Happy Mother’s day: पहला मदर्स डे कब और किसने मनाया था, कौन है दुनिया की योद्धा माँ …

Happy Mother's day: पहला मदर्स डे कब और किसने मनाया था, कौन है दुनिया की योद्धा माँ ...

0
861
Happy Mother's day
Happy Mother's day: पहला मदर्स डे कब और किसने मनाया था, कौन है दुनिया की योद्धा माँ ...

हर रिश्ते से उपर कोई रिश्ता होता है तो वो है मां और बच्चे का। इस रिश्ते का कोई मोल नहीं होता है। मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर गुजरती हैं। मां के निस्वार्थ प्रेम को सलाम करने के लिए मदर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है। मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे (Mother’s day 2022) मनाया जाता है।

पहला मदर्स डे कब और किसने मनाया था

हर साल दुनिया भर में 8 मई को मदर्स डे (Happy Mother’s day) मनाया जाता है, यह दनिया भर में पुरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मदर्स डे (Happy Mother’s day) मानाने के पीछे मुख़्य कारन हमारे जीवन में मां की महत्ता को दर्शाना है। चलिए बात करते है मदर्स डे (Happy Mother’s day) मनाने के इतिहास के बारे में तो बात है 1908 की जब फिलाडेल्फिया के एना जार्विस द्वारा पहला मदर्स डे मनाया गया था। 12 मई 1998 को, उन्होंने वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन चर्च में अपनी स्वर्गवासी मां के लिए एक मेमोरियल रखा था। एना जार्विस ने सफेद कार्नेशन पहने थे। लेकिन जैसे-जैसे रीति- रिवाज विकसित हुए वैसे- वैसे लोगों ने अपनी मां के लिए लाल या गुलाबी रंग के कार्नेशन पहनना शुरू कर दिया और एक स्वर्गवासी मां के लिए सफेद कार्नेशन पहनना शुरू कर दिया।

Mother’s Day – Founded by Anna Jarvis of Philadelphia. First officially observed in 1908, it honored motherhood and family life at a time of rising feminist activism. An early supporter was John Wanamaker, whose store stood opposite. Mother’s Day was given federal recognition in 1914. (Historical marker located at S. Juniper and Market Sts. Philadelphia PA – Pennsylvania Historical and Museum Commission 1998)

एना जार्विस मदर्स डे नेशनल हॉलिडे को क्यों खत्म करना चाहती थी ?
वर्ष 1914 में यूएस प्रेस वुडरो विल्सन ने मदर्स डे (Mother’s Day 2022) को नेशनल हॉलिडे घोषित कर दिया। कई वर्षो तक ऐसा चलता रहा फिर दादी और चाची जैसे अन्य लोगों को भी मदर्स डे (Happy Mother’s day) के उत्सव में में शामिल कर लिए, और ऐसा इस लिए किया गया क्योंकि उन महिलाओं ने भी एक मां की भूमिका निभाई है। एना जार्विस ने उस नेशनल हॉलिडे को खत्म करने की कोशिश की जो उसके कारण शुरू हुई थी। क्योंकि वह चाहती थी कि मदर्स डे (Happy Mother’s day) केवल एक दिन हो।

मदर्स डे का महत्व

मदर्स डे (Happy Mother’s day) दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सभी माताओं के प्रति सम्मान, केयर और प्यार व्यक्त करने के लिए मनाया जाने वाला एक अवसर है। यह दिन हम हमारी जिंदगी में एक मां की भूमिका को सेलिब्रेट करने के लिए मनाते हैं। यह अवसर सभी को अपने आसपास की माताओं के लिए कुछ खास करने का मौका देता है। लेकिन इस बात का बेहद ध्यान रखें कि अपनी मां का शुक्रिया अदा करने के लिए केवल एक दिन काफी नहीं हो सकता। मां के लिए हर दिन खास बनाएं और उन्हें खास होने का एहसास दिलाएं।

हमारे जीवन में माँ का महत्व

हमारे प्रतिदिन के जीवन में माँ के योगदान को विशिष्ट रुप से दर्शाने के लिये विभिन्न देशों में अलग-अलग दिनों में मातृ-दिवस को मनाया जाता है। एक बच्चे को जन्म देने से लेकर उसे एक अच्छा इंसान बनाने तक सभी पड़ावों में माँ अपने बच्चों के जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाती है। ये केवल माँ ही है जो अपने बच्चे के चरित्र और पूरे जीवन को आकार देती है। सभी माँ अपने बच्चे की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्णं भूमिका अदा करती है। वो हर एक चीज का ध्यान रखती है जो उसके बच्चे की जरुरत हो। सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक वो खुद को अपने बच्चे के लिये पूरी तरह जिम्मेदार समझती है।

मां की ताकत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो अपने बच्चे की सुरक्षा और उसे ज़िंदगी का हर सुख देने के लिए अपनी सुविधाएं और जान दांव पर लगा देती है. चलिए जानते है दुनिया की कुछ योद्धा माँ के बारे में, जिन्होंने माँ होने का फर्ज हर हालात में निभाया

दिव्यांग बेटे को पीठ पर लादकर दुनिया घूमने निकली मां

ऑस्ट्रेलिआ निकी एंट्रम ऐसी ही ऑस्ट्रेलियन (Australian Mother ) मां हैं, जिन्होंने अपने बेटे की खुशी के आड़े उसकी कुदरती असहायता भी नहीं आने दी. 43 साल की निकी ने अपने मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग बेटे को पीठ पर लादकर (Mother Toured World with Son On Her Back) आधी दुनिया दिखा दी है. उनकी कुछ तस्वीरें हम आपको दिखाते हैं, जिन्हें देखकर आपका दिल भर आएगा और आप इस मां की तारीफ करते नहीं थकेंगे.

Daily Mail की रिपोर्ट के मुताबिक निकी एंट्रम ने अपने बेटे जिमी को 17 साल की छोटी सी उम्र में जन्म दिया था. उनका बेटा जन्मजात दिव्यांग था. उसे शारीरिक और मानसिक अपंगता के साथ-साथ अंधेपन की भी दिक्कत थी. कुल मिलाकर उसे 24 घंटे की देखभाल चाहिए थी.
हालांकि निकी एंट्रम ने बेटे की किसी भी दिक्कत को उसकी खुशियों के आड़े नहीं आने दिया. जिमी को निकी ने अपनी पीठ पर लादकर हवाई से लेकर बाली और पेरिशर की स्की स्लोप्स तक दिखा डालीं. ये सारा सफर उन्होंने बेटे को पीठ पर पनाह देकर ही पूरा किया.
क्वींसलैंड (Queensland News) के सनशाइन कोस्ट में रहने वाली निकी अपने बेटे को सबसे अच्छी ज़िंदगी देने का वादा किया था और उसे पूरा करने के लिए ताकतवर मां के कंधे की काफी हैं. वे कोरोना के बढ़ने से पहले कनाडा की भी ट्रिप पूरी करना चाहती हैं.
ऐसा नहीं है कि निकी के पास व्हीलचेयर नहीं है, लेकिन उसकी मां को उसे कंधों पर लादकर सैर कराना पसंद है. थोड़ी-थोड़ी दूरी वे खुद जिमी से तय करने को कहती हैं, जबकि मुश्किल रास्तों पर वे उसे उठा लेती हैं.

दुनिया की सबसे कम उम्र वाली मां, मात्र 5 साल की उम्र में बनी माँ

पेरू की रहने वाली ‘लीना मदीना’ नामक इस बच्ची ने महज 5 साल की उम्र में एक बच्चे को जन्म देकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। उस समय मेडीकल जगत में यह पहला ऐसा मामला था कि जिसमें इतने कम उम्र की कोई लड़की मां बनी थी। यह पहेली ही थी जो आज तक नहीं सुलझाई जा सकी। दरअसल, विज्ञान की दुनिया में भी यही माना जाता रहा है कि इतनी छोटी उम्र में किसी का मां बन पाना संभव ही नहीं है। यह कैसे हुआ इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया है।

लीना का जन्म पेरू के तिक्रापो में 27 सितम्बर 1933 को हुआ था। लीना पांच साल की थी जब उसके पेट का आकार अचानक बढ़ने लगा। लीना के माता-पिता को लगा कि पेट ट्यूमर की वजह से बढ़ रहा है, लेकिन जब जांच हुई तो लीना के पेट में एक बच्चा पल रहा था।
कम उम्र के चलते बच्चे के जन्म के समय उसकी जान को खतरा था। इसीलिए डॉक्टर्स की टीम ने लीना को तकरीबन एक महीने तक अस्पताल में ही रखा।आखिरकार लीना ने 14 मई, 1939 को ऑपरेशन द्वारा एक बेटे को जन्म दिया। इस समय तक लीना की न्यूज पेरू सहित पूरी दुनिया की मीडिया में छा गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लीना को मात्र 3 साल की उम्र से ही पीरियड आने शुरू हो गए थे।

मदर टेरेसा: बेसहारा लोगों को जीवन समर्पित

मदर टेरेसा (Mother Teresa) ने अपना जीवन लोगो की सेवा में अर्पण किया था। उनके जीवन का उद्देश्य अनाथ बच्चों की सेवा करना था। मदर टेरेसा एक सर्व साधारण महिला थी उनकी ऐसी समाज सेवा की वजह से उन्हें 1970 में शांति के लिए नोबेल प्राइज मिल चुका है। देखा जाए तो मदर टेरेसा Super Women से कम नहीं है।

मदर टेरेसा ने उन बच्चो और उन लोगो को अपनाया जिन्हे समाज ने ठुकराया था। जिनके सिर पर छत नही थी, जो बेसहारा थे उनके लिए मदर टेरेसा ने अपना जीवन समर्पित किया। जानिए कुछ खास बाते जो मदर टेरेसा को एक सर्वोत्तम इंसान बनाती है।

मदर टेरेसा के जीवन से जुड़ी 10 खास बातें – ( Shethepeople के अनुसार )
मदर टेरेसा ने साल 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी नामक संस्था की शुरुआत की थी।
मदर टेरेसा को 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।
मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था जिसे उन्होंने 1981 में बदलकर टेरेसा रख लिया।
जब वो केवल 18 की उम्र में दीक्षा लेकर सिस्टर टेरेसा बनी थी।
उनकी संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने 1997 तक 155 में देशों में 755 निराश्रित गृह बनाए।इस संस्था से कम से कम 5 लाख लोगो को सहायता हुई।
मदर टेरेसा को 1980 में भारत रत्न से नवाजा गया था।
उनका उसूल था कि वो किसी के भी घर का न खाना खाती थी ना पानी पीती थी। उनका मानना था कि गरीब लोग बहुत मेहनत से दो वक्त का खाना खा पाते है, ऐसे हालात में वो किसी पर बोझ नही बनना चाहती थी।
मदर टेरेसा ने अपनी जीवन शैली में एड्स, कुष्ठ रोग, तपेदिक से ग्रस्त लोगो के लिए घर बनाए और उन्हें सहारा दिया।
मदर टेरेसा का मानना था की सब के पास सारी सुविधाएं नहीं होती लेकिन जिनके पास बेसहारा लोगो को मदद करने की क्षमता होती है उनको जरूर करनी चाहिए।
मदर टेरेसा ने मरते दम तक शांति और प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने अपने जीवन को बेसहारा ,गरीबों और बीमार लोगो की सेवा करने में बिताया।