अरुणिमा सिन्हा ने एक बार फिर इतिहास रचा और प्रथम महिला दिव्यांग पर्वतारोही बन गई हैं, पढ़े विस्तार से

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भारत की अरुणिमा सिन्हा ने अपनी कमजोरी को सबसे बड़ी ताकत बनाकर इतिहास कायम कर अपनी ‘आखिरी मंजिल‘ पर भी फतह कर लिया है। अरुणिमा ने दुनिया की सात प्रमुख चोटियों में से अंतिम बची ‘माउंट विन्सन’ पर भी भारत का तिरंगा लहरा दिया है।                                                                                              रविवार को सिन्हा ने 12: 27 पर अंटार्कटिका के सबसे ऊंचे शिखर माउंट विंसन पर पहुंचगयी थी। वह यह अनोखा कारनामा करने वाली दुनिया की प्रथम महिला दिव्यांग पर्वतारोही बन गई हैं। अरुणिमा ने इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद लिखा कि अब इंतजार खत्म हुआ। हमें आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि विश्व रेकॉर्ड बन चुका है।

अरुणिमा एक कृत्रिम पैर की सहायता से एवरेस्ट फतह करने के साथ-साथ किलिमंजारो (अफ्रीका), एल्ब्रुस (रूस), कास्टेन पिरामिड (इंडोनेशिया), किजाश्को (आस्ट्रेलिया) और माउंट अकंकागुआ (दक्षिण अमेरिका) पर्वत चोटियों पर फतह हासिल कर चुकी है। दक्षिणी ध्रुव में अंटार्कटिका स्थित माउंट विन्सन उनकी आखिरी मंजिल थी जिसमें भी वह सफल रही।

वही पीएम नरेंद्र मोदी ने बधाई देते हुए ट्वीट किया कि उन्हे सफलता का नया शिखर छूने के लिए बधाई। वह भारत की गौरव हैं, जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम और दृढ़ता की बदौलत आज यह मुकाम हासिल किया है। भविष्य में उनके प्रयासों के लिए मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बताना चाहेंगे कि सिन्हा उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की रहने वाली हैं। अप्रैल 2011 में अपराधियों ने बरेली के पास पदमवाती एक्सप्रेस से अरुणिमा को बाहर फेंक दिया था, जिसके कारण वह अपना एक पैर गंवा बैठी थीं।