क्या भारत में मंदी का असर सबसे ज्यादा है? – IMF की प्रबंध निदेशक Kristalina Georgieva

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आर्थिक मंदी का असर पूरी दुनिया में छाया हुआ है परन्तु भारत में इसका ज्यादा असर हो रहा है यह कहना है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund या IMF) की नई प्रबंध निदेशक (MD) क्रिस्टालिना जियॉरजीवा (Kristalina Georgieva) का.

क्रिस्टालिना जियॉरजीवा ने मंगलवार को संकेत दिया है कि सभी और फैली मंदी का अर्थ है कि वर्ष 2019-20 के दौरान वृद्धि दर इस दशक की शुरुआत से अब तक के ‘निम्नतम स्तर’ पर पहुंच जाएगी. क्रिस्टालिना के मुताबिक, दुनिया का 90 फीसदी हिस्सा कम वृद्धि का सामना करेगा.

IMF की MD के रूप में अपने पहले भाषण में क्रिस्टालिना जियॉरजीवा ने कहा, “दो साल पहले, वैश्विक अर्थव्यवस्था समकालिक रूप से ऊंचाई की तरफ जा रही थी, और दुनिया का लगभग 75 हिस्सा बढ़ रहा था… अब वैश्विक अर्थव्यवस्था ‘समकालिक मंदी’ की चपेट में है… वर्ष 2019 में हमें लगता है कि दुनिया के लगभग 90 फीसदी हिस्से में वृद्धि कम होगी…”

इसके अलावा उन्होंने कहा, “अमेरिका तथा जर्मनी में बेरोज़गारी ऐतिहासिक निचले स्तर पर है… फिर भी अमेरिका, जापान तथा विशेष रूप से यूरो क्षेत्र की विकसित अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक गतिविधियों में नर्मी देखी गई है… लेकिन भारत और ब्राज़ील जैसी कुछ सबसे बड़ी उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं में इस साल मंदी का असर ‘ज़्यादा साफ नज़र’ आ रहा है…”

IMF की MD ने कहा कि वैश्विक व्यापारिक वृद्धि ‘लगभग थम’ गई है. IMF ने घरेलू मांग बढ़ने की ‘उम्मीद से कम संभावना’ के चलते भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान में वित्तवर्ष 2019-20 के लिए 0.3 प्रतिशत की कमी कर उसे सात फीसदी कर दिया है.

इसी माह क्रिस्टीन लागार्डे (Christine Lagarde) के स्थान पर IMF का शीर्ष पद संभालने वाली क्रिस्टालिना जियॉरजीवा ने कहा कि मुद्राएं एक बार फिर अहम हो गई हैं, और विवाद कई-कई देशों तथा अन्य अहम मुद्दों तक फैल गए हैं.

गौरतलब है कि भारत में मंदी के कारण पिछले कुछ महीनों से कई फैक्ट्रियां बंद हो गई और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है सरकार ने भी कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी है परन्तु मंदी का असर काम नहीं हो रहा है.