San Francisco. America के सैन फ्रांसिस्को में आजकल गर्भपात (Abortion) जैसे कानून का जमकर विरोध किया गया है, मंगलवार को एक गर्भपात (Abortion) विरोधी कार्यकर्ता 60-मंजिला इमारत पर चढ़ गया. हालाँकि बाद में युवक (विरोधी कार्यकर्ता) को हिरासत में ले लिया गया. सुबह करीब साढ़े नौ बजे स्थानीय लोगों ने इस शख्स को बिल्डिंग पर चढ़ते देखा. जिसका वीडियो भी वायरल हुआ है. आपको बता दे इसके बाद अमेरिका में 50 साल बाद गर्भपात पर बैन लगाने की तैयारी चल रही है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में गर्भपात (Abortion) के नए कानून के ड्राफ्ट का एक हिस्सा लीक हो गया. news18 की रिपोर्ट के अनुसार जिसके बाद अमेरिका के कई शहरों में लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इंस्टाग्राम पर मैसन डेसचैम्प्स नाम के एक एक्टिविस्ट ने खुद को ‘प्रो-लाइफ स्पाइडरमैन’ बताया. टावर पर चढ़ने के बाद इस सख्स ने एक इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी भी पोस्ट की थी. जिसमें वो कह रहा था, ‘मैं यहां सेल्सफोर्स टॉवर पर हूं … सब ठीक चल रहा है. यहां अगर थोड़ा पानी होता तो अच्छा रहता’
‘प्रो-लाइफ स्पाइडरमैन’ पुलिस की हिरासत में
घटना की सुचना पुलिस की दी गई, सूचना मिलते ही सैन फ्रांसिस्को फायर डिपार्टमेंट तुरंत एक्शन में आ गया. लगभग एक घंटे की मशक्तक के बाद अग्निशमन विभाग ने एक अपडेट जारी किया कि इस मामले को सुलझा लिया गया है और संबंधित व्यक्ति सैन फ्रांसिस्को पुलिस की हिरासत में है. वैसे अमेरिका में कई लोगों ने उनके विरोध का समर्थन किया.
अमेरिका में क्यों मचा है हंगामा
NBT की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ड्राफ्ट ‘लीक’ होने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है, ‘ये महिला का मौलिक अधिकार है कि वह तय कर सके कि वह अपने गर्भ का क्या करे।’ वैसे सुप्रीम कोर्ट अगर रो बनाम वेड फैसले को पलटता है तब भी अमेरिका के हर राज्य में गर्भपात (Abortion) एकदम से गैरकानूनी नहीं हो जाएगा। राज्यों को तय करना होगा कि वे गर्भपात (Abortion) को कानूनी बनाते हैं या गैरकानूनी। इस लिहाज से तो अमेरिकी महिलाओं को चिंता करने जैसी कोई बात ही नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, आशंका ये है कि अलबामा, जॉर्जिया, इंडियाना समेत अमेरिका के 24 राज्य गर्भपात (Abortion) को बैन करने वाले हैं। कोर्ट के फैसले के बाद वह तेजी से इस दिशा में बढ़ेंगे।
50 साल बाद गर्भपात पर बैन लगाने की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के लीक हुए एक दस्तावेज के अनुसार, लाखों महिलाएं जल्द ही गर्भपात (Abortion) के अपने कानूनी अधिकार से वंचित हो सकती है. पोलिटिको द्वारा प्रकाशित दस्तावेज़ से पता चलता है कि अमेरिका की शीर्ष अदालत 1973 के फैसले को पलटने की तयारी में है, शीर्ष अदालत ने देश भर में गर्भपात (Abortion) को वैध कर दिया था. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि लगभग आधे अमेरिकी राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाया जाने की सम्भावना है.
16 देशों में पूरी तरह बैन, 36 देशों में वर्जित लेकिन…
अगर जो बनाम वेड का फैसला पलटता है तो अमेरिका उन गिने-चुने देशों में शामिल हो जाएगा जिन्होंने हाल के समय में अबॉर्शन लॉ को बहुत सख्त किया है। 1994 के बाद से सिर्फ तीन देशों पोलैंड, अल सल्वाडोर और निकारगुआ ने ही गर्भपात (Abortion) कानूनों को सख्त किया है। मिस्र, इराक, फिलिपींस, लाओस, सेनेगल, निकारगुआ, अल सल्वाडोर, होंडुरास, हैती और डोमिनिकन रिपब्लिक समेत दुनिया में 16 देशों ने गर्भपात (Abortion) वर्जित है। 36 देश ऐसे हैं जहां गर्भपात वर्जित तो है लेकिन अगर मां की जान बचाने के लिए अगर अबॉर्शन जरूरी है तो उसकी इजाजत मिली हुई है।
सोचिए जो यौन दुर्व्यवहार, बलात्कार वगैरह के चलते गर्भवती हुई हों, उनका क्या ?
DW की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की हर लड़की, औरत और कोई भी जो गर्भवती (Abortion) हो सकती है, लेकिन नहीं होना चाहती, सोचिए उस पर कितना दबाव होगा. यही हाल उन सबका होगा जो सोच समझ कर अपना परिवार नियोजन करना चाहते हैं और किसी मेडिकल कारण से गर्भपात (Abortion) करवाना चाहते हैं.
उनकी सोचिए जो यौन दुर्व्यवहार, बलात्कार वगैरह के चलते गर्भवती (Abortion) हुई हों. एक तो सदमा और ऊपर से गर्भ को पालने की मजबूरी – उन्हें किस हाल में छोड़ेगी.
गर्भ गिराने का कानूनी अधिकार ना होने से इसके लिए जो असुरक्षित रास्ते आजमाए जाएंगे, उनसे तो जान पर बन आना तय है. किसी और मामले में अगर महिला को कोख में पल रहे बच्चे को पूरे वक्त तक रखने की मजबूरी हो, तो उसकी मानसिक दशा पर कितना बुरा असर पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट से लीक हुई बात को अगर अमली जामा पहना दिया जाता है तो इसी के साथ पांच दशकों से महिलाओं को मिले उनके शरीर और जीवन से जुड़े यह अहम फैसला लेने का अधिकार छिन जाएगा. इसके बाद तो हर राज्य अपने अपने हिसाब से कानून बनाकर महिलाओं से इस चुनाव की सीमाएं तय करने को आजाद हो जाएगा.
यह वही आजादी और बहादुरी की धरती है जहां कंजर्वेटिव राज्यों में मुंह और नाक पर मास्क पहन कर रखने की मजबूरी को लोग अपनी निजी स्वतंत्रता के अधिकार का हनन मानते थे. उन्हीं राज्यों में अब गर्भवती होते ही किसी इंसान से उसके निजी अधिकार, शरीर पर अधिकार, अपने जीवन से जुड़े अहम फैसले लेने का अधिकार, सब हवा होने जा रहा है.
भारत में गर्भपात को लेकर क्या है कानून ?
NBT के अनुसार भारत में गर्भपात को लेकर क्या कानून हैं। यहां गर्भपात (Abortion) को लेकर बहुत ही प्रोग्रेसिव कानून रहा है। भारत में 51 साल से अलग-अलग परिस्थितियों में महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात (Abortion) का कानूनी अधिकार मिला हुआ है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) ऐक्ट 1971 में पास हुआ। 2021 में इसमें संशोधन किया गया जिसके बाद कुछ विशेष श्रेणी की महिलाओं के मेडिकल गर्भपात (Abortion) के लिए गर्भ की समय सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह (पांच महीने से बढ़ाकर छह महीने) कर दिया गया। संशोधित कानून के तहत रेप पीड़ित, कौटुंबिक व्यभिचार (नजदीकी रिश्तेदार द्वारा यौन उत्पीड़न) की शिकार या नाबालिग 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी को मेडिकली टर्मिनेट यानि कि गर्भपात (Abortion) करा सकती हैं। इसके अलावा वे महिलाएं जिनकी वैवाहित स्थिति गर्भावस्था के दौरान बदल गई हो (विधवा हो गई हो या तलाक हो गया हो) और दिव्यांग महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी में अबॉर्शन का अधिकार है। अगर भ्रूण में कोई ऐसी विकृति या गंभीर बीमारी हो जिससे उसकी जान को खतरा हो या फिर उसके जन्म लेने के बाद उसमें मानसिक या शारीरिक विकृति आने, गंभीर विकलांगता का शिकार होने का खतरा हो तब भी महिला को प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते के भीतर गर्भपात (Abortion) का अधिकार है।
महिलाओं को होना चाहिए या नहीं गर्भपात का अधिकार?
महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार बहुत जरूरी है। इस दौरान महिला की प्राइवेसी का भी सम्मान किया जाना चाहिए। भारत में गर्भपात (Abortion) का कानून भले ही बहुत प्रगतिशील हो लेकिन विवाह पूर्व सेक्स सामाजिक तौर पर वर्जित चीज है। अनचाहे गर्भ का क्या निदान है? अगर लिव इन में रह जोड़े को अलग हो होना पड़े और उस दौरान महिला प्रेग्नेंट हो तो वह क्या करेगी? रेप की वजह से पीड़ित प्रेग्नेंट हो तो वह क्या करे? ऐसे हालत में उनको गर्भपात (Abortion) का अधिकार होना चाहिए. भारत में महिलाओं को ये अधिकार है तब भी ज्यादातर महिलाओं को पता ही नहीं कि अगर गर्भ 24 हफ्ते तक का हो तो अबॉर्शन कानूनी है। देश में इतना प्रगतिशील कानून होने के बावजूद असुरक्षित गर्भपात (Abortion) की वजह से तमाम महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्यु के लिए जिम्मेदार तीसरा प्रमुख कारण है।
Japan: जापान और बाकी दुनिया के गर्भपात कानूनों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर
जापान में प्रेग्नेंसी के 21 सप्ताह और 6 दिनों तक गर्भपात कानूनी है. हालांकि जापान और बाकी दुनिया के गर्भपात (Abortion) कानूनों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि गर्भपात कराने से पहले जापान में बच्चे के पिता की सहमति आवश्यकता होती है. जापान दुनिया के उन 11 देशों में से एक है, जिसमें महिलाओं को गर्भपात के लिए पति की सहमति की आवश्यकता होती है और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस आवश्यकता को समाप्त करने के लिए देश पर जोर दे रहे हैं.
China: “गैर-चिकित्सकीय रूप से आवश्यक उद्देश्यों” के लिए किए गए गर्भपात की संख्या को कम करेगी
हाल ही में चीन की सरकार ने घोषणा की कि वह “गैर-चिकित्सकीय रूप से आवश्यक उद्देश्यों” के लिए किए गए गर्भपात (Abortion) की संख्या को कम करेगी. स्टेट काउंसिल ने कहा कि नए गाइडलाइन्स का उद्देश्य गर्भावस्था से पहले की स्वास्थ्य सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच में सुधार करना है.
जनसंख्या वृद्धि को सीमित करने के सालों की कोशिश के बाद, बीजिंग अब परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नई पॉलिसी रहा है. चीन ने जून 2021 में कहा था कि वह अब सभी कपल्स को दो के बजाय तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति देगा.
रूस की जनसंख्या में गिरावट को रोकने के प्रयास में गर्भपात (Abortion) की उच्च दर को रोकने का प्रयासरूस में गर्भपात की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूस की जनसंख्या में गिरावट को रोकने के प्रयास में गर्भपात की उच्च दर को रोकने का प्रयास कर रहे हैं.खास बात है कि रूस वर्तमान में देश के मेडिकल इंश्योरेंस प्रोग्राम के तहत गर्भपात के लिए भुगतान करता है. राष्ट्रपति पुतिन की सरकार- देश के रूढ़िवादी चर्च नेताओं के साथ-साथ इस फंडिंग को उन महिलाओं के लिए मोड़ने का प्रयास कर रही है, जो गर्भावस्था को जारी रखने का विकल्प चुनती हैं
Saudi Arab: कुछ मुख्य करने से किया जा सकता है गर्भपात
सऊदी अरब में गर्भपात (Abortion) की अनुमति केवल उन मामलों में दी जाती है जहां मां की जान जोखिम में हो, या उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जरूरी हो. बलात्कार और अनाचार मामलें मेरिट के आधार पर लिए जाते हैं और एक महिला के मानसिक स्वास्थ्य को संभावित नुकसान के केस में गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है.
South Africa: ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को शहरी महिलाओं की तुलना में कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
रंगभेद की जगह लोकतंत्र तक इस देश के संक्रमण के दौरान, 1996 में दक्षिण अफ्रीका में गर्भपात को वैध कर दिया गया था. कानून में 2008 के एक संशोधन ने प्रशिक्षित नर्सों को गर्भपात कराने की अनुमति देकर महिलाओं तक गर्भपात (Abortion) की पहुंच का विस्तार किया.
हालांकि गर्भपात के अधिकार की रक्षा करने वाले मौजूदा मजबूत कानूनों की ताकत के बावजूद देश में इसको लेकर एक महत्वपूर्ण पहुंच विभाजन है. ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को शहरी महिलाओं की तुलना में कठिनाई का सामना करना पड़ता है.