4 साल की थीं तब माँ का हाथ छूटा,आज 22 हजार महिलाओं हाथ पकड़ कर ब्रांड बन चुकी…Ruma Devi

4 साल की थीं तब माँ का हाथ छूटा,आज 22 हजार महिलाओं हाथ पकड़ कर ब्रांड बन चुकी...Ruma Devi

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Ruma Dev
Ruma Devi with Rastrapati ji

राजस्थान के बाड़मेर जिले की रहने वाली रूमा देवी, आज कल इस नाम को रूम देवी एक ब्रांड बना चुकी है, आज उन्होंने वो उपलब्धि हांसिल की है कि उन्हे सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पहचान मिली है. रुमा देवी (Ruma Devi) महज 4 साल की थीं तब माँ दूसरे बच्चे की डिलीवरी के दौरान दुनिया से चली गई, माँ की मौत के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली और रुमा देवी को चाचा के पास रहने के लिए छोड़ दिया।

रूमा देवी को किताबों और खिलौनों की जगह ज़िम्मेदारियां मिली जिन्हे वह जैसे तैसे निभाती गई, इतनी अकेली सी रहने के बाद उसकी कक्षा 8 में ही पढाई छूट गई, जब रुमा देवी 17 साल की थी उनकी शादी कर दी गई.

रूमा देवी (Ruma Devi) की शादी के बाद उनको एक संतान हुई वो भी बीमारी के कारन बच नहीं पाई, और पहले बच्चे को ऐसे खो देना रुमा के लिए एक बुरा समय था, दरअशल रुमा इस हादसे से टूट गई थी वो बिलकुल भिखर सी गई थी, गरीबी के कारन वो अपने बच्चे का इलाज करवाने में समर्थ नहीं थी.

रुमा देवी (Ruma Devi) ने गरीबी से लड़ने की ठानी और वो गरीबी को हारने में आज कामयाब भी रही, इतना ही नहीं वो अपने काम में शामिल कर आज 22 हजार महिलाओं की जिंदगी संवार रही हैं। हैंडीक्राफ्ट के मामले में आज वो अपने आप में एक ब्रांड है.

चलिए, आज हम आपको आज रुमा देवी (Ruma Devi) की पूरी कहानी बताते है कि कैसे वो चुनौतियों का सामना करते हुए अपने सपनो को साकार करने में सफल रही आज महिलाओं और पुरे समाज के लिए प्रेरणा बनी है….

एक समय जब आने लगे थे आत्महत्या के ख़याल –
Josh Talk के मंच पर रुमा ने अपनी कहानी बताने के दौरान कहा कि वो अभी 32 साल की है और उनकी शादी सिर्फ 17 साल की उम्र में हो गई थी उसके बाद उनकी ज़िन्दगी में मुसीबते और ज्यादा बढ़ने लगी, शादी के 2 साल बाद रुमा देवी (Ruma Devi) को पहला बच्चा होने वाला था, रुमा को लगा कि उसकी ज़िंदगी में अब खुशियां आने वाली है, लेकिन बच्चे को साँस लेने में तकलीफ थी, और इलाज के लिए पैसे नही होने के कारन वह 48 घंटे ही ज़िंदा रह पाया, जिसके बाद रुमा को लगा कि उसकी ज़िंदगी में अब कुछ नहीं बचा है, उन्होंने पहले छोटी सी उम्र में माँ को खो दिया और अब अपने बच्चे को खोना उनके लिए मुश्किल हालात बने, रुमा के दिमाग में आत्महत्या जैसे ख़याल आने लगे लेकिन उसने सोचा कि घर में बैठी रहेगी तो शायद वो जी नहीं पाए, इसलिए वो व्यस्त होना चाहती थी और उसने काम करना शुरू किया।

दादी से मिला business idea –
रुमा (Ruma Devi) की दादी सिलाई बुनाई और कशीदाकारी का काम करती थी, वो रुमा के लिए भी कुछ न कुछ बनाने को कहती रहती थी, रुमा अपनी दादी के साथ बैठ कर ही कढ़ाई का काम सीखी थी. जब रुमा मुश्किल हालातों से गुजर रही थी तो रुमा को लगा की वही काम करना चाहिए जो उसने अपनी दादी से सीखा था, रुमा ने इसी काम को आगे बढ़ाने का प्लान किया। लेकिन दिक्कत फिर भी रुमा के सामने थी रुमा के पास न सिलाई मशीन थी और न सामान खरीदने के पैसे. रुमा ने सुई धागे से सबसे पहले बैग बनाया जो 70 रुपये में बिका, रुमा ने उन पैसों से ओर सामान ख़रीदा और कुशन और कढ़ाई वाले बैग तैयार करने लगी, धीरे-धीरे रूमा का काम बढ़ने लगा।

100-100 रुपए जुटाकर 10 महिलाओं ने मशीन खरीदी –
2006 में रुमा को लगा की वह अकेली यह नहीं कर पा रही है तब उन्होंने आस-पड़ोस की 10 महिलाओं को लेकर एक समूह बनाया। समूह की सभी महिलाओं ने 100-100 रुपए जुटाकर एक सिलाई मशीन खरीदी। मशीन की व्यवस्था तो हो गई लेकिन अब दिक्कत यह थी कि अब उन 10 महिलाओं को काम कौन देगा? वो जो हाथ से कुछ बनाएंगी उसको खरीदेगा कौन?

पहला आर्डर 3 दिन का मिला, एक रात में किया कम्पलीट –
रुमा (Ruma Devi) ने सभी 10 महिलाओ के लिए काम की तलाश की बड़ी मुश्किलों के बाद उनको पता चला कि बाड़मेर में ग्रामीण विकास चेतना संस्थान में हैंडीक्राफ्ट तैयार करने का काम होता है, और वहां कहीं महिलाये काम करती भी है रुमा सभी 10 महिलाओ के साथ वहां पहुँचती है और अपने काम के बारे में वहाँ बताती है, संस्थान ने उनसे सैंपल बनाने को कहा और उनके सैंपल संस्थान को बहुत पसंद आये उसके बाद संस्थान ने उन्हें 3 दिन का काम दिया, और काम मिलने की खुसी में रुमा और अन्य महिलाओं ने मिलकर इस काम को बस एक रात में पूरा कर लिया। अगले दिन जब वे वापस संस्थान पहुंचीं तो अधिकारियों ने उनसे पूछा की इतना जल्दी कैसे आना हुआ? रुमा ने बताया कि उनका दिया हुआ आर्डर वो कम्प्लेटे करके ले आयी है, रुमा का इस तरह का काम देख अधिकारी बहुत प्रभावित हुए और उन्हें इसी तरह काम देते रहे।

मर्द नहीं चाहते थे कि उनके घर की महिलाएं काम करें –
जब रुमा को काम मिलने लगा तो वह और महिलाओं को अपने साथ लेकर चलना चाहती थी, ताकि महिलायें कुछ काम कर सके और कुछ पैसे कमा सके. और इसीलिए वो गांवों में दूर-दूर भरी गर्मी के मौसम में जाती और महिलाओं से मिलती ताकि वह रुमा के साथ मिलकर काम कर पाए, लेकिन जब तक कि रुमा महिलाओं को कुछ समझा पाती घर के मर्द मना कर देते थे कि वह यह काम नहीं नहीं करेंगी. रुमा को महिलाओं को जोड़ने में बहुत दिक्कत आ रही थी लेकिन वह अब पीछे नहीं हट सकती थी इसलिए वह अपनी ज़िद पर अड़ी रही और आज अपने साथ 22 हजार महिलाओं को लेकर चलने में कामयाब रही है।

पहली बार प्रदर्शनी करने का मौका मिला दिल्ली में –
प्रोडक्ट बने में तो रुमा देवी सफल रही लेकिन अब उनके साथ चुनोती थी कि वह मार्केटिंग कैसे करे जिस से कि उनका प्रोडक्ट ज्यादा से ज्यादा सैल हो, कुछ लोगों ने बताया दिल्ली जाइए बढ़िया रिस्पॉन्स मिलेगा और अब वह दिल्ली जाना चाहती थी, लेकिन मुसीबतें रुमा का पीछा नहीं छोड़ती, उनके पास यह दिक्कत थी कि क्या उनका प्रोडक्ट लोगो को पसंद आएगा या नहीं ? रुमा सिर्फ गांव की बोली और मारवाड़ी में बात करना जानती थी। वो अच्छे से हिंदी भी नहीं बोल पाती थी, ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं है, घर वाले उनको दिल्ली भेजेंगे या नहीं ?

लेकिन रुमा दिल्ली गई और उन्होंने वहां प्रदर्शनी में भाग लिया और उनकी पहली में उन्होंने 10 -15 हजार की सैल की. इस रेस्पॉन्स से रुमा प्रभावित हुई और अगली प्रदर्शनी की तयारी में लग गई, वो अब और अच्छा परिणाम चाहती थी, उन्होंने जोश और होश से काम किया और अगली प्रदर्शनी में रुमा ने 11 लाख की सैल की.

रुमा अब अपने काम को और आगे बढ़ाना चाहती थी और उन्होंने पहनने के लिए कपडे बनाने शुरू किये जैसे साड़ियां, दुप्पटें, कुर्ता, कर्टेन्स सहित दर्जनों फैशन प्रोडक्ट तैयार करने लगी। लेकिन वह लोगो को दिखाना चाहती थी कि उनके बनाये हुए कपड़े पहनने के बाद कैसे लगते है, तब रुमा को लगा कि उन्हें फैशन शो करना चाइये, जब उनको मौका मिला और वो लोग शो करने गए और वहां अपनी बात रखी तो उनको लोग मन कर रहे थे कि आप यह नहीं कर पाओगे लेकिन रुमा की जिद थी और वो नहीं मानी, जब रुमा के डिज़ाइन किये हुए कपड़े पहने मॉडल रैंप पर आई तो शो आये हुए सभी बड़े डिज़ाइनर खड़े होकर तालिया बजाने लगे.

उपलब्धियां –
पहले फैशन शो ने रुमा को नेक्स्ट लेवल तक पहुँचाया और अब रुमा उन 5 फैशन डिज़ाइनर की मदद से अलग-अलग राज्यों में फैशन शो करवा रही है. और रुमा ने ”डिज़ाइनर ऑफ़ द ईयर” का अवार्ड भी जीत लिया है। उसके बाद रुमा को राज्य स्तर पर कई अवार्ड मिल चुके है, यही नहीं बल्कि 2018 में राष्ट्रपति जी रुमा देवी को नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित कर चुके है। 2019 में KBC की हॉट सीट पर रुमा देवी को स्थान मिला था।

इतने सारे अवार्ड जितने की ख़ुशी का त्योंहार मना ही रही थी कि उन्हें रुमा को Harvard University America के annual function में Invite किया गया, रुमा अमेरिका गई और उनका यह सफर सराहनीये रहा। कोरोना आने के बाद उन्होंने rumadevi.com नाम से एक ई कॉमर्स वेबसाइट तैयार की है, जहां वे अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करती हैं।