बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही है. बुधवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं पहले भी कई बार लोकसभा चुवाव जीत चुकी हूँ और कभी भी चुनाव जीतकर लोकसभा में जा सकती हूँ. अभी पिछड़ों के लिए लड़ना है और पूरे यूपी पर ध्यान केंद्रित चाहती हूँ. मायावती (Mayawati) ने कहा कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन का जीतना ज्यादा जरूरी है. राजनीति में कई बार कड़े फैसले लेने पड़ते हैं.
अभी देशहित और पार्टी के मूवमेंट को देखते हुए चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है. अगर चुनाव बाद मौका आएगा तो देखा जाएगा.
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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इस बार सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़ रही हैं.
उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा की सीट है और सपा-बसपा के बीच चुनावी गठबंधन के तहत सपा के हिस्से 37 सीटें आयी हैं तथा बसपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इसके साथ अजित सिंह के रालोद को तीन सीटें दी गयी हैं लेकिन रोचक बात यह है की कांग्रेस के साथ चुनाव नहीं लड़ने पर भी गठबंधन ने दो सीटें सोनिया गांधी का निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली और राहुल गांधी का क्षेत्र अमेठी से प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 80 में से 71 सीटें जीती थीं. जबकि बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने भी दो सीटें जीती थीं. इस तरह से एनडीए (NDA) के पास कुल 73 सीटें थी.
मायावती ने बुधवार को साफ कर ही दिया कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी, बल्कि पार्टी के लिए पूरे देश में प्रचार करेंगी। इसके अलावा 2 अप्रैल को उड़ीसा के भुवनेश्वर से मायावती प्रचार अभियान की शुरूआत करेंगी। इसके बाद उत्तरप्रदेश के देवबंद में सात अप्रैल को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ संयुक्त रैली का हिस्सा भी बनेंगी।मुलायम सिंह यादव मैनपुरी सीट से बसपा-सपा गठबंधन के प्रत्याशी हैं और मायावती उत्तरप्रदेश में यादव परिवार के गढ़ मैनपुरी में 19 अप्रैल को वोट की अपील करेंगी।