Muslim Women: स्कूल तक कितनी मुस्लिम महिलाएं पहुँच सकी, जाने क्या है आंकड़े ?

बात जब मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) की आती है, तो उनकी हालत दूसरे धर्मों की महिलाओं की तुलना में सबसे खराब है. सर्वे के मुताबिक, 25% मुस्लिम महिलाएं कभी स्कूल ही नहीं गईं.

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Muslim Women: स्कूल तक कितनी मुस्लिम महिलाएं पहुँच सकी, जाने क्या है आंकड़े ?

आंकड़े बताते हैं कि अभी भी देश में लड़कों के मुकाबले लड़कियों (Muslim Women) के लिए पढ़ाई मुश्किल है. देश में 71% महिलाएं, जबकि 84% पुरुष साक्षर हैं. मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) में पढ़ाई और मुश्किल है. आंकड़ों के मुताबिक, 25 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं ऐसी हैं, जो कभी स्कूल ही नहीं गईं.

मुस्लिम लड़कों की तुलना में स्कूली पढ़ाई में मुस्लिम लड़कियां (Muslim Women) आगे हैं. (फाइल फोटो)मुस्लिम लड़कों की तुलना में स्कूली पढ़ाई में मुस्लिम लड़कियां आगे हैं. (फाइल फोटो)

कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाना सही है या गलत? सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच इस पर एक राय नहीं बना सकी.

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने 133 पन्नों में दिए अपने फैसले में प्रतिबंध को सही ठहराते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया. तो वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने 73 पेज का फैसला दिया और याचिकाओं को मंजूर करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को ही रद्द कर दिया.

जस्टिस गुप्ता ने अपने फैसले में कहा कि अगर हिजाब की वजह से कोई स्कूल नहीं आना चाहता, तो ये उसकी अपनी पसंद है. इसके लिए सरकार पर अधिकारों के उल्लंघन का आरोप नहीं लगा सकते. वहीं, जस्टिस धूलिया ने कहा कि हिजाब पर प्रतिबंध लगाते हैं तो मुस्लिम लड़कियों (Muslim Women) की जिंदगी और मुश्किल होगी. सबसे बड़ा सवाल लड़कियों की शिक्षा को लेकर है. उन्हें शिक्षा मिले, ये जरूरी है.

आंकड़े बताते हैं कि आजादी के इतने सालों बाद भी लड़कियों के लिए पढ़ाई करना लड़कों के मुकाबले काफी मुश्किल है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के आंकड़ों के मुताबिक, 71% महिलाएं और 84% पुरुष साक्षर हैं. वहीं, 41% महिलाओं ने ही 10वीं और उससे आगे की पढ़ाई की है. जबकि इतनी ही पढ़ाई करने वाले पुरुषों का आंकड़ा 50% से ज्यादा है.

बात जब मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) की आती है, तो उनकी हालत दूसरे धर्मों की महिलाओं की तुलना में सबसे खराब है. सर्वे के मुताबिक, 25% मुस्लिम महिलाएं कभी स्कूल ही नहीं गईं. वहीं, सिर्फ 18% मुस्लिम महिलाएं ही ऐसी हैं जिन्होंने 12वीं या उससे ज्यादा पढ़ाई की है. इतना ही नहीं, 30% से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं तो ऐसी हैं जो कुछ भी नहीं पढ़ पातीं.

मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) की तुलना में मुस्लिम पुरुषों की हालत थोड़ी ठीक है. 15% मुस्लिम पुरुष ऐसे हैं जो कभी स्कूल नहीं गए. और लगभग 22% मुस्लिम पुरुषों ने 12वीं और उससे ज्यादा पढ़ाई की है.

लड़कों की तुलना में लड़कियां आगे

स्कूल और कॉलेजों में मुस्लिम लड़कों की तुलना में लड़कियां आगे हैं. आंकड़े बताते हैं कि स्कूल और कॉलेज, दोनों ही जगहों पर मुस्लिम लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या थोड़ी ज्यादा होती है.

शिक्षा मंत्रालय की UDISE+ की रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में देशभर के स्कूलों में जितने एडमिशन हुए, उनमें से 14.26% मुस्लिम छात्र थे. स्कूलों में एडमिशन लेने वालों में मुस्लिम लड़कों का प्रतिशत जहां 13.7% था, वहीं लड़कियों में ये आंकड़ा 14.8% था.

यही ट्रेंड कॉलेजों में भी हैं. हायर एजुकेशन पर शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि 2019-20 में देशभर के कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में 21 लाख से ज्यादा मुस्लिम छात्र थे. इनमें से 10.46 लाख छात्र लड़के और 10.54 लाख लड़कियां थीं. कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में मुस्लिम लड़कों और लड़कियों की संख्या में 8 हजार से ज्यादा का अंतर था.

स्कूल क्यों नहीं जाते बच्चे?

  • बच्चों के स्कूल नहीं जाने का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई में इंट्रेस्ट न होना है. NFHS-5 के मुताबिक, 21% लड़कियां और 36% लड़के सिर्फ इसलिए ही स्कूल नहीं जाते, क्योंकि उन्हें पढ़ाई में कोई इंट्रेस्ट नहीं है.
  • स्कूल जाने से रोकने का दूसरा बड़ा कारण महंगी फीस है. 21% लड़कियां और 16% लड़के महंगी फीस के चलते कभी स्कूल नहीं जा पाते. तीसरा बड़ा कारण है घर का कामकाज. 13% लड़कियां और 10% लड़के घर के काम में हाथ बंटाने के कारण स्कूल नहीं जाते.