पुरे विश्व में किडनी से संबंधित रोग स्वास्थ्य चिंता का विषय बना हुआ हैं. जिसका गंभीर परिणाम किडनी फेलियर और समय से पहले मृत्यु के रूप में सामने आता है. वर्तमान में किडनी रोग महिलाओं में मृत्यु का 8वां सबसे प्रमुख कारण माना जा रहा है. पुरुषो के मुकाबले महिलाओं में क्रॉनिक किडनी डिसीज विकसित होने की आशंका 5 फीसदी ज्यादा होती है.
हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि किक्रॉनिक किडनी डिसीज को बांझपन और सामान्य गर्भावस्था व प्रसव के लिए भी रिस्क फैक्टर माना जाता है. इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है और मां व शिशु दोनों के लिए खतरा बढ़ जाता है, जिन महिलाओं में ये बीमारी एडवांस स्तर पर पहुंच जाती है, उनमें हाइपर टेंसिव डिसआर्डर्स और समयपूर्व प्रसव होने की आशंका बढ़ जाती है.
किडनी संबंधीत बीमारियों के कारण:
किडनी की बीमारी डायबिटीज, उच्च रक्तदाब और धमनियों के कड़े होने के कारण हो जाती है. इन रोगों में से कई समस्याएं किडनियों के सूजने के कारण भी उतपन्न हो सकती हैं. इस स्थिति को नेफ्राइटिस कहा जाता हैं. मेटाबॉलिक डिसआर्डर के अलावा कुछ एनाटॉमिक डिसआर्डर के कारण भी किडनी संबंधी बीमारियां हो जाती हैं.
थायराइड के लक्षण एवं उपचार:
एंटी बायोटिक्स से भी संक्रमण ठीक किया जा सकता है, अगर संक्रमण बैक्टीरिया के कारण हो. एक्यूट किडनी फेलियर के मामले में रोग के कारणों का पता लगाना सर्वश्रेष्ठ रहता है.
जब किडनी फेलियर अंतिम चरण पर पहुंच जाता है, तब उसे केवल डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है. डायलिसिस सप्ताह में एक बार किया जा सकता है या इससे अधिक बार भी, यह स्थितियों पर निर्भर करता है.