आशाराम के बेटे नारायण साईं (Narayan Sai) को दुष्कर्म मामले में दोषी मानते हुए अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इससे उनकी पत्नी जानकी उर्फ शिल्पी ने खुशी जाहिर की है।
गुजरात के सूरत में स्थित सेशंस अदालत ने मंगलवार को दुष्कर्म मामले में दोषी आसाराम के बेटे नारायण साईं (Narayan Sai) को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उम्रकैद की सजा दिए जाने पर नारायण साईं की पत्नी जानकी उर्फ शिल्पी हरपलानी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, मैंने, आज सुना कि नारायण साईं (Narayan Sai) को सूरत कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। मैं खुश हूं, नारायण को अपने कर्मों की इससे कम सजा तो होनी भी नहीं थी।
जानकी की यह प्रतिक्रिया कोई पहली बार नहीं है परन्तु एक दुष्कर्मी के लिए उसकी पत्नी की यह प्रतिक्रिया जरूरी थी।
जानकी ने का कहन है कि “नारायण साईं (Narayan Sai) की एक नाजायज संतान भी है। सूरत केस के मामले में अदालत ने मुझे भी बयान के लिए बुलाया था। मैंने कई बार तलाक लेना चाहा लेकिन मेरे परिवार को कुछ भी करने के नाम से धमकाया गया। अदालत ने नारायण को 50 हजार रुपए महीने का भरण पोषण देने का आदेश दिया था, लेकिन एक साल से मुझे कुछ नहीं मिला। मैंने इसके लिए भी अपील की। नारायण और आसाराम ने उन शिष्याओं से विश्वासघात किया है, जो उन्हें गुरु और पिता मानती थीं”।
जानकारी के लिए आपको बता दे कि अदालत ने शुक्रवार 26 अप्रैल को सूरत की रहने वाली दो बहनों के साथ दुष्कर्म के आरोप में नारायण साईं को दोषी करार दिया था। इस मामले में अदालत ने दोषी को सजा सुनाने के लिए 30 अप्रेल का दिन तय किया था। 30 अप्रैल को नारायण साईं को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
नारायण साईं का मामला करीब ग्यारह साल पुराना है। सूरत की रहने वाली दो बहनों ने उसके और उसके पिता के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत भी दर्ज कराई थी। एक बहन ने साईं पर 2002 और 2005 के बीच सूरत के आश्रम में रहने पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया था।
इससे पहले नारायण साईं के पिता आशाराम भी नाबलिग के दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद है
गौरतलब है कि पीड़िता की बड़ी बहन ने अहमदाबाद में 1997 और 2006 में आश्रम में रहने के दौरान आसाराम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। दोनों बहनों ने साईं और आसाराम के खिलाफ कथित शोषण की अलग-अलग शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने आसाराम और उसके बेटे के खिलाफ दुष्कर्म, यौन शोषण और अवैध तरीके से बंधक बनाकर रखना और अन्य अपराध के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने साईं के चार साथियों को भी गिरफ्तार किया था।
नारायण साईं पर केस दर्ज होने के बाद साईं अंडरग्राउंड हो गया था।लगभग दो महीने बाद दिसंबर, 2013 में उसे हरियाणा-दिल्ली सीमा के पास सिख के वेश में गिरफ्तार कर लिया गया। नारायण पर जेल में रहते हुए पुलिस कर्मचारी को 13 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का भी आरोप लगा था।