एक रिसर्च के अनुसार 1950 से लेकर अब तक कम से कम 2900 से लेकर 3200 पीडोफाइल पादरी या चर्च के अन्य सदस्यों का उत्पीड़न के मामले खुलासा हो चुका है।
पूरी दुनिया की तरह भारत में भी धर्म स्थलों में यौन शोषण के मामले का पर्दाफाश हुआ है. साल 2018 में चले मी टू अभियान में हज जाने वाली महिलाओं के साथ भी यौन शोषण के मामले उजागर हुए थे।
हम अगर बात करे भारत की राजधानी नई दिल्ली की तो महिलाओ के साथ किये जाने वाले जुर्मो के मामले में यह शहर लगभग अपनी छवि ख़राब कर ही चुका हैं, सरकार के आंकड़े उठाकर देखे तो आपको हैरान कर देंगे।
वैसे तो योन शोषण के मामले लगभग दुनिया के हर कोने से सामने आते है लेकिन सभी हदे तब पार हो जाती है जब ऐसे स्थान को पवित्र मानकर दिन में लाखों लोग दुआ मांगने आते हों, शांति की खोज में समय बिताना चाहते हों और उस जगह कोई ऐसा दरिंदा भी मौजूद हो जो योन शोषण जैसे अपराध को अंजाम दे रहा हो तो आस्था घृणा में बदल जाती है। वैसे तो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे लगभग सभी जगहों पर यौन शोषण के मामले उजागर हुए है पर चर्च में बच्चों के यौन शोषण के मामले सबसे अधिक सामने आये हैं।
फ्रांस की एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि साल 1950 से लेकर अब तक फ्रांस की कैथोलिक चर्चों के अंदर हजारों बाल यौन उत्पीड़क सक्रिय थे। फ्रांस की चर्चों में बाल यौन शोषण के मामलों की जांच में लगे स्वतंत्र कमीशन ने इसकी जानकारी दी है। इस रिसर्च में पाया गया कि 1950 से लेकर अब तक कम-से-कम 2900 से लेकर 3200 बाल यौन उत्पीड़क के मामले सामने आये है जिनमे पादरी या चर्च के अन्य सदस्यों का हाथ था। और रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़े कई गुना हो सकते है। फ्रांस के चर्चों पर ढाई साल की गहन रिसर्च के बाद यह नतीजे सामने आये है। रिसर्च को चर्च, कोर्ट, पुलिस आर्काइव और गवाहों के साक्षात्कारों के आधार पर तैयार किया गया है।
आपको बता दे कि यह रिपोर्ट 2500 पन्नों में तैयार की गई है। रिपोर्ट में न सिर्फ गुनाहगारों की संख्या बल्कि पीडि़तों के आंकड़े भी बताए गए हैं। साल 2018 में फ्रेंच कैथोलिक चर्च द्वारा इस स्वतंत्र कमीशन का गठन किया गया था. उस समय चर्चों कई स्कैंडल के मामले सामने आये, जो दुनियाभर के चर्चों की व्यवस्था पर सवाल खड़े करते थे।
यह कमीशन कानूनी विशेषज्ञ, डॉक्टर, इतिहासकार, सोशियोलॉजिस्ट और धर्मशास्त्रियों को मिलाकर तैयार किया गया था। कमीशन जब काम शुरू किया था, तब एक टेलीफोन हॉटलाइन जारी की गई थी जिस पर कुछ ही महीनो में हजारों शिकायतों से जुड़े मेसेज मिलने का दावा किया जाता है।
भड़ास ब्लॉग मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार निम्न आरोप लगे है- अगर हम बात करे भारत की तो यहाँ भी धार्मिक संस्थाओं में यौन शोषण के मामले उजागर होते रहे हैं। साल 2020 में बिहार के मधेपुरा जिला से सिंहेश्वर थाना इलाके मैं पीडि़ता ने स्थानीय मस्जिद के एक मौलवी पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था। पीडि़ता ने इस संबंध में महिला थाने में शिकायत दर्ज करते हुए बताया कि निकाह का झांसा देकर उसके साथ मौलवी ने तीन-तीन बार दुष्कर्म किया है बात चाहे मस्जिद की हो या मंदिर की योन शोषण के मामले में देखा जाये तो कोई भी अछूता नहीं है। नई दिल्ली के बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल केशवन नंबूदरी को महरौली इलाके में डिलाइट होटल में एक युवती का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
भड़ास ब्लॉग मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार निम्न आरोप लगे है- साल 2018 में शुरू हुए मी टू अभियान के तहत बहुत से मामले सामने आये जिनमे महिलाओ ने खुल कर अपने साथ हुए यौन शोषण के बारे बात की। इस अभियान के तहत एक महिला ने बताया कि हज जाने वाली महिलाओं का भी यौन शोषण होता है। यौन शोषण के विरोध में चले इस अभियान ने दुनिया भर में एक क्रांति सी ला दी थी।
मस्जिदों में महिलाओं के साथ हुई यौन उत्पीडऩ को उजागर करने वाले इस कैंपेन की शुरुआत पत्रकार और लेखिका मोना एल्ताहवी ने अपने साथ हज यात्रा के समय हुई यौन उत्पीडऩ की घटना के बाद की थी। मोना एल्ताहवी ने अपने साथ हुई इस घटना के बाद उनके पास दुनिया भर से लोगो के मेसेज आने लगे।
भड़ास ब्लॉग मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार निम्न आरोप लगे है- एक अंग्रेजी वेबसाइट से बात चीत के दौरान उन्होंने कहा कि मेरी कहानी पढऩे के बाद एक मुस्लिम महिला ने अपनी मां के साथ हज यात्रा के समय हुई यौन उत्पीडऩ की घटना को विस्तृत रूप से लिखकर मुझे मेल किया था। इस घटना के बाद से ही दुनिया भर से मुस्लिम पुरुष और महिलाएं इस हैशटैग का इस्तेमाल करने लगे और 24 घंटे के अंदर यह 2000 बार ट्वीट हो गया जिसमे महिलाओ ने बताय कि उन्हें भीड़ में ग़लत तरीके से छुआ गया और पकडऩे की कोशिश की गई। यह फारसी ट्विटर पर टॉप 10 ट्रेंड में आ गया।
भड़ास ब्लॉग मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार निम्न आरोप लगे है- इस कैंपेन के लिए ट्विटर पर लिखा गया कि जब मैं जामा मस्जिद में गई तो एक व्यक्ति ने मेरी छाती पर हाथ लगाने का प्रयास किया था। उस समय मेने इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहा क्योंकि में जानती थी लोगों को उस समय ऐसा लगेगा कि मैं इस्लामोफोबिया का समर्थन कर रही हूं। वहीं एक महिला ने लिखा कि सऊदी अरब में स्थित मस्जिद नवाबी के करीब एक व्यक्ति ने उनका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचने का प्रयास किया था।
भड़ास ब्लॉग मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार निम्न आरोप लगे है- किसी अन्य महिला ने लिखा कि जब वह मात्र 10 साल की थी तब एक मस्जिद में एक व्यक्ति ने पीछे से उनके अंगों को बुरी तरह से छुआ था। एक यूजर एंग्गी लेगोरियो ने ट्विट किया, मैंने मास्क्यू मी टू के बारे में पढ़ा। इसने हज 2010 के दौरान की भयानक यादें फिर ताजा हो गई। लोग सोचते हैं कि मक्का मुस्लिमों के लिए एक पवित्र जगह है इसलिए वहां कोई कुछ ग़लत नहीं करेगा। यह पूरी तरह ग़लत है। यौन शोषण के मामले हर जगह से आते रहे है, जिनमे धार्मिक स्थल पर हुए शोषण के बारे सोच कर ही घिनोना महसूस होता है लेकिन यह पूरी तरह निर्भर करता है इंसान की सोच पर। ऐसे अपराध को रोकने के लिए हमें एक बेहतर समाज बनाने की जरुरत है।