महिला पुरुष के विवाह संबंधी प्रावधानों में बदलाव किया गया. यह दो प्रकार के विवाहों को मान्यता देता था-सांस्कारिक व सिविल. इसमें हिंदू पुरूषों द्वारा एक से अधिक महिलाओं से शादी करने पर प्रतिबंध लगे गया था तथा आपसी मन मुटाव संबंधी प्रावधान भी रखे गए. इस कानून से हिन्दू महिलाओं को भी पुरुषों के सामान अधिकार दिया जा रहा था.

साथ ही यह बिल ऐसी सभी कुरीतियों को हिंदू धर्म से दूर कर रहा था जिन्हें परंपरा के नाम पर कुछ हिन्दू कट्टरपंथी जिंदा रखना चाहते थे. परन्तु इस बिल का जोरदार विरोध हुआ.

इसके बाद में 1951 को डॉ. आंबेडकर (Dr. Ambedkar) ने हिंदू कोड बिल को संसद में पेश किया. परन्तु इस बिल को लेकर संसद के अंदर और बाहर विद्रोह हुआ. तथा कथित रूढ़िवादी लोग तथा सनातनी धर्मावलम्बी के लोगों ने आंबेडकर के विरोधी हो गए. यहाँ तक की महिलाओं ने भी इस बिल का विरोध किया.

डॉ आंबेडकर हिंदू कोड बिल पारित करवाने को लेकर काफी चिंतित थे. वो हिन्दू महिलाओं को बराबर का अधिकार दिलाना चाहते थे. वे कहते थे, ‘मुझे भारतीय संविधान के निर्माण से अधिक दिलचस्पी और खुशी हिंदू कोड बिल पास कराने में है.’ तथा सरकार ने भी उनका साथ नहीं दिया, यह बिल उस समय पारित नहीं हो सका.
डॉ. आंबेडकर ने हिंदू कोड बिल समेत अन्य मुद्दों को लेकर कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.

पहले लोकसभा चुनाव के बाद 1955 में हिंदू मैरिज एक्ट बनाया गया. जिसके तहत तलाक को कानूनी दर्जा, अलग-अलग जातियों के स्त्री-पुरूष को एक-दूसरे से विवाह का अधिकार और बहुविवाह गैरकानूनी घोषित किया गया. 1956 में ही हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, हिंदू दत्तक ग्रहण और पोषण अधिनियम और हिंदू अवयस्कता और संरक्षकता अधिनियम लागू हुए.
मुख्या रूप से यह कानून महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा देने के लिए लाए गये थे. इसके तहत पहली बार महिलाओं को संपत्ति में अधिकार दिया गया. लड़कियों को गोद लेने पर जोर भी दिया गया. महिलाओं के अधिकारों और उनके लिए आरक्षण का प्रावधान भी कई बार रखा गया परन्तु आज भी महिलाओं के लिए आरक्षण पास नहीं हो सका.

डॉ. आंबेडकर (Dr. Ambedkar) अछूतों के अलावा महिलाओं के लिए चिंतित रहते थे उनका मानना था की जिस समाज में महिलाएं आगे बढ़ेगी वो समाज हमेशा आगे रहेगा. आज भारतीय महिलाएं अनेक पदों पर सुशोभित है तथा कई रूढ़िवादी विचारधाराओं से भी आगे निकली है.

Edited by Dharm Pal