सभी जगह आज चर्चा इस बात की हो रही है कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के अंदर मिला स्ट्रक्चर शिवलिंग है या फिर फव्वारा. लेकिन क्या आप जानते है ये जंग किसने और कैसे शुरू की.ये पूरा मामला पांच महिलाओं की तरफ से दायर याचिका के कारण सामने आया. इन सभी महिलाओं ने श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) ने पूरे साल दर्शन और पूजन के लिए रास्ता खोले जाने के साथ ही मस्जिद के अंदर देवी-देवताओं की जानकारी उपलब्ध कराने की मांग की थी. आइए जानते हैं कि ये महिलाएं कौन हैं?
ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़ी पांच महिलाएं – Five women related to Gyanvapi episode
zeenews की रिपोर्ट के अनुसार ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Mosque) में मुकदमा दायर करने वाली 5 याचिकाकर्ताओं में से एक दिल्ली की रहने वाली हैं और बाकी चार महिलाएं वाराणसी की रहने वाली है. इन महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर के अंदर ‘श्रृंगार गौरी स्थल’ पर प्रार्थना करने की अनुमति मांगी है. इन महिलाओं के नाम हैं-राखी सिंह, सीता साहू, लक्ष्मी देवी,मंजू और रेखा पाठक.
राखी सिंह-दिल्ली – Rakhi Singh-Delhi
राखी सिंह दिल्ली की हौज़ ख़ास की रहने वाली हैं. राखी वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जीतेन्द्र सिंह बिसेन से जुडी हुई है. राखी के पति का नाम इंद्रजीत सिंह हैं और लखनऊ के हुसैनगंज का भी एक स्थानीय पता है. बनारस की याचिका कर्ता बाकी महिलाओं से इनका संपर्क कम ही है .
लक्ष्मी देवी (वाराणसी) – Lakshmi Devi (Varanasi)
लक्ष्मी देवी के पति डाक्टर सोहन लाल आर्य हैं जो बनारस के महमूरगंज निवासी है. सोहन लाल आर्य श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में इससे पहले 1996 में एक याचिका दायर की थी. यह किसी संगठन से नहीं जुड़ी हैं. घर गृहस्थी संभालती हैं.
सीता साहू (वाराणसी) – Sita Sahu (Varanasi)
सीता साहू बनारस के चेतगंज के में रहती है. उनके पति गोपाल साहू बिजनेस करते हैं. सीता साहू ज्ञानवापी परिसर से महज 2 किमी दूर अपने घर से एक छोटा सा जनरल स्टोर चलाती हैं. ये भी किसी संगठन से नहीं जुड़ी हैं.
मंजू व्यास (वाराणसी) – Manju Vyas (Varanasi)
काशी के ही राम घाट मोहल्ले की रहने वाली मंजू व्यास इस याचिका में चौथी महिला हैं. उनके पति विक्रम व्यास हैं जो बिजनेस करते थे.
रेखा पाठक (वाराणसी) – Rekha Pathak (Varanasi)
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के समीप स्थित हनुमान पाठक क्षेत्र की निवासी रेखा पाठक गृहिणी हैं.
वादी रेखा पाठक ने किया जीत का दावा – Wadi Rekha Pathak claimed victory
काशी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में सुनवाई से ठीक पहले पांच वादी महिलाओं में से एक रेखा पाठक ने बड़ा दावा किया है. रेखा पाठक ने जी मीडिया से बातचीत में कहा ज्ञानवापी का फैसला हमारे पक्ष में ही आएगा. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों का दावा बिल्कुल निराधार है न तो जमीन मुस्लिमों की है और न ही वक्फ बोर्ड की और ना ही वहां मस्जिद है. ज्ञानवापी हिंदुओं की आस्था का एक केंद्र है. वहां पर भगवान आदि विशेश्वर का शिवलिंग है.
सर्वे के दौरान ही बाबा हमें मिल गए थे और अब कानूनी लड़ाई में हमारी जीत होगी. रेखा पाठक ने बताया कि काशी वासियों से अपील की गई है कि वह अपने घरों व छतों के बालकनी से ताली, थाली व घंटे-घड़ियाल बजाएं जाएं ताकि हिंदुओं के आस्था को प्रकट किया जा सके.रेखा पाठक ने कहा कि इस फैसले के बाद आगे ढांचे को गिराने, शिवलिंग के नियमित दर्शन-पूजन के अधिकार व एएसआई करने की मांग की जाएगी.
क्या है वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद का पूरा मामला ? – What is the whole matter of Varanasi Gyanvapi Masjid?
मई के महीने में वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) का सर्वे किया गया था. यह सर्वे तीन दिन (14 मई से 16 मई) तक चला था. इसके बाद 19 मई 2022 को इस मामले में कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने 12 पन्ने की एक रिपोर्ट पेश की थी. वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन के सामने इन तीन दिनों के सर्वे की रिपोर्ट में वजू के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तालाब के बीच में एक शिवलिंगनुमा आकृति का जिक्र था.
- रिपोर्ट में कोर्ट कमिश्नर ने बताया था कि नगर निगम के एक कर्मचारी को सीढ़ी पर लिटाकर तालाब के बीचों-बीच भेजा गया और पानी कम कराकर मछलियों को सेफ रखने के लिए मत्स्य पालन अधिकारी से सलाह ली गई. बताया गया कि 2 फीट तक पानी लेवल में रहेगा, तो मछलियों को नुकसान नहीं होगा. इसके बाद सलाह के मुताबिक, पानी कम किया गया. पानी का स्तर नीचे आया तो पत्थर की एक काली गोलाकार आकृति दिखाई दी.
- इस पत्थर की ऊंचाई करीब 2.5 फीट आंकी गई और आकृति के टॉप पर एक कटा हुआ गोलाकार डिजाइन का अलग पत्थर दिखाई पड़ा. देखा गया कि पत्थर के बीच में आधे इंच से कम का एक गोल छेद बना हुआ था. इसमें सींक डालकर मापा गया कि गहराई 63 सेंटीमीटर है. फिर, गोलाकार आकृति के बेस का व्यास भी 4 फीट का मिला.
- वादी पक्ष इसे काले पत्थर का शिवलिंग बताने लगा. हालांकि, प्रतिवादी पक्ष के वकील ने इसे फव्वारा बताया. इसके बाद सर्वे टीम ने वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की और रिपोर्ट को सील बंद कर दिया गया.
- इसके अलावा, अंजुमन इंताजामिया के मुंशी एजाज मोहम्मद से जब यह पूछा गया कि फव्वारा कबसे बंद है तो वह ठीक-ठीक जवाब नहीं दे पाए. पहले उन्होंने इसे 20 साल से बंद बताया और फिर कहा कि फव्वारा 12 साल से बंद पड़ा है. जब उन्हें फव्वारा चालू करने के लिए कहा गया तो मुंशी ने असमर्थता जताई. आकृति में जो 63 सेंटीमीटर गहरा छेद मिला था, फसमें पानी का पाइप नहीं घुसाया जा सकता था.
- इसके बाद वजू के तालाब को नापा गया, जो 33 मीटर X 33 मीटर के दायरे में मिला. इसके अंदर ही पत्थर की आकृति मिली थी. इस आकृति की सतह पर अलग तरह का एक घोल चढ़ा हुआ था. कहीं-कहीं पर चटका हुआ भी लग रहा था. शायद काफी समय से पानी में डूबे रहने के कारण इसपर काई जमी हुई थी.
- बता दें, इससे पहले कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने 6-7 मई 2022 को सर्वे रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें खंडित मूर्तियों, देवातओं की कलाकृतियों और कमल की कलाकृतियों के होने का जिक्र था.