भारतीय वायु सेना (AIF) की एक महिला अधिकारी ने अपने सहकर्मी लेफ्टिनेट पर बलात्कार का आरोप लगाया है। महिला की शिकायत पर आरोपी अफसर को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन तमिलनाडु के कोयंबटूर की एक अदालत ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई कोर्ट मार्शल के तहत करने का फैशला लिया है. अब यह मामला वायुसेना (IAF) को सौंप दिया गया है। महिला अधिकारी ने बताया कि जब IAF में अधिकारियों ने उसकी बात की सुनवाई नहीं की और डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि रेप के बाद मेडिकल जांच के लिए उसका टू-फिंगर टेस्ट किया गया।
रेखा शर्मा ने मार्शल को भी पत्र लिखा…
महिला आयोग की चीफ रेखा शर्मा (Rekha Sharma) ने इस मामले में एयर चीफ मार्शल को भी पत्र लिखा है व आरोपी पर शक्त कार्रवाही करने को कहा है, आयोग ने कहा कि एयरफोर्स के डॉक्टरों को गाइडलाइंस के बारे में बताना चाहिए। 2013 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी टू-फिंगर टेस्ट को अवैज्ञानिक करार दिया था। कोर्ट का कहना है कि टू-फिंगर टेस्ट से किसी के साथ रेप होने या न होने की पुष्टि नहीं की जा सकती।
यह है पूरा मामला –
26 सितंबर कि रात को, 29 वर्षीय महिला अफसर ट्रेनिंग के लिए कोयंबटूर के एयर फोर्स एडमिनिस्ट्रेटिव कॉलेज आई थी, जहां लगभग दो हफ्ते पहले इस घटना को अंजाम दिया गया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट अमितेश हरमुख को कोयंबटूर में ऑल वुमन पुलिस ने महिला IAF अधिकारी की शिकायत पर गिरफ्तार किया था। महिला अधिकारी (पीड़िता) ने बताया कि 10 सितंबर को उसे टखने में चोट लगी थी जिसके लिए उसने दर्द की दवा ली थी और उसी रात अपने दोस्तों के साथ उसने शराब भी पी थी बादमे उसका सर भारी होने लगा और उसे उल्टी होने लगी, ऐसी हालत देख उसके दोस्तों ने उसे बेहोशी की हालत में कमरे में लेटा दिया. बाद में आरोपी कमरे में आकर उसके साथ रेप किया।
अगले दिन, पीड़िता की सहेली ने उसे बताया कि उस रात अमितेश उसके साथ कमरे में था और उसने पूछा कि क्या वो (पीड़िता) उसके अंदर होने से सहमत थी. दोस्त ने यह भी संकेत दिया कि हो सकता है कि उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया हो। इसके बाद पीड़िता ने आरोपी अमितेश से इस बारे में पूछा और जिसके बाद उसने अपने किए के लिए माफी मांगते हुए किसी भी तरह की कार्रवाही के लिए तैयार हो गया। पीड़िता का यह भी कहना है कि उसके दोस्तों द्वारा रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में अमितेश ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था।
क्या है टू-फिंगर टेस्ट –
टू फिंगर टेस्ट एक मैन्युअली प्रक्रिया है, जिसमें पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर टेस्ट किया जाता है कि वह वर्जिन है या नहीं। इससे वहां उपस्थित हायमन का पता भी लगाया जाता है। ये जानने की कोशिश की जाती है कि महिला ने पहले शारीरिक संबंध बनाए थे या नहीं। WHO ने टू फिंगर टेस्ट (Two finger test) पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि ये प्रक्रिया वैज्ञानिक नहीं है। भारत में साल 2013 में ही टू फिंगर टेस्ट (Two finger test in india) पर रोक लगा दी गई है। 2018 में बांग्लादेश में भी इस टेस्ट पर रोक लगा दी गई।
महिला अधिकारी का कहना है कि टू-फिंगर टेस्ट के बाद उसे फिर यौन शोषण के ट्रॉमा से गुजरना पड़ा है। पीड़ित महिला ने कहा कि डॉक्टरों ने उसका टू-फिंगर टेस्ट किया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में ही प्रतिबंधित (Ban) कर दिया है यही नहीं बल्कि पीड़िता से उसकी सेक्शुअल हिस्ट्री के बारे में भी पूछा गया। पीड़िता ने अपनी FIR में बताया कि उसे ज्यादा ठेस तब पहुंची जब उस पर वायुसेना के अधिकारियों ने मामला वापस लेने के लिए दबाव डाला।