Muslim Womens Divorce : मुस्‍ल‍िम मह‍िलाओं को तलाक मांगने का हक, चाहे पति राजी न हो, केरल हाईकोर्ट का फैसला…

Muslim Womens Divorce :मुस्लिम महिला के तलाक मांगने के अधिकार पर केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार एक नवम्बर को फैसला सुनाते हुए कहाकि, इस्लामी कानून एक मुस्लिम महिला को तलाक मांगने का अधिकार देता है। अगर पति नहीं भी चाहता है तब भी पत्नी तलाक दे सकती है।

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Muslim Womens Divorce
Muslim Womens Divorce : मुस्‍ल‍िम मह‍िलाओं को तलाक मांगने का हक, चाहे पति राजी न हो, केरल हाईकोर्ट का फैसला

Kerala High Court Big Decision मुस्लिम महिला के तलाक मांगने के अधिकार पर केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार एक नवम्बर को फैसला सुनाते हुए कहाकि, इस्लामी कानून एक मुस्लिम महिला को तलाक मांगने का अधिकार देता है।

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Muslim Womens Divorce : राजस्थान पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम महिला के तलाक मांगने के अधिकार पर केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार एक नवम्बर को फैसला सुनाते हुए कहाकि, इस्लामी कानून एक मुस्लिम महिला को तलाक मांगने का अधिकार देता है। अगर पति नहीं भी चाहता है तब भी पत्नी तलाक दे सकती है। पत्नी की इच्छा, पति की इच्छा से संबंधित नहीं हो सकती है। और मुस्लिम महिलाओं को यह अधिकार उनको इस्‍लाम‍िक कानून में म‍िला हुआ है। केरल हाईकोर्ट में जस्टिस ए मोहम्मद मुस्ताक और जस्टिस सी एस डायस की पीठ ने एक फैसले के खिलाफ समीक्षा याच‍िका (Review Petition) को खार‍िज करते हुए कहा क‍ि, मुस्‍ल‍िम मह‍िलाएं पत‍ि की सहम‍त‍ि के ब‍िना भी ‘खुला’ प्रथा का इस्‍तेमाल कर सकती हैं। ‘खुला’ प्रथा का अर्थ मुस्‍ल‍िम मह‍िला की ओर से तलाक की प्रक्र‍िया का शुरू होना है।

समीक्षा याच‍िका को केरल हाई कोर्ट ने खार‍िज किया

Muslim Womens Divorce :केरल हाई कोर्ट ने समीक्षा याच‍िका को खार‍िज करते हुए कहाक‍ि, ऐसा लगता है याच‍िका पुरुषों के वर्चस्व वाली मानस‍िकता से दी गई है। जिसमें मुस्लिम महिलाओं को म‍िले अधिकार पचा नहीं पा रहे हैं। जिस अपील से पुनर्विचार याचिका उठी, वह मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 के तहत एक मुस्लिम पत्नी को दी गई तलाक की डिक्री को चुनौती देते हुए दायर की गई थी।

समीक्षा याचिका का तर्क

Muslim Womens Divorce :समीक्षा याचिका में यह तर्क दिया गया था कि यदि एक मुस्लिम पत्नी अपने पति के साथ अपनी शादी को समाप्त करना चाहती है, तो उसे अपने पति से तलाक की मांग करनी होगी और उसके मना करने पर उसे काजी या अदालत का रुख करना होगा।

पवित्र कुरान ने दिया है यह अधिकार

Muslim Womens Divorce :अपील में, कोर्ट ने कहा था कि, मुस्लिम पत्नी के कहने पर शादी को समाप्त करने का अधिकार एक पूर्ण अधिकार है। यह अधिकार उसे पवित्र कुरान ने दिया है। और यह उसके पति की स्वीकृति या इच्छा के अधीन नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा था कि, अगर कुछ शर्तें पूरी होती हैं तो खुला वैध होगा।

Muslim Womens Divorce :वैसे तो याचिकाकर्ता ने माना है कि, एक मुस्लिम महिला को अपनी मर्जी से तलाक मांगने का अधिकार है, लेकिन उसने यह भी तर्क दिया कि उसे खुला उच्चारण करने का कोई पूर्ण अधिकार नहीं है। दुनिया में कहीं भी एक मुस्लिम पत्नी को एकतरफा विवाह को खत्म करने की अनुमति नहीं है।

कुरान की आयत में मुस्लिम पत्नी को मिला है अधिकार

Muslim Womens Divorce :पिछले हफ्ते दिए अपने फैसले में कहा था कि, कुरान के अध्याय 2, आयत 229 में खुला से संबंधित आयत, स्पष्ट शब्दों में बताती है कि, एक मुस्लिम पत्नी को अपनी शादी को खत्म करने का अधिकार है।

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए बहुत बहुत सुक्रिया हम आशा करते है कि आज के आर्टिकल National Stress Awareness Day से जरूर कुछ सीखने को मिला होगा, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया है तो इसे शेयर करना ना भूले और ऐसे ही अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखे THEHALFWORLD वेबसाइट के साथ चलिए मिलते है नेक्स्ट आर्टिकल में तब तक के लिए अलविदा, धन्यवाद !