Bilkis Bano Gangrape: बिलकिस बानो के सामने उसके बलात्कारी अब समाज में ही रहेंगे…

बिलकिस बानो (Bilkis Bano) गुजरात में रहने वाले उन तमाम मुस्लिमों में से एक थी जो सन् 2002 के गुजरात दंगों के बाद प्रदेश छोड़कर जाना चाहते थे.

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Bilkis Bano
Bilkis Bano Gangrape बिलकिस बानो के सामने उसके बलात्कारी अब समाज में ही रहेंगे...

2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई बिल्किस बानो (Bilkis Bano) मामले में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश मानते हुए कार्यवाही की है. 30 मार्च, 2019 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने गुजरात सरकार को उन पुलिस वालों पर कार्यवाही करने का आदेश दिया था जो मामले में दोषी पाए गए थे. गुजरात सरकार ने 23 अप्रैल 2019 को हुई सुनवाई में कोर्ट को बताया था कि दोषी पुलिस वालों के खिलाफ ऐक्शन लिया जा रहा है. लेकिन अब मामले के सभी 11 दोषियों को क्षमा करने के पक्ष में निर्णय कर उन्हें रिहा कर दिया गया है. चलिए देखते है किन हालातों के चलते कोर्ट ने यह फैंसला लिया है.

कौन है बिलिकल बानो (Who is Bilkis Bano?)

बिलकिस बानो (Bilkis Bano) गुजरात में रहने वाले उन तमाम मुस्लिमों में से एक थी जो सन् 2002 के गुजरात दंगों के बाद प्रदेश छोड़कर जाना चाहते थे. बिलकिस अपने परिवार के साथ गुजरात से किसी दूसरी जगह जाने की कोशिश कर रही थीं. उनके साथ उनकी छोटी बच्ची और परिवार के 15 अन्य सदस्य भी थे. उस वक्त गुजरात में हिंसा भड़की हुई थी. 3 मार्च को 5 महीने की गर्भवती बिलकिस बानो (Bilkis Bano) अपने परिवार और अन्य कई परिवारों के साथ एक सुरक्षित जगह के आसरे की तलाश में छिपी थीं, जहां 20-30 आदमियों ने हथियारों के साथ हमला कर दिया. इस दंगे में बिलकिस बानों के परिवार के 7 लोग मारे गए जबकि बिलकिस का गैंगरेप किया गया. उनकी 3 साल की बेटी को भी मार दिया गया. इस जघन्य अपराध के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.

क्यों हुई रिहाई (Why was the release)

DNA की रिपोर्ट के अनुसार पंचमहल के आयुक्त सुजल मायत्रा ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार से दोषी की सजा माफ करने के अनुरोध पर गौर करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद सरकार ने एक समिति का गठन किया था। उस समिति के मायत्रा प्रमुख थे। मायत्रा ने बताया कि कुछ महीने पहले गठित समिति ने सर्वसम्मति से मामले के सभी 11 दोषियों को क्षमा करने के पक्ष में निर्णय किया था। उसके बाद राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई थी और कल हमें उनकी रिहाई के आदेश मिले। और अब उन्हें रिहा कर दिया गया है। इस मामले में जिन 11 दोषियों को रहा किया गया है उनके नाम ये हैं जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेष भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चन्द्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना। इन सभी दोषियों को गोधरा के उप-कारागार से रिहा कर दिया गया है।

क्या हुआ थी सीबीआई जांच में (What happened in the CBI investigation)

मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को 21 जनवरी 2008 को सामूहिक बलात्कार और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाद में बंबई हाई कोर्ट ने भी उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा. इन दोषियों ने 15 साल से ज्यादा कैद की सजा काट ली, जिसके बाद उनमें से एक दोषी ने समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला (The matter reached the Supreme Court)

पंचमहल के आयुक्त सुजल मायत्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से उसकी सजा के मामले में क्षमा पर गौर करने का निर्देश दिया जिसके बाद सरकार ने एक समिति का गठन किया. सुजल मायत्रा ही इस समिति के प्रमुख थे. उन्होंने कहा, ‘कुछ महीने पहले गठित समिति ने सर्वसम्मति से इस मामले के सभी 11 दोषियों को क्षमा करने के पक्ष में निर्णय किया.’

मिली थी उम्र कैद की सजा (was sentenced to life imprisonment)

गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इनकी रिहाई की मंजूरी दी। इसके पहले 21 जनवरी 2008 को मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को बिल्कीस बानो (Bilkis Bano) के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने भी सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कैद की सजा काट ली थी, जिसके बाद उनमें से एक दोषी ने समय से पहले रिहाई के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

दोषियों की रिहाई पर मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता शमशाद पठान ने कहा कि बिल्कीस बानो (Bilkis Bano) मामले से कम जघन्य और हल्के अपराध करने के जुर्म में बड़ी संख्या में लोग जेलों में बंद हैं और उन्हें कोई माफी नहीं मिल रही है। पठान ने कहा कि सरकार जब इस तरह के फैसले लेती है तो तंत्र पर से लोगों का भरोसा उठने लगता है।

बिल्किस की मांग पर मुंबई में हुआ था ट्रॉयल (Trial took place in Mumbai on the demand of Bilkis)

पहले बिल्किस बानो के मामले में अहमदाबाद में ट्रायल शुरू हुआ। लेकिन बिलकिस बानो को इस बात का डर था कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई द्वारा एकत्र किए गए सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2004 में केस को मुंबई ट्रांसफर कर दिया। और विशेष सीबीआई अदालत ने बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के आरोप में 21 जनवरी, 2008 को 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। और बाद में बाम्बे हाईकोर्ट ने भी सजा को बरकार रखा।

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