आज हम सब विश्व आर्किटेक्चर दिवस (World Architecture Day) मनाने जा रहे है और इस खास दिन की शुरुआत करते है बेहद ही खास लेख के साथ, इस विश्व आर्किटेक्चर दिवस (World Architecture Day) पर कुछ बेहद ख़ास महिलाओं के बारे में जानते हैं जिन्होंने भारतीय आर्किटेक्चर में काफी अहम योगदान दिया है। इन महिलाओं ने तमाम रुकावटों और बंदिशों को तोड़ा है और महिला आर्किटेक्ट और आर्किटेक्चर के बारे में देश का नज़रिया ही बदल दिया है। यहां ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में बताया जा रहा हैं, जिनके बारे में आपको ज़रूर जानना चाहिए
बृंदा सोमया – Brinda Somaya
World Architecture Day : इन्होंने मुंबई के सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर की डिग्री ली थी। इसके बाद उन्होंने नॉर्थम्प्टन में स्मिथ कॉलेज से मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री ली और फिर कॉर्नेल युनिवर्सिटी से डिज़ाइनिंग का कोर्स किया। इसके बाद वे मुंबई आ गई और 1978 में अपने करियर की शुरुआत की। बृंदा ने ग्रामीण भारत में वक्त बिताया और वहां के स्थानीय आर्किटेक्चर से उन्हें काफी प्रेरणा मिली। उनकी इमारतें भारत की समृद्ध आर्किटेक्चर स्टाइल को दर्शाती हैं, इसके साथ ही वे बेहद पारंपरिक दिखती हैं और काफी टिकाऊ भी होती हैं।
उन्होंने अपनी क्रिएटिविटी की बदौलत यूनेस्को एशिया-पैसिफिक हेरिटेज जैसे कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड अपने नाम किए हैं। वे लाइफ टाइम अचीवमेंट के लिए वीनरबर्गर गोल्डन आर्किटेक्ट अवॉर्ड जीतने वाली पहली महिला हैं। इसके अलावा भी उन्होंने कई दूसरे अवॉर्ड जीते हैं।
आभा नारायण लांबा – Abha Narayan Lamba
World Architecture Day : अगर आप देश में आर्किटेक्चरल कंजर्वेशन के बारे में सोचते हैं तो आपके दिमाग में पहला नाम आभा नारायण लांबा का आएगा। उन्होंने स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली से मास्टर्स की डिग्री ली है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत से ही यह दिखाया है कि किस तरह उनके रिसर्च, संस्कृति के प्रति सम्मान और छोटी से छोटी चीज पर ध्यान देने से कई नामी भारतीय विरासत स्थलों में फिर से जान फूंकने में मदद मिली है।
नाज़ुक स्ट्रक्चर पर बेहद नज़ाकत और सफाई से काम करने के बदौलत उन्होंने संस्कृति अवॉर्ड, आइज़नहावर फेलोशिप और एटिंघम ट्रस्ट व चार्ल्स वैलेस फेलोशिप जैसे कई अवॉर्ड जीतें हैं। इसके अलावा 2016 में आर्क विज़न ने उन्हें टॉप 20 महिला आर्किटेक्चर में नामित किया था।
शीला श्रीप्रकाश – Sheela Sriprakash
World Architecture Day : शीला श्रीप्रकाश वह महिला हैं जिन्हें आप भारतीय आर्किटेक्चर के बारे में बात करते वक्त भुला नहीं सकते। वे पहली ऐसी भारतीय महिला हैं जिन्होंने खुद की आर्किटेक्चरल प्रैक्टिस शुरू की थी हैं। 1970 में जब उन्होंने काम शुरू किया तब इस इंडस्ट्री पर पुरुषों का दबदबा हुआ करता था, इसलिए शीला श्रीप्रकाश की राह बिलकुल भी आसान नहीं थी। इन सब के बावजूद उन्होंने अन्ना युनिवर्सिटी स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग से आर्किटेक्चर में बैचलर डिग्री ली और फिर काम करना शुरू किया।
काम के प्रति ज़िद, जूनून और कभी हार ना मानने के जज़्बे के कारण ही वे आज दुनिया की सबसे प्रभावशाली आर्किटेक्ट में से एक मानी जाती हैं। शीला श्रीप्रकाश ने अब तक 1200 से ज़्यादा आर्किटेक्चरल प्रोजेक्ट को डिज़ाइन किया और पूरा किया है। इसके साथ ही उन्होंने ढेरों अवॉर्ड भी जीते हैं। इनमें Giornale dell’Architettura द्वारा 100 सबसे प्रभावशाली आर्किटेक्ट का अवॉर्ड, 2019 के सस्टेनेबिलिटी चैंपियन ऑफ द इयर जैसे कई अवॉर्ड शामिल हैं।
शीमुल जावेरी कादरी – Shimul Zaveri Qadri
World Architecture Day : मुंबई के अकेडमी ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन ऐन ऑरबर से अर्बन प्लानिंग की पढ़ाई करने के बाद शीमुल 1990 में भारत लौट आईं और अपनी कंपनी की शुरुआत की। उनका काम प्राकृतिक तत्वों जैसे कि सूरज की रोशनी, हवा, प्राकृतिक मटेरियल को बढ़ाने और इस्तेमाल करने पर केंद्रित होता है। वे इन्हें मॉडर्न टेक्नोलॉजी और मटेरियल के साथ जोड़कर इमारतों को अनूठा, साफ़ और दिलकश रूप देती हैं।।
उन्हें और उनकी कंपनी SJK Architects को प्रिक्स वरसाइल्स अवॉर्ड 2016, शिकागो एथीनियम म्यूजियम ऑफ़ आर्किटेक्चर एंड डिज़ाइन अवॉर्ड 2016, वर्ल्ड आर्किटेक्चर फेस्टिवल स्मॉल प्रोजेक्ट ऑफ दी ईयर अवॉर्ड 2012 जैसे कई सारे अवॉर्ड मिल चुके हैं।
अनुपमा कुंडू – Anupama Kundu
World Architecture Day : यूनिवर्सिटी ऑफ बॉम्बे के सर जे.जे. कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर से आर्किटेक्चर डिग्री और टेक्निकल युनिवर्सिटी ऑफ बर्लिन से डॉक्टरेट की डिग्री लेने के बाद अनूपमा कुंडू ने आर्किटेक्चर और उसमें इस्तेमाल होने वाले मटेरियल को लेकर लोगों के नज़रिये को बदल दिया। निर्माण कार्य के लिए “वेस्ट मटेरियल, अकुशल मजदूर और लोकल कम्यूनिटी” का इस्तेमाल करने का लक्ष्य और ऐसे मटेरियल पर रिसर्च करने पर इन्वेस्ट करना जिनसे पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे असर को कम किया जा सके; इन ख़ास कारणों से उनकी बनाई गई इमारतें भीड़ में भी अलग नज़र आती हैं।
उनके काम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना और पहचान मिली हैं और उन्होंने मजबूत और टिकाऊ इमारतों पर कई किताबें भी पब्लिश की है। इसके अलावा उन्होंने आर्किटेक्चर ऑफ दी ईयर (2003), आर्किटेक्चर ऑफ दी फ्यूचर (2000) जैसे कई बड़े अवॉर्ड भी जीते हैं।
पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए बहुत बहुत सुक्रिया हम आशा करते है कि आज के आर्टिकल World Architecture Day से जरूर कुछ सीखने को मिला होगा, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूले और ऐसे ही अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखे THEHALFWORLD वेबसाइट के साथ चलिए मिलते है नेक्स्ट आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा, धन्यवाद !
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