यूक्रेन (Ukraine) जंग ने मानव इतिहास में एक ऐसी गाथा लिख दी है जिसे इंसानी इतिहास सालों तक नहीं भूल पाएगा। इस जंग ने हजारों लोगों को मौत के मुंह में झोंक दिया और लाखों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। 24 घंटे चमक धमक और रोशनी से पटे रहने वाले शहर अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। तबाही के मंजर के बीच यूक्रेन (Ukraine) के राष्ट्रपति जेलेंस्की की पत्नी ओलेना जेलेंस्का (Olena Zelenska) ने दुनिया भर की मीडिया के लिए एक खुला खत लिखा है। आगे बढ़ने से पहले आप इस पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं…
ओलेना जेलेंस्का की तरफ से, पढ़िए ओलेना जेलेंस्का (Olena Zelenska) का पूरा खत….
दुनिया भर की मीडिया मेरा इंटरव्यू लेना चाहती है,
मैं इस खत के जरिए उन सभी को एक साथ जवाब दे रही हूं।
यूक्रेन में मेरा अनुभव।
मेरे देश में दो हफ्ते पहले जो हुआ और फिलहाल जो हो रहा है वह अकल्पनीय था। हमारा देश शांतिपूर्ण था जहां हमारे महानगर, कस्बे और गांव खुशियों से भरे हुए थे।
24 फरवरी को हम युद्ध की शुरुआत की ऐलान के साथ जागे। रूसी टैंक यूक्रेनी बॉर्डर के पार कर चुके थे और उनके विमान हमारे हवाई क्षेत्र में आ गए। हमारे शहर रॉकेट लॉन्चरों से घिरे हुए थे।
भले ही क्रैमलिन इस हमले को एक “विशेष अभियान” बता रहा है, लेकिन यह यूक्रेनी नागरिकों का सामूहिक नरसंहार है।
मासूम बच्चों के मारे जाने की खबर सबसे ज्यादा तकलीफदेह है। आठ साल की अलीसा, जिसकी ओखतिरका गली में मौत हो गई, उसके दादा ने ढाल बनकर उसे बचाने की कोशिश की। कीव की पोलीना… जो अपने माता-पिता के साथ गोलाबारी में मारी गई। या 14 साल का आर्सेनी जिसके सर पर मलबा गिरा था उसे बचाया नहीं जा सका, क्योंकि भारी गोलाबारी की वजह से एम्बुलेंस नहीं पहुंच सकी।
अगर रूस फिर से यह दावा करता है कि वह “आम लोगों के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ता है,” तो मैं इन नामों के बारे में बताउंगी।
हमारी पत्नियां और बच्चे अब तहखाने में रह रहे हैं। आपने कीव और खार्किव सबवे से तस्वीरें देखी होंगी, जहां लोग अपने बच्चों और पालतू जानवरों के साथ जमीन पर लेटे हुए हैं। कुछ के लिए, यह शानदार फुटेज है, लेकिन यूक्रेनियन के लिए यह पिछले हफ्ते की नई वास्तविकता है। कई परिवार हवाई हमले के डर से बाहर नहीं निकल सकते हैं।
हमारे बच्चों की क्लास बेसमेंट में होती है। और कुछ बच्चे तो पैदा ही वहीं हो रहे हैं, क्योंकि नर्सिंग वार्डों को तबाह कर दिया गया। रूसी हमले के दिन पैदा होने वाले बच्चे ने शांति का खुला आकाश नहीं, बल्कि तहखाने की ठोस छत को देखा। हमारे देश में दर्जनों बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने जीवन में अब तक शांति नहीं देखी।