Padma Awards 2023: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार (25 जनवरी) को पद्म पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा की गई है. 2023 के लिए राष्ट्रपति ने 106 पद्म पुरस्कारों को प्रदान करने की मंजूरी दी है. सूची में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्मश्री शामिल हैं. 19 पुरस्कार विजेता महिलाएं हैं. समाजवादी पार्टी संरक्षक और यूपी के पूर्व सीएम दिवंगत मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से नवाजा गया है.
किस राज्य की झोली में कितने पद्म सम्मान आए हैं-
महाराष्ट्र – 12
जाकिर हुसैन
कुमार मंगलम बिरला
दीपक धर
सुमन कल्याणपुर
भीखू रामजी इदाते
राकेश राधेश्याम झुनझुनवाला (मरणोपरांत)
परशुराम कोमाजी खुने
प्रभाकर भानुदास मांडे
गजानन जगन्नाथ माने
रमेश पतंगे
रवीना रवि टंडन
कूमी नरीमन वाडिया
बिहार – 3
आनंद कुमार
कपिल देव प्रसाद
सुभद्रा देवी
हरियाणा – 2
बख्शी राम
डॉ. सुकमा आचार्य
मध्य प्रदेश-3
जोधैयाबाई बैगा
मुनीश्वर चंदावर
रमेश परमार और शांति परमार (जोड़ी)
दादर हवेली और दमन द्वी- 1
प्रेमजीत बारिया
अंडमान और निकोबार-1
रतन चंद्र कर
छत्तीसगढ़ 3
उषा बर्ले
डोमर सिंह कुंवर
अजय कुमार मंडावी
गुजरात-8
बालाकृष्ण दोषी
हेमंत चौहान
भानुभाई चित्रा
महीपत कवि
अरीज खंबाटा (मरणोपरांत)
हीराबाई लोबी
प्रो. (डॉ.) महेंद्र पाल
परेशभाई राठवा
असम-3
हेमोप्रोवा चुटिया
हेम चंद्र गोस्वामी
रामकुइवांगबे जेने
त्रिपुरा-2
नरेंद्र चंद्र देबबर्मा (मरणोपरांत)
बिक्रम बहादुर जमातिया
केरल -4
वी पी अप्पुकुट्टन पोडुवल
चेरुवायल के रमन
एस आर डी प्रसाद
सी आई इस्साक
आंध्र प्रदेश-7
एम एम कीरावनी
गणेश नागप्पा कृष्णराजनगर
सी वी राजू
अब्बारेड्डी नागेश्वर राव
कोटा सच्चिदानंद शास्त्री
शंकुरत्री चंद्र शेखर
प्रकाश चंद्र सूद
तेलंगाना – 5
स्वामी चिन्ना जीयर
कमलेश डी पटेल
मोदादुगु विजय गुप्ता
हनुमंत राव पसुपुलेटी
बी रामकृष्णा रेड्डी
पश्चिम बंगाल 4
दिलीप महालनाबिस (मरणोपरांत)
प्रतिकाना गोस्वामी
मंगला कांति राय
धनीराम टोटो
मिजोरम 1
के सी रनरेमसंगी
तमिलनाडु 5
वाणी जयराम
के कल्याणसुंदरम पिल्लई
वदिवेल गोपाल और मासी सदाइयां(जोड़ी)
पालम कल्याण सुंदरम
डॉ. गोपालसामी वेलुचामी
उत्तर प्रदेश-8
मुलायम सिंह यादव (मरणोपरांत)
राधा चरण गुप्ता
दिलशाद हुसैन
अरविंद कुमार
उमा शंकर पाण्डेय
मनोरंजन साहू
ऋत्विक सान्याल
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
ओडिशा-4
पतायत साहू
अंतर्यामी मिश्रा
कृष्णा पटेल
मगुनी चरण कुंवर
मणिपुर 2
के शनाथोइबा शर्मा
थौनाओजम चौबा सिंह
हिमाचल प्रदेश -1
नेकराम शर्मा
दिल्ली-3
गुरचरण सिंह
डॉ ईश्वर चंद्र वर्मा
कपिल कपूर
राजस्थान-3
लक्ष्मण सिंह
अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन(जोड़ी)
मूलचंद लोढ़ा
जम्मू-कश्मीर-2
मोहन सिंह
गुलाम मुहम्मद जाज
नगालैंड – 2
निहुनुओ सोरही
मोआ सुबोंग
झारखंड-1
डॉ. जनम सिंह सोय
लद्दाख-1
कुशोक थिकसे नवांग चंबा स्टेनज़िन
कर्नाटक-8
एसएम कृष्णा
एसएल भायरप्पा
सुधा मूर्ति
खादर वल्ली डुडेकुला
रानी मचैया
नादोजा पिंडीपापनहल्ली मुनिवेंकटप्पा
शाह रशीद अहमद कादरी
एस सुब्बारमन
सिक्किम-1
तुला राम उप्रेती
अरुणाचल प्रदेश-1
कर्म वांग्चु (मरणोपरांत)
पंजाब-1
रतन सिंह जग्गी
मेघालय-1
राइजिंगबोर कुर्कलंग
पुडुचेरी-1
डॉ. नलिनी पार्थसारथी
क्या है पद्म पुरस्कारों का इतिहास?
- पद्म पुरस्कार यानी पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री, देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं. 1954 से हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इनकी घोषणा की जाती है.
- पद्म पुरस्कार कला, साहित्य और शिक्षा, खेल, मेडिसिन, सामाजिक कार्य, विज्ञान समेत कई क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियां हासिल करने वाले और विशिष्ट काम करने वालों को दिए जाते हैं.
- padmaawards.gov.in पर दी गई जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार 1954 से भारत रत्न और पद्म विभूषण पुरस्कार दे रही है. पद्म विभूषण में तीन वर्ग थे- पहला वर्ग, दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग.
- इन वर्गों के नाम को बाद में बदल दिया गया. 8 जनवरी 1955 को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया जिसके बाद इन वर्गों का नाम पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री कर दिया गया.
किन लोगों को मिलता है ये सम्मान?
- ये पुरस्कार कला, साहित्य, शिक्षा, खेल-कूद, चिकित्सा, समाज सेवा, विज्ञान, इंजीनियरिंग, लोक कार्य, सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग समेत विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धि या सेवाओं के लिए दिए जाते हैं. ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं…
- पद्म विभूषण : असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए.
- पद्म भूषण : उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए.
- पद्म श्री : विशिष्ट सेवा के लिए.
- गृह मंत्रालय के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र होता है. हालांकि, सरकारी कर्मचारी इन पुरस्कारों के लिए तब तक पात्र नहीं हैं, जब तक वो पद पर हैं. हालांकि, इसमें डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को छूट है.
पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों को क्या मिलता है?
- हर साल राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार समारोह का आयोजन होता है. इस दौरान पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और सील वाला सर्टिफिकेट और मेडल दिया जाता है.
- पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों को उनके मेडल की एक प्रतिकृति भी दी जाती है, जिसे वो किसी भी समारोह में पहन सकते हैं.
- गृह मंत्रालय के मुताबिक, ये पुरस्कार कोई पदवी नहीं है. इसलिए विजेताओं के नाम के आगे या पीछे इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. अगर ऐसा होता है तो पुरस्कार वापस लिया जा सकता है.
- इन पुरस्कारों के साथ विजेताओं को कोई नकद पुरस्कार, भत्ता या रेल-हवाई यात्रा में छूट जैसी कोई सुविधा नहीं दी जाती है.
कैसे होता है पद्म पुरस्कारों के लिए चयन?
- सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें, केंद्र सरकार के मंत्रालय या विभाग, भारत रत्न और पद्म विभूषण पुरस्कार हासिल कर चुकी हस्तियां पद्म पुरस्कारों के लिए किसी भी व्यक्ति के नाम की सिफारिश कर सकती हैं. ये प्रक्रिया हर साल होती है.
- इसके अलावा कोई व्यक्ति भी खुद से पद्म पुरस्कार के लिए अपना नामांकन कर सकता है. इसके लिए awards.gov.in वेबसाइट पर जाना होगा. यहां Nomination/Apply Now के टैब पर क्लिक करना होगा. इसके बाद अपनी सारी जानकारी देनी होगी. साथ ही आपने जो काम किया है, उसके बारे में भी बताना होगा. इसकी शब्द सीमा 800 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
- नामांकन या सिफारिश करने की भी एक समय सीमा होती है. हर साल 1 मई से 15 सितंबर तक की तारीख तय रहती है. 15 सितंबर नाम वापसी की भी आखिरी तारीख होती है.
- पद्म पुरस्कारों के नामों पर विचार करने के लिए हर साल प्रधानमंत्री एक कमेटी का गठन करते हैं. इस कमेटी के अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होते हैं. नामों पर विचार करने के बाद ये कमेटी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सिफारिश करते हैं. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पद्म पुरस्कार के लिए नाम तय होते हैं.
- एक साल में दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों की संख्या 120 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. हालांकि, अगर इसमें मरणोपरांत और विदेशियों को दिए जाने वाले पुरस्कार शामिल हैं तो ये संख्या 120 के पार हो सकती है.
- पद्म पुरस्कार आमतौर पर मरणोपरांत नहीं दिए जाते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में सरकार मरणोपरांत पुरस्कार देने पर विचार कर सकती है.
कब होती पद्म पुरस्कारों की घोषणा?
- पद्म पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर की जाती है. हालांकि, 1978, 1979 और 1993 से 1997 तक इनकी घोषणा किन्हीं कारणों की वजह से गणतंत्र दिवस के मौके पर घोषित नहीं हुए थे.