पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्त्ता असमा जहांगीर नहीं रही

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पाकिस्तान में सैन्य तानाशाहो के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाली जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता असमा जहांगीर का निधन हो गया है। उनकी मौत की वजह दिल का दौरा बताई जा रही है ।
पाकिस्तान में सैन्य शासको के खिलाफ लड़ाई लड़ना आसान नहीं है मगर असमा 1972 का जिलानी बनाम पंजाब सरकार के मध्य लड़ाई शुरू होने का मामले उठा। तब पाकिस्तान में याह्या खान के नेतृत्व में सैन्य शासन के चलते हुए सरकार ने असमा के पिता को क़ैद कर लिया। इसे उन्होंने क़ानूनी तरीके से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और अदालत ने सैन्य शासन को ‘अवैधानिक’ घोषित कर दिया और सरकार को असमा के पिता को रिहा करना पड़ा।
ये लड़ाई जीतने के बाद असमा जहांगीर प्रसिद्ध हो गई इसके बाद जनरल ज़िया-उल-हक़ के सैन्य शासन के ख़िलाफ़ भी लड़ीं। उस वक्त उनको उन सब का साथ मिला जो ज़िया-उल-हक़ के सैन्य शासन के खिलाफ थे। उन्होंने जनरल ज़िया की सरकार द्वारा महिलाओं के ख़िलाफ़ लाए गए हुदूद कानून के विरुद्ध भी आवाज़ उठाकर लोगों को जागरूक किया।
असमा का संघर्ष आगे चलकर जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ की सैन्य तानाशाही के ख़िलाफ़ भी उनकी लड़ाई जारी रखी। इसके लिए असमा को भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी- रॉ के लिए काम करने का आरोप भी लगाए गए मगर असमा ने उनकी परवाह किये बगैर काम जारी रखा। उन्हें जेल भी जाना पड़ा मगर वो कभी हार नहीं मानी और उन्होंने सरकार और सैन्य तानाशाहों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी। उनको पुरे पाकिस्तान में तानाशाहों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।