आज हम माममे जा रहे है विश्व हृदय दिवस यानि कि World Heart Day आज हम महिलाओं और पुरुषों के ह्रदय में होने वाली भिन्नता के बारे में बात करेंगे और साथ में जानेंगे विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) का इतिहास, आज के समय में हार्ट अटैक एक ऐसी समस्या बन गया है, जिसकी वजह से हर साल ना जाने कितने ही लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। वहीं अगर हार्ट अटैक एक बार आ चुका हो तो उसके बाद स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है, खासतौर से महिलाओं के लिए इसके बाद का जीवन बहुत कठिन हो जाता है।
World Heart Day; ऐसा इसलिए भी क्योंकि पुरुष और महिला बायोलॉजिकल रूप से भिन्न है। शायद यही कारण भी है जिसकी वजह से महिलाओं में हार्ट अटैक के जो लक्षण दिखाई देते हैं। वह पुरुषों से काफी अलग होते हैं। ऐसे में इन लक्षणों को समझना ना केवल और भी ज्यादा कठिन हो जाता है। बल्कि इसके लिए तुरंत ही डॉक्टर की जरूरत पड़ती है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ हार्ट अटैक के लक्षण जो महिलाओं को नजरअंदाज नहीं करने चाहिए।
विश्व हृदय दिवस का महत्व – importance of world heart day
आज के वर्तमान समय में आए दिन हृदय रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वहीं हृदय संबंधी बिमारियों के कारण कई लोगों की असमय मृत्यु तक हो जा रही है. हृदय रोगियों पर हुई कुछ रिसर्च बताती है कि कम उम्र के लोगों में भी हृदय संबंधी विकार सामने आए हैं. ऐसे में विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) के माध्यम से लोगों को हृदय को स्वस्थ रखने के साथ ही हृदय रोग के खतरे को कम करने के लिए प्रेरित और जागरुक किया जाता है.
विश्व हृदय दिवस का इतिहास – history of world heart day
विश्व में तेजी से बढ़ रहे हृदय मरीजों के मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्व हृदय दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव रखा था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2000 में पहली बार विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) को मनाए जाने की घोषणा की थी. जिसके बाद हर साल इसे सितंबर माह के अंतिम रविवार को मनाया जाने लगा. जिसके बाद साल 2014 से विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) को 29 सितंबर के दिन मनाया जाने लगा.
विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) का एकमात्र उद्देश्य ह्रदय से जुड़ी समस्याओं को कम करने के लिए लोगों में जागरूकता पर ध्यान देना है. इसके जरिए हर साल कई देशों में कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को हृदय के स्वास्थ्य के प्रति जागरुक किया जाता है.
महिलाओं और पुरुषों के हृदय में फर्क – Difference between the heart of women and men
पुरुष और महिला के शरीर की संरचना में काफी फर्क है। यही फर्क पुरुष और महिला के हृदय के बीच भी है। आपको बता दें कि महिलाओं का हृदय पुरुषों की तुलना में न केवल थोड़ा छोटा होता है। बल्कि महिलाओं के हृदय की दीवारें भी पतली होती हैं। इसी वजह से यह पुरुषों के हृदय के मुकाबले 10 प्रतिशत कम ब्लड पंप करता है।
जब महिलाएं तनाव में होती हैं तो उनका हृदय अधिक मात्रा में ब्लड पंप करता है। वहीं पुरुष जब तनाव में होते हैं तो इस दौरान उनका ब्लड प्रेशर अधिक हो जाता है। पुरुष और महिलाओं के हृदय की इसी रचना की वजह से हार्ट अटैक का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। यही कारण भी है जिसकी वजह से महिलाओं को अपने हृदय का ख्याल ज्यादा रखना चाहिए।
महिलाओं में चेस्ट पेन नहीं होता – Women do not have chest pain
आमतौर पर हम सभी ने हार्ट अटैक से पहले लोगों को चेस्ट पेन की शिकायत करते हुए देखा है। लेकिन ऐसा पुरुषों के साथ होता है महिलाओं के साथ नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार हार्ट अटैक से कुछ देर पहले महिलाओं को चेस्ट पेन नहीं होता। बल्कि उन्हें हार्ट अटैक से एक या दो सप्ताह पहले ऐसा दर्द होता है। इस सिग्नल को आमतौर पर महिलाएं नजरअंदाज कर देते हैं। यही कारण भी है जिसकी वजह से हार्ट अटैक की समस्या महिलाओं में ज्यादा होती है।
महिलाओं के हृदय को प्रभावित करने वाली बीमारियां – diseases affecting the heart of women
ऐसी बहुत सी स्थितियां है जो केवल महिलाओं को होती हैं और उसकी वजह से भी हृदय रोग हो सकता है। इनमें पोलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम , डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या शामिल हैं, जो आमतौर पर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होती हैं। यही समस्याएं हार्ट अटैक की भी वजह बन जाती हैं। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड शुगर लेवल, सिगरेट और मोटापे की वजह से भी हृदय से जुड़ी समस्या पैदा हो सकती है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है।
60 के बाद लेडीज को हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा क्यों – Why women after 60 are more prone to heart attack
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को बुढ़ापे में या एक उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा अधिक रहता है। ज्ञात हो कि महिलाओं में जब तक मेनोपॉज की स्थिति नहीं आती तब तक शरीर में मौजूद एस्ट्रोजन लेवल हृदय रोग से बचाकर रखता है। वहीं जब महिला 60 के आस पास पहुंचती हैं, तो एस्ट्रोजन लेवल गिर जाता है और हार्ट अटैक का खतरा अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा इस उम्र के बाद ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, जैसी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं, जो हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
पुरुषों से अलग होते हैं हार्ट अटैक के लक्षण – Heart attack symptoms are different from men
महिलाओं में पुरुषों के जैसे ही हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई नहीं देते। ऐसे में यह जरूरी है कि महिलाएं हार्ट अटैक के लक्षणों को समझें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण कुछ इस प्रकार के देखे जा सकते हैं।
दिल का निचुड़ना – Heart squeeze
पुरुषों की तरह महिलाओं को चेस्ट में दर्द नहीं होता। बल्कि उन्हें हृदय का सिकुड़ने जैसा एक अनुभव होता है। इस दौरान वह असहज महसूस करने लगती हैं।
दर्द – pain
महिलाओं को अगर हार्ट अटैक आने वाला होता है तो उनकी पीठ, हाथ, गर्दन और जबड़े में दर्द होता है। आमतौर पर कमर दर्द सबसे बड़े लक्षण के रूप में देखा जाता है।
पेट दर्द – Abdominal pain
महिलाओं को हार्ट अटैक से पहले पेट में बहुत भयंकर दर्द होता है। जिसे नजरअंदाज करना बहुत ज्यादा भारी पड़ सकता है। आमतौर पर लोग इसे अल्सर, फ्लू, का लक्षण समझ लिया जाता है, जो बहुत खतरनाक है।
थकान – fatigue
ऐसी बहुत सी महिलाओं में देखा जाता है कि हार्ट अटैक के दौरान वह बहुत ज्यादा थकावट महसूस करती हैं। आपको बता दें कि यह भी हार्ट अटैक का एक आम लक्षण है।
अन्य लक्षण – Other symptoms
अगर आपको सांस लेने में दिक्कत हो, जी मिचलाने लगे, सिर हल्का होना या फिर ठंडे मौसम में पसीना आए, तो यह भी हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं।
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कैसे रखें ध्यान – how to take care
बात जब हृदय की आती है तो पुरुष और महिला दोनों को ही इसका ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए एक सही दिनचर्या, एक्सरसाइज और डाइट का पालन करने की जरूरत है। इसके अलावा नियमित रूप से डॉक्टर से भी जांच कराते रहें।
पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए बहुत बहुत सुक्रिया हम आशा करते है कि आज के आर्टिकल World Heart Day से जरूर कुछ सीखने को मिला होगा, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूले और ऐसे ही अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखे THEHALFWORLD वेबसाइट के साथ चलिए मिलते है नेक्स्ट आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा, धन्यवाद !
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