दुनियाँ के 4 करोड़ से ज्यादा गुलामों में महिलाओं की संख्या ज्यादा क्यों ?

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वॉक फ्री (Walk Free)
Pic Form Navodya Times

यदि आपको कोई कहे कि दुनिया में बधुंआ मजदूरी लगभग ख़त्म हो गई है तो वह गलत बोल रहा है क्योंकि हालिया आकड़े आपको चौंका देंगे। वॉक फ्री (Walk Free) संस्था के अनुसार दुनिया भर में लगभग 4 करोड़ लोग बंधुआ मजदूरी कर रहे है या फिर यह कहें कि गुलामों की जिंदगी जी रहे है। सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है।

यह बात वॉक फ्री (Walk Free) संगठन की हालिया रिपोर्ट में सामने आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि 19वीं सदी के समापन के साथ भी गुलामी खत्म नहीं हुई, सिर्फ इसका स्वरूप बदला है। दुश्री ओर, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक, दुनिया में 15.2 करोड़ बच्चे बाल श्रम करने पर मजबूर हैं।
संगठन गुलामी को 2030 तक खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध

यदि बात करें गुलामी की तो संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, जो लोग किसी दबाव में या किसी दंड स्वरूप काम करते हैं, गुलामी कहलाती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, आधुनिक समय में गुलामी का ज्यादा इस्तेमाल कंपनियों में उत्पाद तैयार करने में होता है। वॉक फ्री (Walk Free) की ग्लोबल रिसर्च की मैनेजर कैथरीन ब्रायंट ने क्वार्ट्ज वेबसाइट को बताया कि सप्लाई चैन में दुनियाभर में करीब 1.6 करोड़ पीड़ित गुलाम की तरह अपना जीवन जी रहे है।

183 में से 40 से कम देशों ने गुलाम जैसी मजदूरी कराने से रोकने के लिए सर्वे किया गया। लेकिन उन्होंने पाया कि बेहतर सिस्टम और कानून होने के बावजूद वह इसमें असफल हैं। बड़ी संख्या में इन देशों में उत्पादन के नाम पर मजदूरों से गुलामी और श्रम शोषण कराया जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में वस्तुओं की सप्लाई से यह सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है कि कोई उत्पाद गुलाम-श्रम से मुक्त है। फैशन और टेक कंपनियों में जबरन मजदूरी ज्यादा होती है।

संगठन और इसके सदस्य मानव तस्करी, जबरन मजदूरी, बाल श्रम और गुलामी को 2030 तक खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस रिपोर्ट में पता चला है कि बाल मजदूरी के अलावा ज्यादातर महिलाओं से भी बंधुआ जैसा काम करवाया जाता है। यदि कई सारी रिपोर्ट पढ़ी जाये तो पता चलता है पुरुषों से ज्यादा शोषण महिलाओं के साथ होता है। इतनी बड़ी संख्या में गुलामों की तरह जिंदगी जीने के पीछे सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का है जो ज्यादातर महिलाओं में है ओर वो भी ग्रामीण क्षेत्रों में है।