Honor Killing: NCRB के अनुसार हर दिन बच्चों के साथ अपराध के 350 मामले, दुःख की बात यह कि ऐसे संगीन अपराध में माताएं भी शामिल…

कैसे एक माँ अपने ही अपने बच्चे की कातिल बन गई. और साथ में यह भी बताने की कोशिश करते है कि ऐसे मामले (honor killing) देश में और कितने हुए...

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Honer Killing
Honor Killing: माँ ने 5 साल के बच्चे चौथी मंजिल से निचे फेंका मौत, NCRB के अनुसार हर दिन बच्चो के साथ अपराध के 350 मामले...

”इस दुनिया में सबसे बड़ी योद्धा माँ होती है” यह डायलॉग तो आप सबने सुना ही होगा, अगर नहीं सुना तो हम बता दे कि हाल ही में रिलीज हुई फिल्म KGF का डायलॉग है, अब आप सोच रहे होंगे कि हम फिल्म की बात क्यों कर रहे है. तो ऐसा इसलिए क्योंकि इस डायलॉग की खूब सराहना हुई लेकिन एक माँ ने असल ज़िन्दगी में इसको गलत साबित किया है और कुछ ऐसा कदम उठाया है जिससे यह साबित होता है कि एक रक्षक ही नहीं कभी कभी एक माँ अपने ही बच्चे के लिए भक्षक भी हो सकती है. आज हम आपको बताते है कि कैसे एक माँ अपने ही अपने बच्चे की कातिल बन गई. और साथ में यह भी बताने की कोशिश करते है कि ऐसे मामले (honor killing) देश में और कितने हुए है अब तक ?

honor killing
ऑनर किलिंग (honor killing)

क्या है पूरा मामला ? What is the whole matter?

मामला है बेंगलुरु का जहाँ, एक पांच साल के मासूम को मां के हाथों अपनी जान गंवानी पड़ी. दरअसल एक महिला ने अपने 5 साल के बच्चे को अपार्टमेंट की चौथी मंजिल से नीचे फेंक दिया. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार बच्चा मानसिक रूप से विक्षिप्त था जिससे उसकी मां डिप्रेशन में थी. इसी से तंग आकर उसने यह खौफनाक कदम उठाया और अपने ममता का गला घोंटते (Owner Killing) हुए बच्चे को बालकनी से फेंक दिया.

बालकनी से फेंके जाने के बाद बच्चे की तुरंत मौके पर ही मौत (honor killing) हो गई. जैसे ही लोगों को इसकी खबर मिली लोगों ने पुलिस को सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक बच्चे की मां को गिरफ्तार कर लिया. इस घटना को लेकर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मां ने जानबूझकर बच्चे को बालकनी से फेंक दिया, हमने मां को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. बच्चा मानसिक रूप से अस्थिर था और अभी इस मामले में आगे की जांच जारी है.

क्या है ऑनर किलिंग? What is Honor Killing?

परिवार के किसी सदस्य विशेष रूप से महिला सदस्य की उसके सगे-संबंधियों द्वारा होने वाली हत्या को ऑनर किलिंग (honor killing) कहा जाता है। ये हत्याएँ प्रायः परिवार और समाज की प्रतिष्ठा के नाम पर की जाती हैं।

हर दिन ऐसे औसतन 350 मामले On an average 350 such cases every day

भारत में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2020 की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1,28,531 मामले दर्ज किए गए, जिसका मतलब है कि महामारी के दौरान हर दिन ऐसे औसतन 350 मामले सामने आए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) एनसीआरबी के आंकड़ों पर एक गैर सरकारी संगठन के विश्लेषण में यह बात कही गई है। हालांकि, चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) ने अपने विश्लेषण में कहा कि 2019 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की तुलना में, ऐसे मामलों की कुल संख्या में 13.3 प्रतिशत की गिरावट आई है।

वर्ष 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,48,185 मामले दर्ज किए गए थे जिसका मतलब है कि देश में हर दिन ऐसे 400 से अधिक अपराध हुए। बाल अधिकार संगठन ने कहा, ” हालांकि बच्चों के खिलाफ अपराधों की कुल संख्या में गिरावट आई है, लेकिन बाल विवाह के मामलों में 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जबकि एक वर्ष में ऑनलाइन दुर्व्यवहार के मामलों में 400 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”

बच्चों के खिलाफ अपराध के 42.6% मामले किडनैपिंग के Kidnapping 42.6% of crimes against children

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में जारी हुई नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) कि रिपोर्ट कहना है कि बच्चों के खिलाफ अपराध के देश में 1,28,531 मामले दर्ज हुए। जो 2019 के मुकाबले 13.2% कम हैं। बच्चों खिलाफ होने वाले अपराधों में सबसे ज्यादा 42.6% मामले किडनैपिंग के हैं। बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा मामले भी 38.8% दर्ज हुए।

ऑनर किलिंग के कारण due to honor killing

लगातार सख्त होती जाति व्यवस्था The ever-tightening caste system:

आंकड़े drishtiias.com के अनुसार –

► देश में जातिगत धारणाएँ लगातार बलवती होती जा रही हैं। अधिकांश ऑनर किलिंग (honor killing) के मामले तथाकथित उच्च और नीची जाति के लोगों के प्रेम संबंधों के मामले में देखने को मिले हैं। अंतर-धार्मिक संबंध भी ऑनर किलिंग का एक बड़ा कारण है।

औपचारिक प्रशासन का अभाव:

► ऑनर किलिंग (honor killing) का मूल कारण औपचारिक शासन का ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुँच पाना है।
► पंचायत समिति जैसे औपचारिक संस्थानों की अनुपस्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में निर्णयन की शक्ति अवैध एवं गैर-संवैधानिक संस्थाएँ, जैसे- खाप पंचायतों के हाथ में चली जाती है।

निरक्षरता और अधिकारों के संबंध में अनभिज्ञता:

► शिक्षा के अभाव में समाज का बड़ा हिस्सा अपने संवैधानिक अधिकारों के संबंध में अनजान है।
► गौरतलब है कि ऑनर किलिंग (honor killing) भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (1), 1 9, 21 और 39 (एफ) को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करता है।
► अनुच्छेद 14, 15 (1), 1 9, और 21 मूल अधिकारों से संबंधित हैं, जबकि अनुच्छेद 39 राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों से संबंधित है।
► उल्लेखनीय है कि मूल अधिकार और निर्देशक तत्व संविधान की आत्मा और दर्शन के तौर पर जाने जाते हैं।

ऑनर किलिंग का प्रभाव Honor killing effect

ऑनर किलिंग (honor killing) मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ अनुच्छेद 21 के अनुसार गरिमा के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन भी है।
यह देश में सहानुभूति, प्रेम, करुणा, सहनशीलता जैसे गुणों के अभाव को और बढ़ाने का कार्य करता है।
विभिन्न समुदायों के बीच राष्ट्रीय एकता, सहयोग आदि की धारणा को बढ़ावा देने के लिये एक बाधक का कार्य करता है।

जूवनाइल जस्टिल एक्ट, क्या बच्चो को मरने पीटने पर देश में कानून Juvenile Just Act, is there a law in the country for beating children to death

मध्य प्रदेश के शाजापुर में एक मामला सामने आया था. news18 की रिपोर्ट के अनुसार जहां एक सौतेले पिता ने अपने 3 साल के मासूम बेटे को उलटा लटकाकर डेढ़ घंटे तक बेल्ट और चप्पलों से पीटा था. मासूम का कसूर सिर्फ इतना था की वो 10 तक गिनती नहीं बोल सका. आपको बता दें अगरपेरेंट्स बच्चे को पीटते हैं तो उनके खिलाफ जेजे (जूवनाइल जस्टिस) एक्ट के तहत पुलिस से शिकायत की जा सकती है. बच्चे को चोट पहुंचती है तो आईपीसी के तहत भी केस दर्ज हो सकता है. जेजे ऐक्ट के तहत दोषी पाए जाने पर 6 महीने तक की सजा ही सकती है.

अगर दोषी पाए गए तो लम्बे जाओगे अंदर, IPC के तहत If found guilty, you will go inside, under IPC

पैरेंट्स अगर बच्चे को पीटते हैं और उसे चोट लगती है तो उनके खिलाफ धारा 323 के तहत केस दर्ज हो सकता है. इसमें आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होगी और बच्चे को कोर्ट में खुद ही अपना केस लड़ना होगा और जुर्म साबित होने पर परिजनों को जुर्माना या एक साल की कैद हो सकती है. लेकिन बच्चे को नुकीले हथियार से मारने पर धारा 324 लगती है, जिसमें 3 साल तक की सजा का प्रावधान है. जानलेवा चोट पहुंचाने पर 326 के तहत मुकदमा दर्ज होगा, जिसमें 10 साल तक या उम्रकैद तक सजा हो सकती है. मारपीट के दौरान अगर बच्चे के सिर पर चोट लगी तो धारा 308 के तहत गैर-इरादतन हत्या की कोशिश का का केस बनेगा, जिसके तहत 3 से 7 साल तक कैद हो सकती है.

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