चुनावों का माहौल है और जाति धर्म की राजनीति चरम पर है परन्तु महिलाओं के लिए कितना काम हुआ यह अभी कोई बात नहीं कर रहा है. मौजूदा सरकार की भी कुछ योजनाओं का बुरा हाल है. चाहे बेटी बचाओ, की बात करें या महिला शक्ति केंद्र (Mahila Shakti Kendra) की बात करे.
सरकार में चाहे कोई भी पार्टी की हो महिलाओं के लिए कोई भी उस स्तर पर काम नहीं कर पाया है जिस स्तर पर करना चाहिए था.
गौरतलब है की, नवंबर 2017 में मोदी सरकार भी महिला सशक्तिकरण के लिए एक नई योजना लेकर आई थी, जिसका नाम महिला शक्ति केंद्र है.
महिला शक्ति केंद्र (Mahila Shakti Kendra) योजना की बात की जाए तो देश के 640 जिलों को जिला स्तरीय महिला केंद्र के माध्यम से कवर किया जाना है. ये केंद्र महिला केंद्रित योजनाओं को महिलाओं तक सुविधाजनक तरीके से पहुंचाने के लिए गांव, ब्लॉक और राज्य स्तर के बीच एक कड़ी के रूप में काम करेंगे और जिला स्तर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को भी मजबूत करेंगे.
इस योजना को सफल बनाने के लिए, कॉलेज के छात्र स्वयंसेवकों के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता को भी बढ़ाया जाना है.
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार महिला शक्ति केंद्र योजना का विवरण इस प्रकार है.
प्रथम चरण (2017-18) के दौरान 220 जिलों को कवर किया जाना है और इसी तरह 220 और ‘डिस्ट्रिक्ट लेवल सेंटर फॉर वूमेन’ (डीएलसीडब्ल्यू) को 2018-19 तक स्थापित किया जाना है. यानी 2019 तक 440 महिला शक्ति केंद्र बनाए जाने थे.
बाकी के 200 जिलों को 2019-20 के अंत तक कवर किया जाना है. इसकी फंडिंग केंद्र और राज्य के बीच 60:40 के अनुपात में होगी.
उत्तर पूर्व के राज्यों और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए यह 90:10 होगा और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह केंद्र द्वारा 100 फीसदी वित्त पोषित होगा.
इस रिपोर्ट के अनुसार महिला शक्ति केंद्र की स्थापना के लिए 115 सबसे पिछड़े जिलों पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है. उनमें से 50 जिले 2017-18 में और शेष 65 जिले 2018-19 में इस योजना के तहत शामिल किए जाएंगे.
देखा जाये तो भारत सरकार ने साल 2017-18 के दौरान 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच 61.40 करोड़ रुपये और 2018-19 में अब तक 52.67 करोड़ रुपये जारी किए हैं.
एक आरटीआई के के अनुसार इस योजना की पोल्ल खुल गई है.
आरटीआई के जवाब में केवल 24 जिलों ने ही अब तक डिस्ट्रिक्ट लेवल सेंटर फॉर वूमेन यानी महिला शक्ति केंद्र कार्य करने योग्य बनाया है, जिसमें भारत के पांच सबसे पिछड़े जिले शामिल हैं. इनमें देश के सबसे पिछड़े जिलों में 10 जिले बिहार में स्थित हैं.
देखा जाये तो झारखंड के 19 जिले भी देश के 115 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल है. झारखंड को भी इस योजना के तहत 18.65 करोड़ रुपये प्राप्त हुए लेकिन एक भी केंद्र आज तक कार्य करने योग्य नहीं बनाया गया.
जमीनी स्तर पर इस तरह से महिलाओं के लिए मुख्य रूप से कोई भी योजना इतनी कारगार नहीं हो पाई है जितनी होनी चाहिए. महिलाएं भी अपनी मांग रखने में बहुत पीछे है क्योंकि महिलाओं का उनके खुद के लिए कोई ऐसा आंदोलन देखने को नहीं मिला है.