Sushma Swaraj Death anniversary: देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का नाम भारत की राजनिती एक अहम स्थान रखती थी। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जिनके कारण वो देशवासियों के दिलों पर राज करने लगी थी। एक कुशल वक्ता जिन्हें हर कोई सुनना चाहता था। उनका स्पीच सदन में हो या आम सभा के मंचो पर, सुनने वाले लोगों का ध्यान अपने ओर खींच लेती थी। 6 अगस्त को उनकी पुण्यतिथि है. आज हम उनके जीवन के बारे में जानेंगे.
सुषमा स्वराज की शिक्षा और करियर Education and Career of Sushma Swaraj
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से वकालत की पढ़ाई की थी। उनके पास संस्कृत और राजनीति विज्ञान में डिग्री भी है। इतना ही नहीं देश की शीर्ष अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में एक वकील के तौर पर उन्होंने अभ्यास किया था। बाद में 1970 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।
सुषमा स्वराज का पारिवारिक जीवन sushma swaraj family life
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) में नारीत्व के सभी गुण थे। वह शादी, पति, परिवार संभालती थीं तो साथ ही देश और अपने पद के प्रति भी गंभीर थीं। सुषमा स्वराज ने शादी के बाद अपने पति का सरनेम नहीं अपनाया था लेकिन पति के नाम को ही सरनेम बना लिया था। उनके पति का नाम स्वराज कौशल है। इस कदम से उन्होंने अपने स्वावलंबन और पति के प्रति प्रेम दोनों को दिखाया। सुषमा स्वराज की एक बेटी हैं, जिनका नाम बांसुरी स्वराज है।
स्वराज दंपत्ति को एक ही संतान Swaraj couple has only one child
स्वराज दम्पत्ति एक बेटी के माता-पिता भी हैं, जिसका नाम बांसुरी स्वराज है। बांसुरी स्वराज वकालत करती हैं और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की छात्रा रही हैं। सुषमा स्वराज शुरू से ही राजनीतिक जीवन में सक्रिय रहीं। स्वराज कौशल भी पहले सार्वजनिक जीवन में थे और पूर्वोत्तर में राज्यपाल भी रहे, लेकिन बाद में सुषमा आगे बढ़ती गई और कौशल जी ने खुद को अपने परिवार और कामकाज तक सीमित कर लिया।
सुषमा स्वराज बतौर विदेश मंत्री Sushma Swaraj as External Affairs Minister
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) ने बतौर विदेश मंत्री सबसे बड़ी उपलब्धियां हासिल की। एनआरआई और भारत में रहने वाले सभी उनके फैन थे। जब भी कोई सुषमा को ट्वीट करके मदद मांगता तो वह हमेशा मदद का हाथ आगे बढ़ाती थीं। यमन में फंसे साढ़े पांच हजार से ज्यादा लोगों को सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) ने बचाया था और इस ऑपरेशन में भारतीयों के साथ ही 41 देशों के नागरिकों को सुरक्षित उनके देश पहुंचाने में मदद की। आठ साल की बच्ची गीता तो 15 साल पहले भटककर सरहद के पार पाकिस्तान पहुंच गई थी, उसे 23 साल की उम्र में वापस सुषमा (Sushma Swaraj) भारत लेकर आईं। इसी तरह कोलकाता की जूडिथ को काबुल से अगवा कर लिया गया था। सुषमा (Sushma Swaraj) से मदद की गुहार लगाई गई तो उन्होंने अफगान अधिकारियों से बात करके जूडिथ को रिहा कराया।
सुषमा स्वराज की उपलब्धि Achievement of Sushma Swaraj
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह सात बार संसद की सदस्य के तौर पर चुनी गईं। उन्हें उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार भी मिला। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1996 में सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) सूचना और प्रसारण मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल हुईं थीं। 1998 में केंद्रीय मंत्रिमंडल को छोड़कर वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) को एक राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव प्राप्त है। सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) के बोलने के कौशल के कारण उन्हें लगातार तीन साल तक राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ हिंदी स्पीकर का पुरस्कार मिला था।
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