Constitution Of India : संविधान निर्माण में डॉ. आंबेडकर के साथ 15 महिलाओं योगदान के बारे में भी आपको जानना चाहिए…

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Constitution Of India
Women committee member Constitution of India

संविधान (Constitution Of India) का निर्माण बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने किया था. लेकिन संविधान (Constitution) के निर्माण में देश की महिलाओं व पुरुषों ने अपना योगदान दिया था. हमारे इतिहास को भूलना इतना आसान नहीं है लेकिन क्या हमें पूरा इतिहास पता है, दरअशल कुछ लोगों को पता भी नहीं होगा कि दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधान (Constitution Of India) के निर्माण में देश की महिलाओं सहित 389 सदस्यों का योगदान रहा है. आज हम उन 15 महिलाओं की बात करने वाले है जिनको हमें याद रखने की महत्वपूर्ण आवष्यकता है.

1 मालती चौधरी

संविधान (Constitution Of India) सभा की सदस्‍य मालती चौधरी का जन्म पूर्वी बंगाल में हुआ था, वे उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री नाबकृष्ण चौधरी की पत्नी थी। मालती चौधरी ने महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए नमक सत्याग्रह में भी भाग लिया था। भारतीय राष्ट्रीय में कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस समाजवादी कर्म संघ की स्थापना की थी।

2 विजयलक्ष्मी पंडित

18 अगस्त 1900 को इलाहाबाद में जन्मी पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित भी संविधान (Constitution) निर्माण कमेटी की सदस्य थी। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत इलाहाबाद नगर-निगम चुनाव के साथ की थी। 1931 में विजयलक्ष्मी संयुक्त प्रांत सदन के लिए चुनी गई थी, जबकि उन्हें सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। वे ऐसी पहली महिला थी जिन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।

3 सरोजिनी नायडू

23 फरवरी 1879 को दक्षिण भारत के हैदराबाद शहर में जन्मी सरोजनी नायडू की भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका थी. सरोजनी नायडू ने इंग्लैण्ड से पढ़ाई थी. बाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी रही और पहली महिला राज्यपाल बनी थी. उन्होंने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी. सरोजनी नायडू को साहित्य का अच्छा ज्ञान था. वे संविधान सभा के उन सदस्यों में शामिल थी. जिन्होंने संविधान (Constitution Of India) का निर्माण किया था.

4 राजकुमारी अमृत कौर

राजकुमारी अमृत कौर कपूरथला के पूर्व महाराजा के पुत्र हरनाम सिंह की पुत्री थी. उनका जन्म 2 फरवरी 1889 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था. राजकुमारी अमृत कौर ने ही देश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान (AIIMS) की स्थापना की थी. इसके लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी उनका सहयोग किया था. वे करीब 10 साल तक देश की स्वास्थ्य मंत्री रहीं थी. राजकुमारी अमृत कौर भी संविधान (Constitution) सभा की सदस्य थी.

5 सुचेता कृपलानी

संविधान (Constitution) निर्माण में योगदान देने वाली सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला मुख्यमंत्री भी थी। इनका जन्‍म 25 जून 1904 को हरियाणा के अंबाला शहर में हुआ था। उन्होंने कांग्रेस पार्टी में महिला शाखा का निर्माण किया था, सुचेता कृपलानी ने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी।

6 लीला रॉय

लीला रॉय भी संविधान (Constitution) सभा की उन 15 महिलाओं में शामिल थी. जिन्होंने संविधान का निर्माण किया था. असम के गोलपाड़ा जिले में 2 अक्टूबर 1900 को जन्मी लीला रॉय को उस वक्त महिलाओं के सबसे बड़े हिमायती के तौर पर जाना जाता था. उन्होंने 1923 में दीपाली संघ और स्कूलों की स्थापना कर देशभर में चर्चा पायी थी. 1937 में वह कांग्रेस में शामिल हो गई. खास बात यह है कि उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बनाई गई महिला समिति में सदस्य बनाया गया था.

7 बेगम एजाज रसूल

संविधान (Constitution Of India) सभा के सदस्यों में बेगम एजाज रसूल एक मात्र मुस्लिम महिला थी। उनका जन्म 2 अप्रैल 1909 को हुआ था। जिनका पूरा नाम बेगम कदसिया ऐजाज रसूल था। वह मुस्लिम लीग की सदस्य थी, बाद में जब मुस्लिम लीग भंग हुई तो वह कांग्रेस में शामिल हो गई। बेगम एजाज रसूल उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य, राज्यसभा की सदस्य रही।

8 हंसा मेहता

पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ी हंसा मेहता ने भी भारतीय संविधान (Constitution) के निर्माण में अपना योगदान दिया था. उनका जन्म 3 जुलाई 1987 को बड़ौदा में हुआ था. वे बड़ौदा के दीवान नंदशंकर मेहता की बेटी थी. पत्रकार के साथ हंसा मेहता समाजिक कार्यों से भी जुड़ी थी. वह 1926 में बॉम्बे स्कूल्स कमेटी के लिए चुनी गईं और 1945-46 में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनीं. बाद में उन्हें संविधान (Constitution) सभा का सदस्य बनाया गया था.

9 कमला चौधरी

लखनऊ के प्रतिष्ठित परिवार में 22 फरवरी 1908 को जन्मी कमला चौधरी भी संविधान (Constitution Of India सभा की सदस्य थी। वे एक प्रसिद्ध लेखिका थी। कमला चौधरी महात्मा गांधी से जुड़ी हुई थी, वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्य थी, जबकि लोकसभा के सदस्य भी चुनी गई थी, उन्होंने अपनी कहानियों के जरिए महिलाओं को समाज में आगे लाने का काम किया था।

10 रेनुका रे

स्वतंत्रता सेनानी, लोकसभा सांसद, समाजसेवा के क्षेत्र से जुड़ी रेनुका रे आईसीएस अधिकारी संतीष चंद्र मुखर्जी और अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की सदस्य चारूलता मुखर्जी की बेटी थी. वे पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्य और मंत्री भी रहीं. उन्होंने ही बंगाल में अखिल बंगाल महिला संघ और महिला समन्वयक परिषद का गठन किया था. रेनुका रे भी संविधान (Constitution) सभा की सदस्य थी.

11 दुर्गाबाई देशमुख

असहयोग आंदोलन में 12 साल की उम्र में जुड़ने वाली दुर्गाबाई देशमुख का जन्म 15 जुलाई 1909 को आंध्रप्रदेश के राजमुंदरी में हुआ था। वे महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह का हिस्सा थी। उन्होंने महिलाओं की आवाज उठाने के लिए आंध्र महिला सभा की स्थापना की थी। दुर्गाबाई देशमुख संसद के लिए चुनी गई थी।

12 अम्मू स्वामीनाथन

केरल राज्य के पालघाट में 22 अप्रैल 1894 को जन्मी अम्मू स्वामीनाथन भारतीय संविधान (Constitution) सभा की सदस्य थी। जब संविधान सभा के प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी, तब अम्मू स्वामीनाथन ने कहा था कि बाहरी लोग कहते हैं कि भारतीय महिलाओं को संविधान (Constitution) का अधिकार नहीं दिया जाता, लेकिन अब हम कह सकते हैं कि भारतीयों ने अपना संविधान खुद बनाया है जिसमें महिलाओं को बराबर का हक दिया गया है।

13 दकश्यानी वेलयुद्धन

दकश्यानी वेलयुद्धन अनुसूचित जातिवर्ग के लोगों की आवाज उठाने के लिए जानी जाती थी. संविधान (Constitution) सभा की सदस्यों में अनुसूचित जातिवर्ग से आने वाली वे एक मात्र महिला सदस्य थी. उनका जन्म कोचीन में बोल्गाटी द्वीप पर 4 जुलाई 1912 को हुआ था. वे कोचीन विधान परिषद की सदस्य भी रही थी. उन्होंने लंबे समय तक अनुसूचित जातिवर्ग के लोगों की आवाज को समाज में उठाया.

14 पूर्णिमा बनर्जी

सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी पूर्णिमा बनर्जी भी संविधान (Constitution Of India) सभा की सदस्य थी। समाजवादी विचारधारा से प्रेरित पूर्णिमा बनर्जी उत्तर प्रदेश में आजादी की लड़ाई के लिए बने महिलाओं के समूह की सदस्य थी। वे किसान की सभाओं, ट्रेड यूनियनों की व्यवस्था और ग्रामीणों से जुड़े मुद्दे उठाती थी।

15 एनी मसकैरिनी

तिरुवनंतपुरम में जन्मी एनी मसकैरिनी भी संविधान सभा की सदस्य थी। एनी मसकैरिनी त्रावणकोर राज्य में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थी। राजनीतिज्ञ गतिविधियों के चलते उन्हें जेल में बंद कर दिया गया था। 1951 के आम चुनावों में वे लोकसभा सदस्य के रुप में चुनी गई थी।

महिलाओं की स्थति सुधर में डॉ. आंबेडकर का योगदान

‘मैं किसी समाज की तरक्की इस बात से देखता हूं कि वहां महिलाओं ने कितनी तरक्की की है।’

डॉ. आंबेडकर महिलाओं की उन्नति के प्रबल पक्षधर थे। उनका मानना था कि किसी भी समाज का मूल्यांकन इस बात से किया जाता है कि उसमें महिलाओं की क्या स्थिति है? दुनिया की लगभग आधी आबादी महिलाओं की है, इसलिए जब तक उनका समुचित विकास नहीं होता कोई भी देश चहुंमुखी विकास नहीं कर सकता। डॉ. आंबेडकर का महिलाओं के संगठन में अत्यधिक विश्वास था।

डॉ. आंबेडकर कहा करते थे कि मैं हिंदू कोड बिल पास कराकर भारत की समस्त नारी जाति का कल्याण करना चाहता हूं। मैंने हिंदू कोड पर विचार होने वाले दिनों में पतियों द्वारा छोड़ दी गई अनेक युवतियों और प्रौढ़ महिलाओं को देखा। उनके पतियों ने उनके जीवन-निर्वाह के लिए नाममात्र का चार-पांच रुपये मासिक गुजारा बांधा हुआ था। वे औरतें ऐसी दयनीय दशा के दिन अपने माता-पिता, या भाई-बंधुओं के साथ रो-रोकर व्यतीत कर रही थीं।

लेकिन डॉ. आंबेडकर का सपना सन् 2005 में साकार हुआ जब संयुक्त हिंदू परिवार में पुत्री को भी पुत्र के समान कानूनी रूप से बराबर का भागीदार माना गया। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि पुत्री विवाहित है या अविवाहित। हर लड़की को लड़के के ही समान सारे अधिकार प्राप्त हैं। संयुक्त परिवार की संपत्ति का विभाजन होने पर पुत्री को भी पुत्र के समान बराबर का हिस्सा मिलेगा चाहे वो कहीं भी हो। इस तरह महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में डॉ.आंबेडकर ने बहुत सराहनीय काम किया।