कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कोच्चि में कहा कि 2019 में उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर महिला आरक्षण विधेयक वरीयता के आधार पर पारित कराया जाएगा।
राहुल गांधी बूथ स्तरीय पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे तथा उन्होंने कहा, ‘‘2019 का चुनाव जीतने पर पहली चीज हम यह करेंगे कि संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित कराएंगे”।
गौरतलब है कि इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करना है. जो कि कई बार बहस के बावजूद भी पारित नहीं हो पाया है।
इस मुद्दे पर आमराय नहीं बन पाने के चलते यह विधेयक लंबे समय से लंबित है।
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इससे पहले उन्होंने कहा था कि अब हम वो करने जा रहे हैं जो दुनिया में आजतक किसी भी सरकार ने नहीं किया होगा.
उन्होंने कहा कि 2019 में कांग्रेस पार्टी की सरकार देश में हर नागरिक को न्यूनतम आमदनी की गारंटी देगी.
इस दौरान राहुल ने कई मुद्दों पर छत्तीसगढ़ की पूर्व बीजेपी सरकार और केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए उनको खरी खरी सुनाई थी।
2010 में क्यों नहीं हो पाया महिला आरक्षण बिल पास ?
इससे पहले संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का बिल 2010 में पास करा लिया गया था. लेकिन लोकसभा में समाजवादी पार्टी, बीएसपी और राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियों के भारी विरोध की वजह से ये बिल पास नहीं हो सका।
और उनका असली मुद्दा था, दलित, पिछड़े तबके की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की मांग। कांग्रेस के पास 2010 में अपने दम पर बहुमत नहीं था।
यदि संसद में महिलाओं कि भागीदारी देखें तो काफी काम है , यह औसत केवल 12 फीसदी है।
जहाँ यह विश्व का औसत जहां 22.6 फीसदी है। संसद में महिलाओं के आंकड़ें देखें तो रवांडा 63 फीसदी के स्तर पर हैं और नेपाल में 29.5 फीसदी महिलाएं संसद में हैं तथा पाकिस्तान में भी संसद में 20.6 फीसदी महिला सांसद हैं।