बिपिन रावत का पत्नी मधुलिका संग गांव में जिंदगी बिताने का सपना रहा अधूरा…

बिपिन रावत का पत्नी मधुलिका संग गांव में जिंदगी बिताने का सपना रहा अधूरा...

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बिपिन रावत
Madhulika Rawat & Bipin Rawat

सीडीएस बिपिन रावत और अन्य लोग Mi-सीरीज के हेलिकॉप्टर पर सवार थे.सीडीएस बिपिन रावत कोयंबटूर के पास सुलूर में भारतीय वायु सेना के अड्डे से कुन्नूर के वेलिंगटन जा रहे थे. जनरल बिपिन रावत, पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मंगलवार को सेना के हेलिकॉप्टर क्रैश में जान चल गई। जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के कुछ सपने थे जिन्हे वो रिटायरमेंट के बाद साथ में जीना चाहते थे। बिपिन रावत और उनकी पत्नी के पार्थिव शरीर कल दिल्ली पहुंचेंगे व शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया जायगा।

रियासतदार कुंवर मृगेंद्र सिंह की है बेटी मधुलिका रावत –
आपको बता दे कि बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत मध्य प्रदेश के शहडोल से ताल्लुक रखती थीं। मधुलिका रावत रियासतदार कुंवर मृगेंद्र सिंह की बेटी है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान में ग्रेजुएशन किया, वह कई तरह का सोशल वर्क करती रहती थी। मधुलिका परिवार संभालने के साथ-साथ आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रहीं। मधुलिका आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रहीं। उन्होंने अपने परिवार को सँभालते हुए शहीदों की पत्नियों के जीवनयापन, विकास के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करती रहती थीं।

मधुलिका और रावत की दो बेटियां है कृतिका व तारिणी, रावत की बड़ी बेटी कृतिका रावत मुंबई में रहती हैं। वहीं, छोटी बेटी तारिणी रावत अभी पढ़ रही हैं।

मधुलिका पति रावत के साथ रिटायरमेंट के बाद गांव में रहना चाहती थी –
साल 2019 में जनरल बिपिन रावत ने अपनी ईच्छाए जाहिर की थी रावत का कहना था कि वह रिटायरमेंट के बाद अपनी पत्नी मधुलिका के साथ गांव में ही रहेंगे। रावत 2004 में अपने मामा ठाकुर बीरेंद्रपाल सिंह परमार के साथ थाती गांव आए थे। उसके बाद 2019 में वो ननिहाल गए। वो गांव के छोटे-बड़े बच्चों और बुजुर्गों से मिले और कहा कि वह रिटायरमेंट के बाद थाती गांव में ही रहना चाहते है।

उत्तराखंड से खास लगाऊ –
CDS बिपिन रावत मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में गांव सैण बमरौली ग्रामसभा के है। वे थलसेना के प्रमुख भी रहे। रिटायरमेंट से एक दिन पहले ही उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बनाया गया। वहीं, इनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए।

वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत भी किया गया –
साल 1999 में पाकिस्तान के साथ करगिल युद्ध हुआ, इस युद्ध में भी जनरल बिपिन रावत ने हिस्सा लिया था। इस युद्ध में भारत को जीत हांसिल हुई। जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था। उन्हें ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद विरोधी अभियानों में कमान संभालने का खासा अनुभव रहा। बिपिन को वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत भी किया गया है, जिनमें UYSM, AVSM, YSM, SM, VSM, COAS Commendation शामिल हैं।

पहले भी हेलिकॉप्टर दुर्घटना में बचे –
रावत ने देहरादून में कैंब्रियन हॉल स्कूल, सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला व भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से पढ़ाई की। उनके करियर की शुरुआत 1978 में 11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन से हुई। रावत ने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में एम. फिल की डिग्री हासिल की। साल 2015 में भी बिपिन रावत एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में बच निकले थे।