भोपाल से भाजपा की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Sadhvi Pargya) ने मुंबई हमले में शहीद हुए मुंबई एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे (Hemant karkare) पर विवादित बयान दते हुए कहा कि मालेगांव ब्लास्ट की जांच के दौरान मैंने करकरे को श्राप दिया था। उनकी सवा महीने में मृत्यु हो गई। इस बयान से साध्वी ने अपने आप को मुंबई हमले से जोड़ लिया तथा उस आतंकवादी हमले को श्राप बताया जिसमे करकरे शहीद हुए है।
हालांकि, इस बयान पर विवाद बढ़ा तो उन्होंने देर शाम उन्होंने अपने शब्द वापस लिए और बयान पर माफी मांगी।
साध्वी प्रज्ञा (Sadhvi Pargya) ने कहा कि, ‘‘मैंने हेमंत करकरे (Hemant karkare) से कहा था, तेरा सर्वनाश होगा। ठीक सवा महीने में सूतक लगता है। जिस दिन मैं गई थी। उस दिन इसका सूतक लग गया था और ठीक सवा महीने में जिस दिन आतंकवादियों ने इसको मारा उस दिन उसका अंत हुआ।’’
इसके बाद पूरे देश में साध्वी के बयान की थू-थू हुई और साध्वी भी अपने बयान पर काबिज रही, जब बीजेपी तक ने इस बयान से अपना पल्ला झाड़ लिया तो साध्वी ने अपना बयान बदला।
भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार और साध्वी के प्रतिद्वंदी दिग्विजय सिंह ने प्रज्ञा ठाकुर के बयान को लेकर कहा, ”चुनाव आयोग ने यह साफ निर्देश दिए हैं कि शहीदों और सेना पर कोई राजनीतिक बयानबाजी न की जाए। हेमंत करकरे जी ईमानदार और सच्चे अफसर थे, जो मुंबई हमले में लोगों को बचाते हुए शहीद हो गए थे।”
इसके अलावा आईपीएस एसोसिएशन ने भी साध्वी के बयान को शहीदों के खिलाफ बताया तथा गैर जिम्मेदाराना बताया। इससे शहीदों व उनके परिवारों को दुःख पहुंच है।
भाजपा ने भी पल्ला झाड़ा
भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील नलिन कोहली ने इस पर कहा, ”चाहे लड़का हो या लड़की, जो अपनी मातृभूमि के लिए अपनी जान देता है उसका सभी सम्मान करते हैं। प्रज्ञा ने जो कहा वो उनके नजरिये में सही हो सकता है, क्योंकि वो एक लंबी जांच प्रक्रिया से गुजरी हैं। हम करकरे जी को सलाम करते हैं और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
सीने पर 3 गोलियां लगी थी शहीद करकरे को, अशोक चक्र से सम्मानित हुए
गौरतलब है कि, 26 नवंबर 2008 को आतंकवादियों ने मुंबई में हमला किया था। मुंबई में हुए आतंकी हमले में हेमंत करकरे (Hemant karkare) मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे। उन्हें सीने 3 गोलियां पर लगी थीं। इस हमले में 174 की जान गई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। मुठभेड़ में 9 आतंकियों को मार गिराया गया था। बहादुरी के लिए करकरे को 26 जनवरी 2009 को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।